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वंदेभारत स्टैंडर्ड के बनेंगे 40 हजार रेल कोच


रेलवे के 40 हजार डिब्बे वंदे भारत के स्तर के बनेंगे। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी एक बड़ी घोषणा की गई। फ्रेट कॉरिडोर यानी माल ढोने के लिए बनाए जा रहे रेलवे कॉरिडोर के अलावा तीन और रेलवे कॉरिडोर बनाए जाएंगे। ये तीन रेलवे कॉरिडोर हैं-

एनर्जी और सीमेंट कॉरिडोर: इसका इस्तेमाल सीमेंट और कोयला ढोने के लिए अलग से किया जाएगा।
पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर: ये कॉरिडोर देश के प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ेगा।
हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर: ये कॉरिडोर उन रेलमार्गों के लिए बनेगा, जिन पर ट्रेनों की संख्या बहुत ज्यादा है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ीं प्रमुख बातें:

मेट्रो और नमो भारत के तहत चल रहे मौजूदा प्रोजेक्ट्स को बढ़ाया जाएगा।
इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर की घोषणा पिछले साल जी20 समिट के दौरान की गई थी। यह कॉरिडोर भारत और दुनिया के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
कोयले से गैस बनाने की कैपेसिटी को 2030 तक 100 मीट्रिक टन किया जाएगा। इससे नेचुरल गैस, मेथेनॉल और अमोनिया के इम्पोर्ट का खर्च घटेगा।
लक्षद्वीप के साथ ही देश के बाकी द्वीप समूहों में भी पोर्ट कनेक्टिविटी और टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
इस साल केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय, यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर 11.1 प्रतिशत बढ़ा दिया है। अब कैपिटल बजट 11.11 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो GDP का 3.4प्रतिशत  है।

कैपिटल एक्सपेंडिचर वह खर्च होता है, जिसे सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे और अस्पताल बनाने जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए खर्च करती है। यह सरकार का लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट होता है। इससे डेवलपमेंट होता है। नई फैक्ट्रियां बनती हैं। नई नौकरियां पैदा होती हैं। इन सभी कामों से सरकार को टैक्स मिलता है। यानी इससे सरकार कमाई करती है।

मोटे तौर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर का इस्तेमाल चार कामों के लिए किया जाता है:

इन्फ्रास्ट्रक्टर के नए प्रोजेक्ट के लिए।
मौजूदा प्रोजेक्ट को अपग्रेड करने के लिए।
मौजूदा प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस के लिए।
इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार जो लोन लेती है, उसके भुगतान के लिए।

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