सिंहासन बत्तीसी की एक पुतली गायब, अव्यवस्था और अनदेखी का शिकार बना विक्रम टीला
उज्जैन - नगर पालिका निगम ने सिंहस्थ 2016 के पहले करीब पांच करोड़ रुपए की लागत से सम्राट विक्रमादित्य के प्राचीन टीले का सौंदर्यीकरण करवाया था। यहां विक्रमादित्य की विशाल प्रतिमा के साथ परिसर में बत्तीस पुतलियां और राजा के दरबार के सभी नौ रतनों की प्रतिमाएं स्थापित करवाई गई थी। लेकिन रखरखाव नहीं होने से आठ साल में यहां से एक पुतली कम हो गई। उनके स्थान पर केवल बांस और स्टैंड ही रह गया है। सामने लगी पट्टिका से ज्ञात हो रहा है कि 32 में से छठवीं पुतली इंदुमति गायब है। यदि पट्टिका नहीं होती तो पता लगाना भी मुश्किल होता कि कौन सी पुतली यहां से गायब हुई है। ऐसा नहीं है कि यहां लोग और दर्शनार्थी नहीं आते। फिर भी नगर निगम द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे यहां के हालत बिगड़ने लगे हैं। पुतली ही नहीं नौ रतनों में से चार रत्नों की प्रतिमा के लिए लगाए पत्थर भी टूटकर गिर गए हैं।
आपको बतो दें कि सम्राट विक्रमादित्य की 25 फीट ऊंची प्रतिमा सिंहासन बत्तीसी पर विराजमान की गई है। प्रतिमा के सामने सम्राट विक्रमादित्य के नौ रतनों की मूर्तियां और आसपास 5-5 फीट की बत्तीस पुतलियों की प्रतिमा स्थापित की गई थी। हर पुतली के सामने उनके नाम की पट्टिका और कहानी भी लिखी हुई है। यहां उज्जैन के प्राचीन सिक्के और सम्राट विक्रमादित्य कालीन स्वर्ण मुद्राओं को भी देखा जा सकता है।