'विद्यार्थी जीवन में गिरते मूल्यों की चिंता' पर कार्यशाला
उज्जैन के शासकीय माधव महाविद्यालय में गुरुवार को भूगोल दर्शन हिंदी संस्कृत विभाग एवं आय.क्यूँ.ए.सेल के संयुक्त तत्वाधान में "विद्यार्थी जीवन में गिरते मूल्यों की चिंता" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता संस्कृत ज्योतिर्विज्ञान एवं वेद अध्ययन शाला के प्राध्यापक डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगॉंवकर थे उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में नैतिक मूल्यों का आधान आवश्यक है। इन मूल्यों के समुचित विकास से विद्यार्थी जीवन सुवासित और सार्थक हो जाता है। विद्या के साथ अविद्या का भी आगम आवश्यक है, विद्या से श्रेय की प्राप्ति होती है। श्रेय और प्रेय इन दो तटों के मध्य विद्यार्थी जीवन का अवदात मार्ग प्रशस्त होता है।
नैतिक मूल्य शाश्वत भी हैं और जीवन की अवस्था के अनुसार विकास पाने वाले भी हैं। परस्पर सम्मान, न्यायप्रियता, करुणा, परिश्रम, कृतज्ञता, त्याग और उदारता इत्यादि गुण सार्वभौमिक हैं। इन मूल्यों का जीवन में विकास आवश्यक है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. जवाहरलाल बरमैया ने बताया कि जीवन में संघर्ष आते हैं। हमारे शिक्षा ही हमारा नैतिक मूल्य को निर्धारित करती है।
संयोजक डॉ. शोभा रानी मिश्र ने अतिथि परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जफर महमूद द्वारा किया गया। कार्यशाला संयोजक डॉ. आर. आर. गोरास्या द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं इन्हे पुनर्निर्धारित करने की आवश्यकता है। आयोजन सचिव डॉ. मोहन निमोले के नेतृत्व में एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहे डॉ. कनिया मेडा, डॉ. केशवमणी शर्मा, डॉ. अल्पना दुभासे, डॉ. अंशु भारद्वाज, डॉ. मृदुल शुक्ला, डॉ. सीमाबाला आवस्या, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. नीरज सारवान, डॉ. नलिनी तिलकर, प्रो. रायसिंह सोलंकी, डॉ. रुबीना अर्शी, डॉ. शानो खान, डॉ. मोहित पांचाल, भूगोल विभाग के शोधार्थी सौदान सिंह चौहान, दशरथ प्रसाद सहित 150 से अधिक विधार्थी/एन.सी.सी./एन.एस.एस. के कैडेट्स व स्टाफ उपस्थित रह कर कार्यशाला में सहभागीता की।