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विक्रम संवत् 2074 का प्रारंभ 28 मार्च 2017 मंगलवार को होगा


 

    उज्जैन। उज्जयिनी विद्वत् परिषद् ने अपनी एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निष्कर्ष दिया है कि विक्रम संवत् 2074 का प्रारंभ 28 मार्च 2017 मंगलवार को होगा न कि 29 मार्च को, जैसा कि कुछ पंचांगकारों ने दिया है। विद्वत् परिषद् ने इस संबंध में धर्मशास्त्र के वचनों जैसे धर्मसिन्धु, निर्णयसिंधु तथा श्री पी.वी. काणे के धर्मशास्त्र के इतिहास में उपलब्ध वचनों के साक्ष्य पर यह निष्कर्ष दिया है कि विक्रम संवत् 2074 के प्रारंभ में प्रतिपदा का क्षय हो रहा है और शास्त्र वचन यह कहते हैं कि दोनों सूर्योदयों पर प्रतिपदा अप्राप्त हो अथवा दोनों सूर्योदयों पर प्राप्त हो, ऐसी स्थिति में पहले दिन की तिथि प्रतिपदा के रूप में स्वीकार की जायेगी, भले ही सूर्योदय के समय प्रतिपदा न हो और वर्ष का आरंभ भी उसी दिन माना जायेगा। 

    चूंकि विक्रम संवत् 2074 की प्रतिपदा 28 मार्च को मंगलवार का दिन है, अतः विक्रम संवत् 2074 का राजा भी मंगल ही होगा। 

    देश के 90 प्रतिशत से अधिक पंचांगों में 28 मार्च मंगलवार को ही वर्षारंभ माना गया है तथा ग्रीनविच से निकलने वाली नॉटिकल अल्मेनेक एवं गुगल पर भी 28 मार्च को ही वर्ष प्रतिपदा मानी गई है। उस दिन प्रातः 8.27 पर प्रतिपदा का प्रारंभ होता है और दूसरे दिन सूर्योदय से पहले प्रातः 5.45 पर प्रतिपदा समाप्त हो जाती है। ऐसी स्थिति में पहले दिन अर्थात् मंगलवार को ही वर्षारंभ मानना शास्त्रसम्मत् है।

    उल्लेखनीय है कि उज्जयिनी विद्वत् परिषद् संस्कृत, ज्योतिष, प्राचीन इतिहास एवं पाण्डित्य परम्परा के ख्यात् विद्वानों की एक परिषद् है। जिसके अध्यक्ष पूर्व संभागायुक्त तथा महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति, संस्कृत और ज्योतिष के ख्यात् विद्वान डॉ. मोहन गुप्त हैं। इसमें सदस्य के रूप में प्रो0 रमेशचन्द्र पण्डा कुलपति महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन, प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी आचार्य ज्योतिष विभाग लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ नईदिल्ली एवं सचिव महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, प्रो0 बालकृष्ण शर्मा निदेशक सिंधिया प्राच्य शोध संस्थान, प्रो0 भगवतीलाल राजपुरोहित निदेशक विक्रमादित्य शोधपीठ, पं. श्याम नारायण व्यास पंचागकर्ता एवं अध्यक्ष अनुष्ठान मण्डपम् ज्योतिष अकादमी उज्जैन, डॉ. केदारनाथ शुक्ल पूर्व आचार्य संस्कृत विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं पं. नारायण उपाध्याय धर्माधिकारी तीर्थ पुरोहित महासंघ इत्यादि विद्वान् हैं।

    इस संबंध में उज्जयिनी विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने म0प्र0 शासन संस्कृति विभाग के माननीय मंत्री एवं प्रमुख सचिव को पत्र भी लिखा है। क्योंकि शासन द्वारा कुछ त्रुटिपूर्ण पंचांगों के आधार पर गुड़ीपड़वा का अवकाश 29 मार्च को घोषित कर दिया गया है, जो गणितागत् सिद्धांत से सही नहीं है। जनता में वर्षारंभ के संबंध में किसी प्रकार का भ्रम न हो इसलिये विद्वत् परिषद् ने इसे स्पष्ट किया है।

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