दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण : गंभीर चेतावनी
डॉ.चंदर सोनाने
दिल्ली में गत चार दिन से धुएं और धूल का एक नया रूप स्मॉग के कारण प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया हैं। दिल्ली के 1800 से भी अधिक स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया हैं। प्रदूषण के मानक स्तर पार्टिकुलेट मैटर (एमपी) 2.5 और एम पी 10 से 10 गुना अधिक मानक स्तर पर प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों का जीना दुभर हो गया हैं। दिवाली पर भारी मात्रा में पटाखे फोड़ने और खेतों में खड़े डंठल (खूंटी) को जलाना ये दो मुख्य कारण अभी सामने आए हैं। और भी अनेक कारण हैं। इन कारणों की पड़ताल आवश्यक है और उनका निदान भी खोजा जाना जरूरी हैं। अभी यह दिल्ली में हुआ है । देश के अन्य महानगरों और शहरों में भी आगामी समय में इस प्रकार के वायु प्रदूषण होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यह एक गंभीर चेतावनी हैं। अभी से इन समस्याओं के निराकरण के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन उपाय खोजे जाना आवश्यक हैं।
हमेशा की तरह इस बार भी दिल्ली के इस वायू प्रदूषण में राजनीति शुरू हो गई हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल नें दिल्ली में हुए इस खतरनाक प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा को दोषी ठहराया हैं, जहां खेतों में पराली जलाई जाती हैं। केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री श्री अनिल माधव दवे ने इस खतरनाक प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया हैं। यहां राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह एक खतरनाक मसला हैं। इस पर गंभीरतापूर्वक चिंतन, मनन और निर्णय की आवश्यकता हैं। दिल्ली के इस प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार को निर्णय लेने की आवश्यकता हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों से शीर्ष स्तर पर बातचीत कर इसके कारणो की पड़ताल कर निराकरण की कारवाई करने की आवश्यकता है। इस समय दिल्ली गैस चैंबर बन गया हैं। इस खतरनाक स्थिति के निराकरण के लिए वैज्ञाविकों से भी मदद ली जानी चाहिए।
दिल्ली में इस वायू प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक कारण खेतों में पडे डंठलो को जलाना पाया गया हैं। यह आज नहीं, बल्कि बरसों से होता आया हैं। किंतु, केद्र ने और राज्य सरकार ने कभी इस पर गंभीरता पूर्व ध्यान नहीं दिया हैं। यह सब जानते है कि खेतों में खडे डंठल को जलाने से पर्यावरण प्रदूशित होता है। यही नहीं इस कारण जमीन के पोषक तत्व भी नष्ट होते हैं। इससे जमीन की उर्वरा क्षमता नष्ट होती है। इसलिए किसानो को जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता हैं। कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के निचले स्तर से ऊपरी स्तर के सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों को डंठल जलाने से मना करें व इससे होने वाले नुकसान को बैठकर समझाए। इसके साथ ही किसानों को वैकल्पिक उपाय भी बताएं, जो उनके लिए अधिक उपयोगी और महत्वपूर्ण हों।
केंद्र शासन को इस समस्या से निजात के लिए कृषि वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर उनसे इस समस्या के निदान के उपाय पूछा जाना चाहिए। इस समिति में अनिवार्य रूप से उन्नत और जागरूक किसानों को भी रखा जाना चाहिए । उनकी राय इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
दिल्ली के इस वायू प्रदूषण में कूडे के ढेर जलाना , कचरा जलाना, ट्रकों की आवाजाही, वाहनों की भरमार, उद्योगों द्वारा फैलाया जा रहा प्रदुषण, लकडियों-कंडां से रसोई बनाना, सड़क की धूल आदि अनेक कारण हैं। और भी अनेक कारण हो सकते हैं। इन कारणों की विस्तृत पड़ताल आवश्यक हैं। इन सब कारणों के बाद इनके उपाय भी ढूंढ़ने की जरूरत हैं।
गत 7 नवंबर को विश्व के प्रमुख शहरों की वायू प्रदूषण की स्थिति के अध्ययन में यह पाया गया कि न्यूयॉर्क, लंदन, बीजिंग, लांस एंजिलिस , मैक्सिको आदि शहरों में दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर पाया गया । यही नहीं न्यूर्याक शहर की तुलना में दिल्ली में 150 गुना अधिक प्रदूषण पाया गया। यह खतरे की घंटी हैं।
आज से करीब 64 साल पहले लंदन में ग्रेट स्मॉग जैसे हालात बने थे। उस समय जहरीली हवा से वहां 4 हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे। दिल्ली में लंदन जैसी हालत नहीं बने, इसके लिए तुरंत ठोस कारवाई करने की आवश्यकता हैं। इसके लिए केंद्र शासन को राज्य शासन से मिलकर एक ठोस योजना बनाने की जरूरत हैं। योजना का क्रियान्वयन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे से अपेक्षा है कि वे इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार विर्मश कर ऐसा निर्णय लेंगे जो सारे देश के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी हों, ताकि देशवासी शुद्ध हवा में सांस ले सके।