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पेंशनरों को मिलेगी राहत, 7वें वेतन आयोग में बदलाव को मंजूरी


केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में पेंशनरों को बड़ी राहत देते हुए पेंशन तय करने के तरीके में बदलाव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सरकार के इस फैसले से सिविल और रक्षा दोनों तरह के करीब 55 लाख पेंशनरों को फायदा होगा और सरकारी खजाने पर 5,031 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। पेंशन के संबंध में कैबिनेट ने जिन बदलावों को मंजूरी दी है वे एक जनवरी 2016 से प्रभावी होंगे क्योंकि इसी तारीख से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुई थीं। इस फैसले से केंद्र सरकार पेंशन पर सालाना करीब 1,76,071 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

पेंशनरों के संबंध में कैबिनेट का पहला फैसला उन कर्मचारियों के संबंध में जो 2016 से पहले रिटायर हुए हैं। सरकार ने पेंशन सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

दरअसल कैबिनेट को पेंशन तय करने के फार्मूले में बदलाव की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सातवें वेतन आयोग ने जो फार्मूला सुझाया था उसके जरिए पेंशन की गणना करना व्यवहारिक नहीं था। इसलिए पेंशन सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गई जिसने नया फार्मूला सुझाया।

कैबिनेट ने रक्षा पेंशनरों के संबंध में डिसेबिलिटी पेंशन तय करने के तरीके में भी बदलाव को मंजूरी दी। माना जा रहा है कि इससे सरकार पर हर साल 130 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

संपदा योजना भी मंजूर

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने खाद्य प्रसंस्करण की एक नयी योजना संपदा को भी मंजूरी दी। संपदा योजना का पूरा नाम- स्कीम फॉर एग्रो-मरीन प्रोसेसिंग एंड डेवलपमेंट ऑफ एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर्स है। यह सेंट्रल सेक्टर की नयी योजना है। इस पर करीब 6000 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है।

माना जा रहा है कि संपदा योजना की इस धनराशि से देश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में करीब 31,400 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इससे 20 लाख किसानों को लाभ मिलने का अनुमान है। साथ ही इससे 5,30,500 लोगों को 2019-20 तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने कहा कि संपदा योजना एक अंब्रेला स्कीम होगी और मेगा फूड पार्क जैसी मौजूदा योजनाएं सभी इसके दायरे में आएंगी।

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