छात्रों के हित में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में खाली पद भरे जाएँ
संदीप कुलश्रेष्ठ
प्रदेश में 14 सरकारी विश्वविद्यालय है। इन सभी विश्वविद्यालयों में करीब 73 प्रतिशत पद खाली है। यह अत्यन्त दुःखद है। छात्रों और अभिभावकों के हित में सभी रिक्त पदों में शीघ्र पूर्ति की जाना जरूरी है। यदि विश्वविद्यालयों में शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो विद्यार्थियों को पढ़ायेगा कौन ?
प्रदेश में 1128 पद रिक्त -
प्रदेश में कुल 14 विश्वविद्यालय है। इनमें विभिन्न श्रेणी के 1535 पद स्वीकृत है। इनमें से केवल 407 पद पर ही शिक्षक कार्यरत है। कुल 1128 पद खाली है। इन सभी रिक्त पदों की पूर्ति की जाना बहुत जरूरी है। विश्वविद्यालयवार खाली पदों का प्रतिशत इस प्रकार है- बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में 62.85 प्रतिशत, मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल में 79.62 प्रतिशत, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल में 51 प्रतिशत, अवधेशप्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में 76 प्रतिशत पद रिक्त है। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की हालत भगवान भरोसे है। यहाँ के राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा में 175 पद स्वीकृत है। इनमें से कोई भी कार्यरत नहीं है। इस प्रकार विश्वविद्यालय के सभी 175 पद रिक्त है। इस प्रकार इस विश्वविद्यालय ने खाली पदों में रिकॉर्ड कायम करते हुए 100 प्रतिशत रिक्त होने का गौरव हासिल किया है ! देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में 61.68 प्रतिशत , जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर में 69.23 प्रतिशत, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर में 52 प्रतिशत और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में 84 प्रतिशत पद रिक्त है। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में 69 प्रतिशत और उज्जैन के ही महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन में 80 प्रतिशत पद रिक्त है। महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय वि.वि चित्रकूट में 54 प्रतिशत, डॉ. बी आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान वि.वि महू में 93 प्रतिशत और पं.एस.एन शुक्ल वि.वि शहडोल में 80 प्रतिशत रिक्त है।
ए+ और ए++ ग्रेड वि.वि में भी हालत गंभीर -
इसमें सबसे दःुखद बात यह भी है कि प्रदेश के दो ही विश्वविद्यालय को ए+ और ए++ प्राप्त हुआ है। उसमें भी हालत अत्यन्त गंभीर है। ए+ ग्रेड के देवी अहिल्या वि.वि इंदौर में 61.68 प्रतिशत पद रिक्त है। इसी प्रकार ए++ ग्रेड प्राप्त ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों के 69.23 प्रतिशत पद रिक्त है। पूरे प्रदेश के इन दोनों विश्वविद्यालय की यह हालत शर्मनाक है।
राज्यपाल ने ली थी समीक्षा बैठक -
प्रदेश के राज्यपाल महामहिम मंगूभाई पटेल ने 17 मार्च को हुई समीक्षा बैठक लेकर सभी विश्वविद्यालय को निर्देश दिए थे कि तीन महीने में रिक्त पदों की पूर्ति कर ली जाए। राज्यपाल द्वारा ली गई बैठक को करीब एक माह से अधिक समय हो गया है। किन्तु दुःखद यह है कि अभी तक विश्वविद्यालयों द्वारा रिक्त पदों की पूर्ति के लिए कोई विज्ञापन भी जारी नहीं किया गया है। यह अत्यन्त दुःखद स्थिति है। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस बारे में गंभीरता से पहल करने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार गंभीर प्रयास करें -
प्रदेश के सभी 14 विश्वविद्यालयों के इस खराब हालत के लिए राज्य सरकार भी उतनी ही दोषी है, जितने की वि.वि के कुलपति ! अतः राज्य सरकार को चाहिए कि वह महामहिम राज्यपाल के निर्देश को गंभीरता से लें और प्रदेश के वि.वि की शैक्षणिक हालत सुधारने के लिए तुरन्त पहल करें। इसी के साथ वह सभी वि.वि में समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर निर्देश ही न दें, बल्कि उसकी सतत समीक्षा कर सभी वि.वि के रिक्त पद को भरें, ताकि प्रदेश के युवाओं का भविष्य अंधकारमय होने से बच सके।
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