सोच होगी सकारात्मक तो होगा हर क्षेत्र में चमत्कार - संत ललितप्रभ
महाकाल पैलेस में बुधवार को परिवार की खुषहाली का राज पर होंगे भव्य प्रवचन
उज्जैन 7 जून। महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि अगर हम अपनी
सोच को सकारात्मक बना लें तो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में चमत्कार घटित
होना षुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जहाँ अच्छी सोच हर सफलता की नींव है
वहीं गंदी सोच पतन का आधार है। अगर व्यक्ति सकारात्मक सोच के केवल एक
मंत्र को अपना ले तो वह जीवन की नब्बे प्रतिशत समस्याओं का हल स्वयमेव कर
सकता है। इसलिए व्यक्ति को चेहरे की सुंदरता से दस गुना ज्यादा सोच की
सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए।
संतप्रवर मंगलवार को श्री अवंती पाष्र्वनाथ तीर्थ मारवाड़ी समाज संघ
द्वारा अरविंद नगर स्थित नागेष्वर पाष्र्वनाथ मंदिर के पास महाकाल पैलेस
में आयोजित दो दिवसीय सत्संग समारोह के पहले दिन हजारों भाई-बहनों को
संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति ताड़ासन करके या उछलकूद
द्वारा साढ़े सात फुट से ज्यादा ऊँचा नहीं उठ सकता, पर अपनी सोच को ऊपर
उठा ले तो वह हिमालय से भी ज्यादा ऊँचा उठ सकता है। उन्होंने कहा कि
व्यक्ति वैसा ही बनता है जैसा वह सोचता है। अगर व्यक्ति सोच के प्रति
सावधान हो जाए तो वह अपने जीवन को शानदार बना सकता है।
जैसे विचार वैसा व्यक्तित्व-संतश्री ने कहा कि व्यक्ति के जैसे विचार
होंगे वैसी ही उसकी वाणी होगी, जैसी वाणी होगी वैसा व्यवहार होगा, जैसा
व्यवहार होगा वैसा ही व्यक्तित्व बनेगा। अगर व्यक्तित्व को अच्छा बनाना
है तो व्यक्ति अपने विचारों को अच्छा बनाए। उन्होंने कहा कि हमारा दिमाग
और कुछ नहीं, चार बीघा जमीन की तरह है। इसमें हम अच्छे विचारों के बीच
बोएंगे तो अच्छी फसले उगकर आएगी, नहीं तो नकारात्मकता के झाड़-झंकार उगने
से कोई नहीं रोक पाएगा।
सकारात्मकता से बढ़कर कोई धर्म नहीं-संतश्री ने कहा कि मेरी शांति,
संतुष्टि एवं प्रगति का एकमात्र राज सकारात्मक सोच है। मैंने अब तक
हजारों लोगों को सकारात्मक सोच का मंत्र दिया है जो कि आज तक कभी निष्फल
नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता और
नकारात्मक सोच से बढ़कर कोई अधर्म नहीं होता। सकारात्मक सोच जीवन का पुण्य
है और नकारात्मक सोच जीवन का पाप। व्यक्ति बाहर से धर्म करे और भीतर में
नकारात्मकता पलती रहे तो ऐसा सारा धर्म-कर्म राख की लीपापोती के अलावा
कुछ नहीं है। सकारात्मक सोच का अर्थ बताते हुए संतश्री ने कहा कि किसी के
द्वारा विपरीत व्यवहार किये जाने के बावजूद अपनी ओर से अच्छा व्यवहार
करने का नाम है सकारात्मक सोच। जहर के बदले अमृत लौटाना और औछे व्यवहार
के बदले ऊँचा व्यवहार करना ही सकारात्मक सोच है।
सुंदर सोच है परमेश्वर की सच्ची पूजा-संतश्री ने कहा कि सोच को सुंदर
बनाना न केवल अपने संबंध, सृजन और आभामंडल को सुंदर और प्रभावी बनाने का
तरीका है बल्कि सुंदर सोच परमपिता परमेश्वर की सबसे अच्छी और सच्ची पूजा
है। अच्छी सोच स्वयं ही एक सुंदर मंदिर है जहाँ से श्सत्यम् शिवम्
सुंदरम््य का मन लुभावन संगीत अहर्निश फूटता रहता है। उन्होंने कहा कि
घर, परिवार, व्यापार, समाज और धर्मस्थानों में जितने भी झगड़े होते हैं
उनकी जड़ कोई है तो वह है नकारात्मक सोच। जरा हम दो मिनिट के लिए इस संसार
के प्रति अच्छी सोच लाकर देखें, आपको किसी दूसरे स्वर्ग को पाने की बजाय
इसी धरती को स्वर्ग जैसा सुंदर बनाने की तमन्ना जग जाएगी।
आधा गिलास भरा हुआ देखें-सोच को सकारात्मक बनाने का पहला मंत्र देते हुए
संतश्री ने कहा कि हमेशा आधा गिलास भरा हुआ देखें।औरों की कमियों पर नहीं
खासियतों पर गौर करना शुरू करें। जो औरों की कमियाँ देखता है वह कमीना
होता है, पर जो औरों की खासियतें देखता है वह खूबसूरत बन जाता है। जो
औरों की कमियाँ नहीं देखता और किसी की निंदा नहीं करता उसका बिना कुछ
धर्म-कर्म किये देवलोक का इन्द्र बनाना तय है। उन्होंने कहा कि अगर हम
अपने से आगे बढ़े लोगों को बार-बार देखेंगे तो दिल जलेगा और पीछे रहे
लोगों को देखेंगे तो भगवान को धन्यवाद देने की भावना जगेगी।
मिजाज को ठण्डा रखें-मिजाज को ठण्डा बनाने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर
ने कहा कि जिसका पैर गरम, पेट नरम और माथा ठण्डा होता है वह सदा स्वस्थ
और प्रसन्न रहता है। लोग घर में तो एसी लगाते है, पर दिमाग को हीटर बना
देते हैं। उन्होंने कहा कि अगर घर में किसी का माथा जल्दी गर्म हो जाता
है तो घर में ठण्डा-ठण्डा कूल-कूल का पोस्टर लगाए और जैसे ही वह गुस्सा
करे तो उसे उस और इशारा करे। उसका दिमाग अपने आप ठण्डा हो जाएगा।
घर में बड़प्पन रखें-तीसरे मंत्र में संतश्री ने कहा कि घर में बड़ा वो
होता है जो समय आने पर बड़प्पन दिखाता है। याद रखें, 36 इंच सीना उसी का
कहलाता है जो औरों की गलतियों को तुरंत माफ कर देता हैै।
इससे पूर्व संत ललितप्रभ महाराज एवं षांतिप्रिय सागर के नागेष्वर
पाष्र्वनाथ मंदिर पहुंचने पर जैन समाज एवं छत्तीस कौम के श्रद्धालुओं
द्वारा जयकारों के साथ जोरदार स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में अवंती पाष्र्वनाथ टस्ट अध्यक्ष हीराचंद छाजेड़, उपाध्यक्ष
निर्मल कुमार सखलेचा, चन्द्रषेखर डागा, ललितकुमार बाफना, रमेष बांठिया,
विजयचंद कोठारी, महेन्द्र गादिया, नरेन्द्र कुमार धाकड़, रजत कुमार मेहता,
जीर्णोदार समिति के अध्यक्ष पुखराज चैपड़ा, अभय जैन मामा आदि के साथ
महिलाएं उपस्थित थीं।
महाकाल पैलेस में बुधवार को परिवार की खुषहाली का राज पर होंगे भव्य
प्रवचन-संतप्रवर महाकाल पैलेस में बुधवार को सुबह 9 बजे परिवार की
खुषहाली का राज पर प्रवचन-सत्संग करेंगे।