महाकाल परिसर में खुदाई में मिला एक हजार साल पुराना मंदिर छह महीने में फिर बनाएंगे, सफाई का काम शुरू
महाकाल मंदिर परिसर में ढाई साल पहलेखोदाई में मिले प्राचीन मंदिर के ढांचे को अबपुरातत्व विभाग प्राचीन शैली के शिव मंदिर काआकार देगा। विभाग की ओर से विशेषज्ञों कीदेखरेख में मंदिर निर्माण के लिए आधार स्तंभकी सफाई और पुराने पत्थर के स्ट्रक्चर कोव्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया है।मंदिर का निर्माण राजस्थान के कारीगर करेंगे।पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ.रमेश यादव ने बताया कि एक हजार वर्ष पुराने37 फीट ऊंचे प्राचीन स्वरूप के शिव मंदिरका निर्माण कार्य वहीं से मिले पत्थरों से कियाजाएगा। छह माह पहले मंदिर की स्वीकृतिविभाग से मिलने के बाद निर्माण की कवायदशुरू हुई थी, लेकिन मंदिर में चल रहे निर्माणकार्य और त्योहारों को देखते हुए देर हुई है। 30जनवरी को फिर से मंदिर से निकले पत्थरों कोएकत्रित कर सफाई कार्य शुरू कर दिया गयाहै। पुरातत्व विभाग की देख रेख में काम छहमहीने में पूरा करने का दावा किया जा रहा है।
खुदाई में प्राचीन शिव लिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा, शार्दुलकी प्रतिमा प्राप्त हुई थी। साथ ही भारवाही कीचक और दोहजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल में निर्मितमिट्टी के बर्तन भी मिले थे। विशेषज्ञों की देख रेख में इसस्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेषोंका वर्गीकरण के बाद विभाग ने इन पुरा अवशेषों पर नंबरिंगभी की है। जिससे निर्माण के दौरान जो भाग जहां था, उसेवहीं स्थापित किया जा सके।
महाकाल परिसर में खुदाई में एक हजार साल पुराना मंदिर का काम शुरू हो गया है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में विस्तारीकरण के लिए मुख्य द्वार के सामनेजून 2021 में खुदाई का काम शुरू किया गया था। तब 25 से 30 फीट कीखुदाई के दौरान मिट्टी में दबे प्राचीन मंदिर के पुरा अवशेष प्राप्त हुए थे।जानकारी मिलने के बाद मप्र के पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला नेपुराविद् डा. रमेश यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल गठित कर पुरा संपदाका निरीक्षण कर विभाग को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके बाद आयुक्त नेमहाकाल मंदिर के गौरवशाली इतिहास का संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभागकी निगरानी में खुदाई करवाने का निर्णय लिया था। शोध अधिकारी डा.ध्रूरवेंद्रसिंह जोधा को पुरातत्व विधि से खुदाई करवाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
मंदिर का निर्माण पत्थरों की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। जोहिस्से कम पढ़ेंगे, उन्हें बनाने में समय लगेगा। बताया जा रहा हैकि यहां पर 90 फीसदी पत्थर उपलब्ध हैं। ऐसे में छह महीने मेंकाम पूरा करने का दावा किया जा रहा है। निर्माण के दौरानप्रतिदिन विशेषज्ञ विभाग को रिपोर्ट की जाएगी। प्राचीन मूलस्वरूप में मंदिर निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग ने प्रारंभिकरूप से अनुमानित 65 लाख रुपए खर्च होने का आंकलनकिया है। प्राचीन मंदिर का पुरातत्व विभाग की आयुक्त उर्मिलाशुक्ला के निर्देशन में काम होगा। महाकाल मंदिर आने वालेश्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर से पौराणिक इतिहास जान सकेंगे।