शिव नवरात्रि के चौथे दिन भगवान महाकालने किया छबीना रूप धारण
उज्जैन | रविवार 19 फरवरी को शिव नवरात्रि के चौथे दिन सायं पूजन के पश्चात भगवान महाकाल ने श्री छबीना स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। रविवार को प्रातः श्री महाकालेश्वर मंदिर के नेवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का पूजन किया गया तथा कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के पश्चात शासकीय पुजारी पं. श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया तथा सायं पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकाल को नवीन नीले एवं सफेद रंग के वस्त्र धारण करवाये गये। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री छबीना रूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला धारण करायी गयी। सोमवार 20 फरवरी को भगवान महाकाल श्री होल्कर स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति धर्मप्राण जनता से अनुरोध करती है कि, इस सुअवसर पर प्रतिदिन सायं भगवान महाकाल के विभिन्न स्वरूपों के श्रृंगार के दर्शन का लाभ प्राप्त कर शिवनवरात्रि एवं महाशिवरात्रि पर्व पर पुण्य प्राप्त करें।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रागंण में 16 फरवरी से 25 फरवरी तक शिवनवरात्रि निमित्त सन् 1909 से कानडकर परिवार, इन्दौर द्वारा वंशपरम्परानुगत हरिकीर्तन की सेवा दी जा रही है, इसी तारतम्य में कथारत्न हरि भक्त परायण पं. श्री रमेश कानडकर जी के शिव कथा, हरि कीर्तन का आयोजन सायं 04:00 से 06:00 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर हो रहा है। आज श्री कानडकर ने गौड बंगाल के राजा श्री गोपीचन्द्र की माता के गुरूदेव जालंधर नाथ को खाई में डालाना, उनके पट्ट शिष्य कानिकानाथ को 12 वर्ष बाद खाई में मिलना राजा गोपीचन्द के द्वारा माता मैनावती, पत्नी और बहन चंपावती से भिक्षा मांगने पर अमरत्व की प्राप्ति का वर्णन किया। तबले पर संगत श्री तुलसीराम कार्तिकेय ने की।
शिवनवरात्रि पर्व होने से 16 फरवरी से 24 फरवरी तक प्रातः 09:15 से प्रातः 10:30 की आरती समाप्त होने तक तथा अपरान्हः 03:00 से 05:00 बजे तक पूजन एवं श्रृंगार के समय एवं नियमित आरती के दौरान गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा, इस समय दर्शनार्थी नंदीहॉल के पीछे बैरीकेट्स से दर्शन कर सकेगे।