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17 प्रोफेसर की जरूरत, पदस्थ सिर्फ 2, कुछ विभागों में एक भी नियमित शिक्षक नहीं


महाविद्यालय में बीएएमएस के साथ ही पांच विषयों में एमडी और एमएसहोता है। अभी काय चिकित्सा, पंचकर्म, प्रसूति तंत्र और स्त्री रोग, द्रव्यगुण,रचना शरीर में स्नातकोत्तर हो रहा है। महाविद्यालय में व्याख्याता की संख्या21 होना चाहिए, जबकि 11 नियुक्त है। रीडर 17 होना चाहिए इनमंे से 12कार्यरत है और 17 प्रोफेसर होना चाहिए जबकि केवल 2 ही पदस्थ है। सालोंसे नियुक्ति और पदोन्नतियां नहीं होने के चलते पद खाली पड़े हैं।

हर महीने हो रही 500 से 600 सर्जरी डॉक्टर केवल एक

प्रोफेसर की कमी के चलते महाविद्यालय के साथ अस्पताल का काम भीप्रभावित होता है। जनवरी में अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या6928 रही।

वहीं 59 नॉर्मल और 10 ऑपरेशन से प्रसव हुए। सभी ओपीडीको संभालने के लिए एक-एक डॉक्टर हैं और इनमें से कई लैक्चर लेनेमहाविद्यालय भी जाते हैं। वहीं हर महीने अस्पताल में 500 से 600 सर्जरीहोती है और पूरी ओपीडी को संभालने के लिए एक ही सर्जन है, जो किक्लास लेने भी जाते है। ऐसे में पूरा लोड अस्पताल के विभागों पर भी पड़ताहै। चिकित्सकों की कमी के कारण रोगियों को इंतजार करना पड़ता है। शल्यविभाग, शालाक्य विभाग, रोग निदान, बाल रोग जैसे विभागों में एक-एकचिकित्सक शिक्षक है, जिसके कारण से मरीजों को कई-कई दिनों तकऑपरेशन के लिए समय लेना पड़ता है।

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