शून्य छाया दिवस क्या है, शून्य छाया दिवस?
खगोलीय घटना में 21 जून को दोपहर के समय एक स्थिति यह भी होगी की परछाई कुछ समय के लिए शुन्य हो जाएगी। इसे शुन्य छाया दिवस कहा जाता है। इसी दिन उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे बड़ा और रात सबसे सबसे छोटी होगी। अगले दिन से दिन छोटे होने लगेगें। शासकीय जीवाजी वेधशाला में दोपहर में खगोलीय घटना दिखाने की व्यवस्था रहेगी।
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया कि पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने (परिक्रमण) के कारण सूर्य हमको कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच गति करता हुआ दिखाई देता है। परिक्रमण पथ की स्थिति में इस वर्ष सूर्य 21 जून को उत्तरी गोलाद्र्ध में कर्क रेखा पर लम्बवत् होगा। कर्क रेखा की स्थिति 23 अंश 26 कला 22 विकला उत्तरी अक्षांश पर है। 21 जून को सूर्य की क्रान्ति 23 अंश 26 कला 17 विकला उत्तरा होगी। उज्जैन कर्क रेखा के नजदीक स्थित है। अत: 21 जून को स्थानीय समय दोपहर 12 बजे (भारतीय मानक समय 12 बजकर 28 मिनट) पर सूर्य, कर्क रेखा पर लम्बवत् होने के कारण परछाई कुछ समय के लिए शून्य हो जायेगी। इसे शून्य छाया दिवस कहते हैं। वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकु यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।
21 जून को दिन 13 घंटे तो रात 10 घंटे की होगी
21 जून को सूर्य अपने अधिकतम् उत्तरी बिन्दु कर्क रेखा पर होने के कारण उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे बड़ा तथा रात्रि सबसे छोटी होती है। 21 जून को उज्जैन में सूर्योदय प्रात: 5:42 पर तथा सूर्यास्त सांय 7:16 बजे पर होगा। इस प्रकार दिन 13 घन्टे 34 मिनट तथा रात्रि 10 घन्टे 26 मिनट की होगी। 21 जून के बाद सूर्य की गति दक्षिण की ओर दृष्टिगोचर होगी, इसे दक्षिणायन का प्रारम्भ कहते है। 21 जून के बाद उत्तरी गोलाद्र्ध में दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगेंगे तथा 23 सितम्बर को दिन-रात बराबर होंगे।