समरसता ऊपर से नहीं मन से भी दिखना चाहिये –ऊर्जा मंत्री श्री जैन
उज्जैन @ श्रीभाष्यकार रामानुजाचार्य सहस्त्राब्दी पंचदिवसीय महोत्सव के अवसर पर श्री रामानुजकोट द्वारा आयोजित समरसता स्नान के पूर्व रामानुजकोट में आयोजित कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन ने कहा कि व्यक्ति द्वारा समरसता ऊपर से न दिखाकर मन से दिखाना चाहिये। समरसता स्नान की पहल पर श्री जैन ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से शुभकामनाएं दी। विधायक डॉ.मोहन यादव ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि "जात-पात पूछे नहीं, हरि का भजे सो हरि का होय" की उक्ति आज के समय में प्रासंगिक है। उन्होंने श्री रामानुजाचार्य के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। डॉ.यादव ने कहा कि नर में ही नारायण का वास होता है। डॉ.यादव ने कहा कि सन्तों के द्वारा हमारे समाज को सही एवं उचित मार्गदर्शन समय-समय पर मिलता रहा है।
इस अवसर पर नाथ सम्प्रदाय वाल्मिकीधाम के बालयोगी श्री उमेशनाथजी महाराज ने कहा कि इंसान को गलत आचरण त्यागकर एक अच्छा आचरण अपने जीवन में अपनाना चाहिये। सनातन धर्म में हमारे राष्ट्र में अनेक महान विभूतियों ने समाज के प्रत्येक वर्ग को जो अच्छा सन्देश दिया है, उन्हीं सन्देश पर हमें चलना चाहिये। जाति, पंथ, सम्प्रदाय से ऊपर उठकर हमें एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करना चाहिये। बगैर भेदभाव से ऊपर उठकर महापुरूषों, सन्तों, आचार्यों द्वारा बताये गये मार्ग पर ही हमें चलना चाहिये। आपने उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान श्री राम द्वारा वनवास के दौरान सबको गले लगाया गया था। यहां तक ही नहीं उन्होंने शबरी के झूठे बैर भी ग्रहण किये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में समरसता का भाव कूट-कूटकर भरा होना चाहिये। गलत बातों को त्यागना चाहिये और प्रत्येक इंसान को अच्छे कर्म कर आगे बढ़ना चाहिये। उन्होंने रामानुजकोट के महन्तश्री से आग्रह किया कि कमजोर वर्ग के तबके में जाकर उन्हें अच्छी शिक्षा-दीक्षा दी जाये, यही समरसता का मुख्य उद्देश्य है। स्नान कर हमारे शरीर की चमड़ी को पवित्र न कर हमारे मन को पवित्र करना चाहिये।
डॉ.अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि रामानुजकोट द्वारा समता स्नान की पहल प्रशंसनीय है। सामाजिक बदलाव के लिये हमारे समाज में एक अच्छी सोच के लिये शुरू से ही हमारे सन्त-महात्मा आगे आये हैं। सन्तों का समाज में बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज के दौर में किसी को भी छुआछूत का भाव मन में नहीं लाना चाहिये। रामानुजकोट के स्वामी श्री रंगनाथाचार्य ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें दलित शब्द कहना ठीक नहीं लगता है। यह शब्द उन्हें हमेशा व्यथित करता है। इसके बजाय सम्बन्धित के नाम का उच्चारण किया जाना चाहिये। छुआछूत की घटनाओं पर शासन-प्रशासन को कार्यवाही की जाना चाहिये। हमारा सम्बन्ध भावनात्मक होना चाहिये। उन्होंने सन्देश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में समरसता का भाव होना चाहिये और दूसरों से भी इसका पालन करवाना चाहिये। समाज के व्याप्त विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिये। ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन एवं विधायक डॉ.मोहन यादव ने सन्तों का पुष्पहार, शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। श्री उपेन्द्राचार्य महाराज से समस्त अतिथियों का पुष्पहारों से स्वागत किया। इसके बाद एक जुलूस के रूप में रामानुजकोट से रामघाट पर सभी वर्ग के लोगों व अतिथियों ने मां शिप्रा नदी में समरसता स्नान किया। तत्पश्चात रामानुजकोट में सामूहिक सहभोज किया।