सबसे बड़ी शक्तिपीठ गुरु चरण- मुनि रमेश कुमार
उज्जैन। गुरु सिद्धि है, गुरु शक्ति है, गुरु चरणों में निवास साधक के
लिए शक्तिपीठ है। जो साधक गुरु चरणों में बैठकर साधनाओं को सम्पन्न करता
है वह जीवन के कल्याण की दिशा में आगे बढता है। गुरु की महिमा अपरम्पार
है। जैसे नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर की स्टाम्प लगने से वह नोट सब जगह
चलता है वैसे ही गुरु नाम की स्टाम्प लगने से जीव मुक्तिगामी बनता है।
उपरोक्त विचार नयापुरा स्थित आचार्य डालगणी भवन में 257वें तेरापंथ
स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार
ने व्यक्त किए। मुनि रमेश कुमार ने कहा कि तेरापंथ की स्थापना त्रिपदी के
आधार पर हुई है एक आचार, एक विचार, एक अनुशासन तेरापंथ के मूल आधार है।
तेरापंथ के दर्शन को इस त्रिपदी के आधार पर समझा जा सकता है। आचार्य
भिक्षु ने केलवा के अंधेरी ओरी (जैन मंदिर) में आज के दिन इस धर्मसंघ की
स्थापना की। आपने केलवा का प्राचीन इतिहास का भी उल्लेख किया। मुनि
हेमराज ने कहा आचार्य भिक्षु ने बहुत कष्ट सहन कर तेरापंथ की स्थापना की।
गुरु का महत्व हर धर्म संप्रदाय में है। गुरु से बड़ा जीवन में कोई नहीं।
इसलिए ही गुरु को नमन पहले किया जाता है। फिर भगवान को। भगवान से भी ऊंचा
स्थान गुरु का है। समण सिद्धप्रज्ञ ने कहा जिस के जीवन में गुरू नहीं
उसका कल्याण शुरू नहीं। जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए मृत्यु से
अमरत्व की ओर ले जाए क्या अमरत्व में सत्य की और ले जाए वह गुरु हीता है।
मर्यादा अनुशासन ओर संगठन को स्थापना करना। आचार्य भिक्षु ने अपने
निर्भिक्ता, सत्य वादिता ओर आगम निष्ठा से तेरापंथ की स्थापना की।
तेरापंथ की स्थापना का अर्थ है। अनुशासन, मर्यादा और संगठन की स्थापना
करना। इस अवसर पर सोहनलाल आछा गीत अव सोनाली पीपाडा ने विचारों की
अभिव्यक्ति की।