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आयुर्वेद जीवन का विज्ञान, कृषक औषधीय पौधों की खेती कर आर्थिक लाभ ले सकते हैं


उज्जैन 29 जनवरी। मध्य प्रदेश राज्य औषधि पादप बोर्ड व आयुष विभाग मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार देवारण्य योजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन में औषधीय पौधों अश्वगंधा तुलसी शतावरी की खेती के लिए गत दिवस दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। उद्घाटन सत्र में जिला आयुष अधिकारी डॉ मनीषापाठक ने बताया कि जिस शास्त्र में औषधीयो के गुणधर्म रस गुण विपाक आदि का वर्णन हो उसे आयुर्वेद कहते हैं आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है आज आवश्यकता है बढ़ती हुई जनसंख्या की रोगों के निदान के लिए उत्तम गुणवत्ता युक्त औषधि की। आयुर्वेद में अश्वगंधा को रसायन औषधि शतावरी को स्तन्यजनन और तुलसी को विषमज्वरघ्न कहा है।
दो दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान बताया कि किसान औषधीय पौधों की खेती कर अपनी आर्थिक उन्नति कर सकते है।कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आरपी शर्मा ने कृषकों को औषधीय पौधों का प्रक्षेत्र भ्रमण मृदा की जीवटता व मृदा जैव विविधता की सुरक्षित तकनीक की जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र शाजापुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.जीआर अंबावतिया के द्वारा औषधीय पौधे अश्वगंधा शतावरी तुलसी का महत्व बताते हुए भारत में औषधीय पौधों के विक्रय हेतु स्थानीय मंडियो एवं मूल्य की जानकारी दी। वैज्ञानिक डॉ.डीएस तोमर ने कृषकों से औषधीय पौधों की समन्वित कटाई एवं पौध सुरक्षा के बारे में विस्तृत चर्चा की। कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन उद्यानिकी सहायक डॉक्टर रुचिता कनौजिया के द्वारा कार्यशाला में किसानों को औषधीय पौधे अश्वगंधा शतावरी और तुलसी की उन्नत खेती की विधि एवं उपयोगिता बताते हुए खेत की तैयारी से लेकर औषधीय पौधों की कटाई एवं भंडारण तक प्रयोग में आई जाने वाली तकनीकों से कृषकों को अवगत कराया। प्रशिक्षण में फसलों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जीवामृत नीमास्त्र केंचुआ खाद के प्रयोग पर बल दिया। दो दिवसीय कार्यशाला में उज्जैन जिले के 35 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.जितेंद्र जैन ने किया। आयुष विभाग से डॉक्टर लोकेंद्र सूर्यवंशी श्री आशुतोष पांचाल सोलीडरीडाड से जिला कार्यक्रम समन्वयक कृतिका जोशी बलराम सिंह सिसोदिया उपस्थित रहे यह जानकारी कार्यक्रम के नोडल प्रभारी डॉक्टर विशाल सोलंकी ने दी।

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