अगले वर्ष तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता होगी 40 लाख हेक्टेयर
उज्जैन । मध्य प्रदेश में सभी शासकीय स्रोतों से वर्ष 2018 तक 40 लाख हेक्टेयर और वर्ष 2025 तक सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 60 लाख हेक्टेयर किये जाने की महत्वाकांक्षी कार्य-योजना तैयार की गयी है। सिंचाई के अलावा जल-संसाधन विभाग के बाँधों के माध्यम से आसपास के नगरों और गाँव में पेयजल के लिये भी पानी दिया जा रहा है। प्रदेश में अगले 3 वर्ष में सिंचाई परियोजनाओं में 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2016-17 में 28 लाख 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जल-संसाधन विभाग की सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से खेतों में सिंचाई की गयी। इस वर्ष रबी सीजन में 26 लाख 39 हजार हेक्टेयर और खरीफ सीजन में 2 लाख 51 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गयी।
सिंचाई प्रबंधन में जन-भागीदारी कानून बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का दूसरा प्रदेश
मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश के बाद दूसरा राज्य है, जहाँ सिंचाई प्रबंधन में किसानों की भागीदारी अधिनियम-1999 लागू किया गया है। अधिनियम में कृषक संगठनों को कार्य करने के लिये स्वतंत्र एवं वैधानिक रूप से अधिकृत किया गया है। मध्यप्रदेश जल-स्रोतों के मामले में सम्पन्न राज्य है। राज्य में नर्मदा, चम्बल, बेतवा, केन, सोन, ताप्ती, पेंच, बैनगंगा एवं माही नदियों का उद्गम-स्थल है। प्रदेश में नदियाँ सभी दिशाओं में प्रवाहित होती हैं। राज्य का औसत सतही जल-प्रवाह 75 प्रतिशत निर्भरता पर 81 हजार 500 घन मीटर है। इसमें से 56 हजार 800 मिलियन घन मीटर मध्यप्रदेश को आवंटित है। शेष 24 हजार 700 घन मीटर जल अंतर्राज्यीय समझौते के अंतर्गत पड़ोसी राज्यों को आवंटित है। प्रदेश में भू-गर्भीय जल की मात्रा 34 हजार 500 मिलियन घन मीटर आंकलित है।
मध्य प्रदेश में लगभग 155 लाख 25 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। जल-संसाधन विभाग की कुल सिंचाई क्षमता वर्ष 2015-16 में 28 लाख 60 हजार हेक्टेयर थी। प्रदेश में विभाग की 15 वृहद, 85 मध्यम और 4,771 लघु, इस प्रकार 4,871 निर्मित सिंचाई योजनाएँ हैं। प्रदेश में प्रतिवर्ष डेढ़ लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा रही है। प्रदेश को नाबार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और एशियन डेव्हलपमेंट बैंक से आर्थिक सहायता मिल रही है।