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महाकाल ने भक्तों को दिये होल्कर स्वरूप में दर्शन



उज्जैन । सोमवार 20 फरवरी फाल्गुन कृष्ण नवमी विक्रम संवत् 2073 को शिव नवरात्रि के पांचवे दिन सायं पूजन के पश्चात भगवान महाकाल ने श्री होल्कर स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। प्रातः प्रतिदिन की तरह शासकीय पुजारी पं. श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया तथा सायं पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को नवीन मेहरून रंग के वस्त्र धारण करवाये गये, साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री होल्कर रूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मेखला, दुपट्टा, मुण्ड माला एवं फलों की माला धारण करायी गयी। 21 फरवरी मंगलवार को भगवान महाकाल श्री मनमहेश के स्वरूप में दर्शन देंगे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रागंण में 16 फरवरी से 25 फरवरी तक शिवनवरात्रि निमित्त सन् 190़9 से कानडकर परिवार, इन्दौर द्वारा वंशपरम्परानुगत हरिकीर्तन की सेवा दी जा रही है, इसी तारतम्य में कथारत्न हरि भक्त परायण पं. श्री रमेश कानडकर जी के शिव कथा, हरि कीर्तन का आयोजन सायं 04ः00 से 06ः00 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर हो रहा है। आज श्री कानडकर ने राजा श्री गोपीचन्द्र की माता मैनावती द्वारा बाबा जालंधर नाथ को अपना गुरू बनाने की कथा के प्रसंग को आगे बढाते हुए गुरू जालंधर नाथ द्वारा उपदेश देने की कथा तथा गुरूकृपा प्राप्ति की कथा एवं गुरू की महिमा एवं “गुरू बिन कौन लगावे पार“ इस दोहे के माध्यम से गुरू का जीवन में महत्व का वर्णन किया। तबले पर संगत श्री तुलसीराम कार्तिकेय ने की। 

शिवनवरात्रि पर्व होने से 16 फरवरी से 24 फरवरी तक प्रातः 09ः15 से प्रातः 10ः30 की आरती समाप्त होने तक तथा अपरान्हः 03ः00 से 05ः00 बजे तक पूजन एवं श्रृंगार के समय एवं नियमित आरती के दौरान गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा, इस समय दर्शनार्थी नंदी हॉल के पीछे बैरीकेट्स से दर्शन कर सकेगे ।

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