डूबना मजबूरी...ढाई साल से प्लेटफार्म व रेलिंग के टेंडर लेने कोई नहीं आया
शिप्रा नदी के गुरुनानक घाट के समीप सोमवार सुबह राजस्थान के भीलवाड़ा से आए परिवार की 14 वर्षीय बच्ची माता-पिता की आंखों के सामने नदी में डूब जाती। परिवार को पानी की गहराई व फिसलन के बारे में पता नहीं था। इसी कारण बच्ची नदी में पैर रखते ही गहरे पानी में चली गई। परिवार ने मदद के लिए शोर मचाया वह तो गनीमत रही कि एसडीआरएफ जवान व कुछ तैराक पास ही थे, जो नदी में कूद पड़े व बच्ची को बाहर निकाल लाए। इससे बच्ची की जिंदगी तो बच गई लेकिन उक्त परिवार अब दोबारा शिप्रा स्नान को नहीं आना चाहता है क्योंकि हमारे यहां के जिम्मेदार घाटों पर सुरक्षा व सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। ^पहले दो बार टेंडर करने पर कोई नहीं आया था लेकिन इस बार टेंडर करने पर तीन ठेकेदार आए है। जल्द से जल्द काम शुरू करवा दिया जाएगा।
आशीष पाठक, नगर निगम आयुक्त 1. रामघाट क्षेत्र में जितने भी घाट हैं वहां एक जैसे प्लेटफार्म, रेलिंग, सेफ्टी चेन लगाई जाना थी। 2. घाटों पर 5,10 व 15 फीट व उससे अधिक पानी गहरा है तो उसे लेकर चेतावनी वाले स्पष्ट व स्थायी सूचना बोर्ड, संकेतक लगने थे। 3. घाट पर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व एंबुलेंस का इंतजाम करना ताकि डूबने व घाायल को प्राथमिक उपचार मिल सके। 4. प्रत्येक घाट पर तीन-तीन चेंजिंग रूम व सुविधाघर का निर्माण कराना तथा लॉकर व्यवस्था बनाना। 5. रामघाट से सिद्ध आश्रम तक जितने भी मंदिर हैं सभी के शिखर का रंग एक जैसा किया जाना व नदी में फव्वारे लगाना। कमल चौहान | 1 अप्रैल से 17 जून के दौरान ढाई माह में 12 लोग नदी में डूबते-डूबते बचे व एक युवक की तो जान भी चली गई। कई लोग रोज फिसलन से गिरकर घायल हो रहे है वो तो अलग ही है।
इन सबके बीच शर्मनाक पहलू ये है कि ढाई साल से ज्यादा का समय बीतने को आ गया लेकिन स्मार्ट सिटी व नगर निगम को शिप्रा नदी के रामघाट से भूखी माता घाट तक एक जैसे प्लेटफार्म व रेलिंग अर्थात हरिद्वार की तर्ज पर नदी में जंजीर लगाने के लिए कोई ठेकेदार नहीं मिला। शिप्रा में लगातार हादसों के बाद शिप्रा नदी के घाट व नदी के लिए 13.30 करोड़ की राशि का प्लान स्मार्ट सिटी ने बनाया था। निगम आयुक्त आशीष पाठक से जब भी टेंडर को लेकर बात की गई तो उनका एक ही जवाब रहा कि दो बार टेंडर निकाल चुके है पर कोई ठेकेदार नहीं आया।
17 जून को भावना मालवीय 14 साल भीलवाड़ा गुरुनानक नानक घाट के पास डूब जाती, उसे एसडीईआरएफ जवान जितेंद्र चंदेल, तैराक संतोष सोलंकी व अन्य ने बचाया। 3 जून को राजस्थान निवासी रामनिवास व उनके दो साथी दत्त अखाड़ा घाट पर फिसलन से डूब जाते, जिन्हें तैराकों ने बचाया। 1 जून को नई दिल्ली से आए राहुल पिता सुरेश व राकेश पिता रमेश सिंह स्नान के दौरान गहरे पानी में चले गए, जिन्हें रामघाट के समीप से बचाया गया था। 27 मई को रामघाट पर इंदौर निवासी शुभम कुशवाह व भाई रवि नृसिंह घाट पर डूबने लगे। इस दौरान जवानों व तैराकों ने परिवार के दो सदस्यों को तो बचा लिया लेकिन शुभम का शव अगले दिन नदी से खोज पाए। 24 मई को सिद्ध आश्रम घाट पर राजस्थान के सिरोही से आए अशोक कुमार गहरे पानी में चले गए, जिन्हें मशक्कत कर बचाया जा सका। 13 मई को रामघाट पर 18 साल का सुमित आमले निवासी इंदौर भी पानी की गहराई व फिसलन का अंदाजा नहीं होने से गहरे पानी में चला गया, जिसे बचाया गया। 22 अप्रैल को इंदौर के अंश पिता शैलेष खरे व महाराष्ट्र निवासी चेतन बरेलिया, अजय बरेलिया धर्मराज मंदिर के समीप डूब रहे थे, इन्हें लाइफबाय, थ्रो बैग की मदद से बचा पाए। 8 अप्रैल को नृसिंह घाट ब्रिज के समीप सुनील पिता शंकरलाल मालवीय 25 साल निवासी जांसापुरा को बचाया।