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नर्मदा नदी के वैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिये विधेयक लाया जायेगा


 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि माँ नर्मदा को नुकसान पहुँचाने सभी कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जायेगा और नुकसार पहुंचाने वालों को दण्डित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा में अवैध उत्खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। अवैध उत्खनन इस पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा पूरे विश्व में नदी संरक्षण का अनूठा जनांदोलन बनेगा।

श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा के वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिये दण्डात्मक प्रावधान करने विधेयक भी लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया को नुकसान पहुंचने वालों को उसी तरह दण्ड दिया जायेगा जैसे जीवित व्यक्ति को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया के अधिकारों की रक्षा के लिये प्राधिकृत अधिकारी या संस्था होगी जो नर्मदा मैया की तरफ से अधिकारों की रक्षा के लिये एफआईआर भी कर सकेगी और वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि यह शोषण नहीं पोषण करने का समय है।

श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा राजनीतिक यात्रा नहीं है। यह नर्मदा नदी के संरक्षण के प्रति कर्तव्यबोध की यात्रा है। यह पर्यावरण जनजागरण की यात्रा है। राज्य सरकार सभी नदियों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। समाज के साथ मिलकर नदियों का संरक्षण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा के माध्यम से नई पीढ़ी को संस्कारित करने का काम हो रहा है। उन्होने कहा कि यह धरती और इसके संसाधन सभी के लिये है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा नदी को केवल माँ मानना पर्याप्त नहीं है। सभी को नम्रदा मैया के प्रति अपने कर्तव्य‍ निभाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य भी प्रदेश के नागरिक हैं और उनकी भी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया के संरक्षण के लिये संरक्षण से जुडे वरिष्ठ वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदो और संतों के सुझाव के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची कि नर्मदा नदी के तटों पर सघन वृक्षारोपण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जिससे नर्मदा मैया अविरल बहती रहे। उन्होंने कहा कि आगामी दो जुलाई को नर्मदा के तटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु और नागरिक मिलकर करोड़ों पौधों का रोपण करेंगे और उन्हें जीवित रखने का संकल्प लेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा मैया की सेवा कोई बहस का विषय नहीं है। यह आस्था का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जितनी भौतिक समृद्धि है वह नर्मदा मैया की कृपा से है। उन्होंने कहा कि जितने भी संत और महत्वपूर्ण व्यक्ति नर्मदा सेवा की उद्देश्य से नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल होकर यात्रा को आशीर्वाद दिये हैं वे स्वप्रेरणा से यात्रा में शामिल हुये हैं। यह कोई राजनीति यात्रा नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा और यमुना नदियों की गंभीर पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुये नर्मदा नदी के संरक्षण के प्रति अभी से जागृत होना जरूरी है, क्योंकि यह मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। नर्मदा मैया के प्रति हर नागरिक की निश्चित जिम्मेदारी और कर्तव्य है।

नर्मदा नदी के संरक्षण की कार्ययोजना की चर्चा करते हुये उन्होंने बताया कि नर्मदा के किनारे 11 शहरों के मल-जल प्रबंधन के लिये सीवेज प्लांट स्थापित करने के लिये टेण्डर की कार्रवाई हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नर्मदा के तटों पर पूजन-सामग्री प्रवाहित होने से रोकने,  शवदाह के लिये व्यवस्था करने, नर्मदा के किनारे के गाँवों में पूर्ण नशाबंदी करने के निर्णय लिये गये हैं।

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