top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << सबसे बड़ी आबादी को वरदान में बदले भारत : चीन से सीखने की है जरूरत

सबसे बड़ी आबादी को वरदान में बदले भारत : चीन से सीखने की है जरूरत


डॉ. चन्दर सोनाने

                            यूनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फंड ( यूएनएफपीए ) द्वारा हाल ही में जारी स्टेट ऑफ वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट-23 में जो आंकड़े जारी हुए है उसमें भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। भारत की कुल आबादी 142.86 करोड़ हो गई है। चीन की आबादी हाल फिलहाल 142.57 करोड़ है। अर्थात् चीन से भारत की आबादी करीब 29 लाख ज्यादा है। अब भारत चीन को पछाड़कर आबादी के मामले में दुनिया में पहले नम्बर पर आ गया है।
                           दुनिया की कुल आबादी इस समय करीब 800 करोड़ के पार पहुँच चुकी है। इस प्रकार हर पाँचवें व्यक्ति में एक व्यक्ति भारतीय है। इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ अनेक प्रश्न भी सामने खड़े हो गए है। किन्तु हमें आज चीन से सीखने की जरूरत है। आज से करीब 33 साल पहले 1990 में चीन की आबादी करीब 118 करोड़ थी। इस प्रकार चीन दुनिया में सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश उस समय था। यहाँ हमें यह देखने की जरूरत है कि कैसे चीन आश्चर्यजनक प्रगति करते हुए विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे नम्बर पर शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित हो गया। 
                          वर्ष 1990 में चीन की औसत उम्र करीब 25 साल थी। आज हमारे देश की औसत उम्र 28 साल है। चीन का फर्टिलिटी रेट 2.7 प्रतिशत था। आज हमारा 2 प्रतिशत है। उस समय चीन की साक्षरता दर 78 प्रतिशत थी। आज हमारी भी साक्षरता दर 78 प्रतिशत ही है। उस समय चीन में 15 से 24 साल के बीच के 22 प्रतिशत लोग थे। आज हमारे देश की भी स्थिति करीब इसी समान है। अर्थात यह कहा जा सकता है कि आज हम विश्व की सबसे ज्यादा युवा आबादी के पास खड़े हैं, जहाँ 33 साल पहले चीन खड़ा था। 
                          चीन ने बड़ी आबादी को समस्या नहीं मानते हुए समाधान माना। 1992 में चीन की आबादी में 85 प्रतिशत लोग वर्कफोर्स में शामिल थे। आज हमारे देश में केवल 52 प्रतिशत ही वर्कफोर्स का हिस्सा है। बेहतर स्कील ट्रेनिंग के बल पर हम 30 प्रतिशत लोग और इसमें जोड़ लें तो किसी भी महाशक्ति को पछाड़ सकते हैं। यूएनएफपीए की भारतीय प्रतिनिधि एंड्रिया वोजनर ने कहा भी है कि भारत की बड़ी कामकाजी आबादी अर्थव्यवस्था को बुलन्दी तक पहुँचा सकती है। इसके लिए भारत को पुरजोर कोशिश की जरूरत है। इसके लिए केन्द्र शासन को चाहिए कि वे चीन के पिछले 30 साल में विश्व की महाशक्ति बन जाने की कहानी के पीछे कारणों का पता लगाएँ । और उनमें भारत के परिवेश के अनुसार परिवर्तित करते हुए ऐसा कार्य करे कि भारत भी आगामी 30 साल में विश्व की महाशक्ति बनकर दिखा दें। 
                            विश्व की महाशक्ति बनने के लिए देश के युवाओं को साधने की जरूरत है। उनको उनकी योग्यता के अनुरूप व्यवहारिक कार्य का प्रशिक्षण देकर क्रियाशील फोर्स में परिवार्तित करने की जरूरत है। आज विश्व के सबसे ज्यादा युवा हमारे देश में है। ये युवा ही भविष्य का निर्माण कर सकते है। इसलिए युवा पर केन्द्रित योजनाएँ ही संचालित की जानी चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय यह है कि हमारे देश में 66 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। इसके साथ ही 10-24 साल की आयु वाले 26 प्रतिशत है। इन्हीं को केन्द्र पर रखकर योजना बनाने और उसे समयबद्ध तरीके से लागू करने की जरूरत है। 
                          चीन में वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी करीब 61 प्रतिशत है। वहीं भारत की अभी केवल 20 प्रतिशत ही है। जबकि वैश्विक औसत भी 47 प्रतिशत के करीब है। इसलिए महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी बढ़ाने के लिए चहुँमुखी विकास करने की सख्त आवश्यकता है। हमारे देश की एक खास बात यह भी है कि यहाँ लेबरफोर्स बहुत सस्ता है। अपने देश में न्यूनतम मजदूरी 178 रूपए प्रतिदिन है। यह उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों में सबसे कम है। इस कारण भारत में विकास की अनंत संभावनाएँ भी है। इसके लिए देश में मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की जरूरत है। इससे रोजगार भी बढ़ेंगे। 
                             चीन ने दुनिया में सबसे अधिक आबादी को समस्या नहीं मानते हुए संभावनाएँ मानी और इसी आबादी को माध्यम बनाकर दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी शक्ति के रूप में बदल डाला। चीन ने करीब 33 साल पहले अपनी आबादी को जरिया बनाकर इस प्रकार रोजगार का सृजन किया और अपनी अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत किया कि दुनिया उसे चमत्कार मान बैठी, उसे ही आज समझने की जरूरत है। और अपने देश में लागू करने की आवश्यकता है। अच्छी बात कहीं से भी सीख जा सकती है। चीन से सीखने में कोई बुराई नहीं है। भले ही वह हमारा दुश्मन देश ही क्यों न हो। 
                        एक अैर महत्वपूर्ण बात यह है कि बढ़ती आबादी का सीधा मतलब है बड़ा बाजार। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी आज हमारे देश की है। यानी अनंत संभावनाओं के द्वार खुलना अभी बाकी है। इसके लिए देश के बहुत बड़ी बेरोजगारी को भी एक संभावना के रूप में देखने की आवश्यकता है। किन्तु दुःखद यह है कि देश के एक तिहाई युवा बेरोजगार होने के बावजूद उसके पास न तो बेहतर शिक्षा है ओर न ही बेहतर कौशल। इसलिए युवाओं और बेरोजगारों को बेहतर कौशल प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। इससे वे योग्य बन सकेंगे और खुद काम करते हुए अन्य को भी रोजगार दे सकेंगे। इसके साथ ही देश में व्याप्त गरीबी, भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं को भी दूर करने के लिए चहुँमुखी विकास करने की आवश्यकता है। देश की बड़ी आबादी को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की भी आवश्यकता है। इस ओर भी बहुमुखी प्रयास करने की आवश्यकता है। 
                      हमारा देश गाँव प्रधान है। अभी भी करीब 70 प्रतिशत आबादी गाँव में ही रहती है। इसलिए यह भी बहुत जरूरी है कि गाँवों में वे सब सुविधाएँ उपलब्ध करा दी जाएँ, जो शहरों में उपलब्ध है। गाँव को शहर में उपलब्ध सुविधाओं से लेस करने की आवश्यकता है। यह सब हो सकता है। देश महाशक्ति बन सकता है। बस जरूरत इस बात की है कि करीब 33 साल पहले चीन ने जो विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर काम किए हैं, उसको देखने, समझने और अपनाने की आवश्यकता है। यहाँ यह भी जरूरी है कि उन प्रयासों को यथावत अपनाने की बजाय भारत के परिवेश के अनुसार कार्य किए जाने की जरूरत है। यह सब होगा तो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में बड़ी हुई आबादी, समस्या नहीं वरदान सिद्ध होगी !
                                        -------- ००० --------

Leave a reply