समाज में योग को अपनाने की आवश्यकता योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
उज्जैन- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय
उज्जैन में स्वयं एवं समाज के लिए योग व योग की वैज्ञानिक उपादेयता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला
का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ.जेके श्रीवास्तव ने कहा आज समाज को योग को अपनाने
की आवश्यकता है। बढ़ते हुए प्रदूषण एवं तनाव के युग में प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने व तनाव को
घटाने का प्रमुख साधन योग है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ जितेंद्र जैन आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी शासकीय आयुर्वेद ओषधालय
करोहन ने बताया कि दसवे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूरे विश्व में एक साथ योग दिवस मनाया
जाएगा। योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार
एवं कर्म; आत्म संयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य प्रदान करता
है। योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है।
योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक
परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक होता है। योग एक विज्ञान है जो
शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने का ज्ञान करता है। यह किसी प्रजाति आयु लिंग धर्म
जाति के प्रतिबंधन से मुक्त है। योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है। योग के अनुसार अधिकांश रोग
मानसिक मनो शारीरिक एवं शारीरिक होते हैं जो सोच विचार रहन-सहन तथा खान-पान की गलत आदतों
के कारण मन में उत्पन्न होते हैं जिसका कारण स्वयं से लगाव है। योग का मुख्य उद्देश्य जीवन की सभी
परिस्थितियों में तार्किक सकारात्मक तथा आध्यात्मिक विचारधारा से जीवन शैली में सुधार लाना है। इस
वर्ष का मुख्य विषय है "महिला सशक्तिकरण के लिए योग"। मुख्य उद्देश्य यह है कि महिलाओं के
शारीरिक मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण करना जिससे महिलाएं स्वस्थ
रहें। बढ़ते हुए पीसीओडी केस मासिक धर्म की अनियमितता मेनोपॉसल सिंप्टोम्स महिला प्रजनन तंत्र से
जुड़े हुए रोगों की नियंत्रण के लिए योग अति आवश्यक है मानव मात्र की सशक्तता आत्मविश्वास के लिए
योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं को विशेष रूप से अर्धशलभासन, अर्थउष्ट्रासन, पाद
हस्तआसन, ग्रीवा संचालन, ताड़ासन स्कंद संचालन त्रिकोण आसन वृक्षासन विशेष रूप से योग विशेषज्ञ के
निर्देशन में अभ्यास करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अंजनी कुमार द्विवेदी जी ने किया इस
अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक कर्मचारी छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे कार्यक्रम के अंत में
नियमित योग अभ्यास व स्वस्थ समाज निर्माण के लिए शपथ ली गई।