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वन्य-प्राणी अपराध रोकने बाँधवगढ़ में दो-दिवसीय कार्यशाला


 

वन्य-प्राणी अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये वन विभाग उच्च न्यायालय के समन्वय से बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो-दिवसीय कार्यशाला की गई। कार्यशाला में जबलपुर, कटनी, डिण्डोरी, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, रीवा, सीधी और सिंगरौली जिले के 55 न्यायिक अधिकारी, अभियोजन अधिकारी और वन अधिकारी शामिल हुए।

क्षेत्र संचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने पॉवर प्रेजेंटेशन द्वारा रिजर्व के मुख्य वन प्रजाति, विलुप्त हो रही प्रजाति के प्रबंधन के साथ-साथ वन्य-प्राणी अपराधों, प्राथमिकताओं और उपलब्धियों को बताया। वन्य-प्राणी एवं मानव द्वंद को कम करने के उपाय और अनाथ बाघ शावकों के पालन-पोषण पर भी प्रस्तुतिकरण दिया गया।

भोपाल एसटीएफ प्रभारी श्री रीतेश सिरोठिया ने वन्य-प्राणी अपराधों की विश्व एवं राष्ट्रीय-स्तर पर स्थिति, उनके व्यापार में क्रियाशील गिरोह, अपराध करने के तरीकों को बताते हुए और अधिक प्रयास की आवश्यकता बतायी। कटनी की अधिवक्ता सुश्री मंजुला श्रीवास्तव ने वन्य-प्राणी अधिनियम तथा विशेषताएँ पर प्रस्तुतिकरण दिया। अभियोजन अधिकारी श्री संजय कुमार पोल, कटनी एवं उमरिया के एडीपीओ ने वन अधिकार प्रकरण को तैयार करने में होने वाली कमियों में सुधार लाने के लिये तथा न्यायालयीन प्रस्तुतिकरण और साक्ष्य देने के संबंध में वन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री विजय चन्द्रा ने विभिन्न न्यायिक अधिकारियों के प्राप्त सुझावों की समीक्षा करते हुए कार्यशाला की पूर्ण अनुशंसाओं का संकलन किया। इसमें वन्य-प्राणी अपराध प्रकरणों को 6 माह में निराकृत, निचले स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित और सम्पूर्ण पारिस्थितिकीय तंत्र को संरक्षित करने के विशेष प्रयास शामिल हैं।
सुनीता दुबे

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