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युद्धग्रस्त सूडान से भोपाल लौटे जयंत बोले- बहुत दहशत थी


मध्य प्रदेश| सूडान में युद्ध के बीच फंसे ​भोपाल के कारोबारी जयंत केवलानी गुरुवार सुबह सुरक्षित घर लौट आए। जैसे ही वह एयरपोर्ट से बाहर निकले, परिवार खुशी से झूम उठा। पिता नरेंद्र केवलानी ने गले लगाकर बेटे को चूम लिया। घर में जयंत का फूलों से स्वागत हुआ। युवा कारोबारी जयंत सूडान में बिजनेस मीटिंग में गए थे। पिता समेत परिजन ने सरकार का आभार माना। जयंत सूडान में 11 दिन फंसे रहे।जयंत को दूसरे भारतीयों के साथ सूडान से जेद्दाह (सऊदी अरब) लाया गया। वे बुधवार रात में ही जेद्दाह से दिल्ली पहुंच गए थे। दिल्ली से फ्लाइट से वे गुरुवार सुबह भोपाल पहुंचे। दैनिक भास्कर से उन्होंने बातचीत में कहा- युद्धग्रस्त खार्तून (सूडान की राजधानी) में वे जहां रह रहे थे, उसके ठीक सामने मिलिट्री कैंप था। घर में ही कैद थे। बाहर नहीं निकल सकते थे। गन शॉट की आवाजें आती थीं, दहशत में थे, परिवार के बीच आकर सुकून है। वहां खाने-पीने की भी कमी हो गई थी।

2 - 3 मिनट के लिए तो लोकल फोर्स के बीच में था
जयंत ने बताया, मैं 20 मार्च को बिजनेस मीटिंग के लिए सूडान गया था। 1 महीने के लिए वहां रुकना था। 20 अप्रैल को वापसी थी, लेकिन इस बीच 15 अप्रैल को युद्ध शुरू हो गया। 2 - 3 मिनट के लिए तो लोकल फोर्स के बीच में था। शुरुआती 5 दिन तो बहुत दिक्कतें आईं, इसके बाद हमारी आवाज बाहर सरकार तक पहुंची। आदेश दूतावास पहुंचाया और हमें निकाल लिया गया।खार्तून में मैं अमारादेरिया में रुका था। खाने-पीने की भी थोड़ी दिक्कतें आईं। खार्तून में जहां मिलिट्री कैंप था, लड़ाई चल रही थी, वहां बाहर का तो कुछ देखने को नहीं मिलता था, बस गनशॉट की आवाजें आती थीं, दहशत थी, परिवार के बीच आकर सुकून है।

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