भूमि के क्षरण को रोकने के लिये जल स्त्रोतों के किनारे अधिक से अधिक वृक्षारोपण की अपील
उज्जैन । भूमि के क्षरण को रोकने के लिये आमजन अधिक से अधिक प्राकृतिक जलस्त्रोतों के किनारे वृक्षारोपण करें और वृक्षों को न तो स्वयं काटें और न ही अन्य को काटने दें। ईंधन के रूप में ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में गोबर गैस संयंत्र, सोलर कुकर, एलपीजी गैस आदि का ही उपयोग अधिक से अधिक आमजन करें। नदी में नहाने व कपड़े धोने में साबुन का उपयोग नहीं करें। नदी के जल को प्रदूषणमुक्त रखा जाये।
इस आशय की अपील म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने की है। उन्होंने अपनी अपील में कहा है कि नदी, तालाब आदि में फूल एवं पूजन सामग्रीयुक्त पॉलीथीन कैरी बैग विसर्जित नहीं करें। साथ ही नदी, तालाब में घरेलू जल-मल निस्सारित नहीं कर इसे प्रदूषित होने से बचायें। किसान अपने खेतों में निर्धारित मात्रा से अधिक खाद व कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं कर यथासंभव प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करें। प्राकृतिक जलस्त्रोतों को प्रदूषण से मुक्त रखा जाये। घरों में उत्पन्न होने वाले गीले अर्थात बायोडिग्रेडेबिल यथा- बची हुई खाद्य सामग्री, सब्जी व फलों के छिलके आदि व सूखे कचरे यथा- कागज, पैकिंग सामग्री आदि को पृथक-पृथक एकत्रित कर विधिवत नगरीय निकाय को डिस्पोजल करने में सहयोग प्रदान करें। पॉलीथीन कैरी बैग के स्थान पर कपड़े, जूट, कागज आदि की थैलियों का उपयोग किया जाये।
म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समस्त नागरिकों से अपील की है कि पर्यावरण के मुख्य घटक जल, थल, वायु, वनस्पती में प्राकृतिक संतुलन बनाने के लिये पर्यावरण को शुद्ध रखा जाये। इसके साथ ही 40 माइक्रोन से कम मोटाई की प्रतिबंधित पॉलीथीन थैलियों का उपयोग भी नहीं करें। प्लास्टिकयुक्त डिस्पोजेबल ग्लास, कटोरी के स्थान पर प्राकृतिक एवं इकोफ्रेंडली उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देकर पर्यावरण को और अधिक अच्छा बनाने में सहयोग करें, ताकि हमारी आगे आने वाली पीढ़ी को बेहतर पर्यावरण मिल सके। जल को शुद्ध रखकर प्रकृति के संतुलन को बनाने में हम सब अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। समस्त प्राकृतिक जलस्त्रोतों यथा- नदी, तालाब, कुआ आदि को स्वच्छ रखना हम सबका परम कर्त्तव्य है।