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चुनावी साल... पांचों नही दसों अंगुलियां घी में और सिर कढ़ाई में


ना काहू से बैर

राघवेंद्र सिंह ,वरिष्ठ पत्रकार
भोपाल- देसी कहावत तो "पांचों अंगुलियां धी में और सिर कढ़ाई में"... वाली है लेकिन मामला चुनाव का है । हमारे राजनेता और उनके दल बनी बनाई लकीर पर कहां चलते हैं ऐसे में लाजिमी है दसों अंगुलियां घी में और सिर कढ़ाई में होगा। यह सब देखेंगे भी। सत्ता पाने के लिए नैतिकता का नया दौर है।  दलों के ठेकेदार, इवेंट कम्पनियों के साथ छोटे बड़े मीडिया हाऊस भी रेले की भांति बहती गुड़ की भेली, चाशनी के कढाओ, मधुमक्खी के छत्ते से टपकती शहद को चाटने जोडजुगाड़ में सर्कस करते दिखेंगे। इसलिए सब कुछ बदल सा रहा है। चुनावी साल है क्या कह सुन कर वोट पाने या कहे कि लूटने -ठगने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो चुकी है।
                       इस दफा दलों ने वोट बैंक के लिहाज से निशाने थोड़े बदले हुए रखें है। मसलन अल्पसंख्यक वोट पर कम आदिवासी, ओबीसी के साथ दलित वर्ग के वोट पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। हाल ही में संविधान निर्माता बाबा भीमराव आम्बेडकर की जयंती के अवसर पर दलितों का दिल जीतने के लिए दलों और उनके नेताओं ने तो कलेजा निकाल कर दलितों को देने के वादे कर डाले। महू के अलावा अन्य शहरों में भी आम्बेडकर धाम बनाने की कवायद शुरू कर दी है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में अंबेडकर धाम बनाने के लिए सरकार से जमीन भी मांगी है। उन्होंने कहा मेरी पत्नी के पुरखों ने तो बाबा भीमराव अंबेडकर को विदेश पढ़ाने के लिए भी भेजा था। तात्पर्य की हम बाबा अंबेडकर और दलितों के ज्यादा बड़े शुभचिंतक है। इधर मध्यप्रदेश आए भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण ने कहा आजाद सामाजिक दल बनाकर मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं और इसमें भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर छोटे दलों कुल मिलाकर एक मजबूत गठबंधन तैयार करेंगे उन्होंने यहां तक का दूसरे दलों में जो दलित नेता है वे एक तरह से किराए के घर में है उन असली दल आजाद सामाजिक दल होगा। दूसरी तरफ भाजपा  अगले चुनाव को देखते हुए दो उपमुख्यमंत्री पद बनाने की बात कर रही है।इनमें एक दलित तो दूसरा आदिवासी वर्ग से होगा। एमपी में चुनाव तो दिसम्बर 23 में होंगे लेकिन रणनीति अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर बनाई जा रही है। जाहिर घोषणाओं में कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी कहां पीछे रहने वाली है। यह दोनों दल भाजपा की काट ढूंढने की जबरदस्त कोशिश करेंगे। भाजपा ने दलित और कमजोर वर्ग के नेताओं को उनकी समाज व वर्ग से जुड़े बोर्ड गठित किए जाएंगे। इन बोर्ड के अध्यक्ष मंत्री का दर्जा देकर नवाजे जाएंगे। यह सब चुनाव की महिमा है और इससे कोई दल अछूता नही है। बल्कि इसके लिए बहुत दिलचस्प गलाकाट होड़ भी देखने को मिलेगी। जल्द ही दूसरे दल कोई बड़ा ऐलान करते दिखेंगे।
                         मुफ्त का ऐलान करने में आम आदमी पार्टी को तो विशेषज्ञता हासिल है। दिल्ली और पंजाब के बाद गुजरात चुनाव में उसने मुफ्त की बिजली पानी और युवाओं के साथ महिलाओं को उनके खाते में सीधे पैसे देने की बात की है। मध्यप्रदेश को लेकर केजरीवाल एंड कंपनी प्रथक से घोषणा पत्र जारी करेंगे। फिलहाल केजरीवाल दिल्ली में शराब नीति घोटाले के कारण सीबीआई की पूछताछ में उलझे हुए हैं जैसे वह सीबीआई से फुर्सत होंगे उनका ध्यान मध्यप्रदेश पर केंद्रित होगा। कर्नाटक में कांग्रेस कह चुकी है कि दो सौ यूनिट बिजली फ्री देंगे। गरीबों को दो हजार, युवाओं को तीन हजार रु महीना सरकार बनी तो केबिनेट की पहली बैठक में देने का निर्णय कर देंगे।

समझ लीजिए कि जनसंख्या के बोझ से दबी जा रही पृथ्वी पर ऐसी खुशहाली आने वाली है कि देवता भी ईर्ष्या कर इंद्रलोक छोड़ धरा पर आने का मन करें तो हैरत मत करिए। झूठे वादे करने और उन्हें ही ओढ़ने बिछाने का जो दौर शुरू हुआ है उसे भगवान भी रोकना चाहें तो हमारे नेतागण शायद ही रुकें। राजनीतिक दलों के लिए घोषणाओं को तौर पर स्वर्ग जमीन पर उतारने जैसी गप्पे लगाने का मौका मौसम और दस्तूर शुरू हो चुका है। इलेक्शन ईयर होने के कारण वोट के बदले रिटर्न गिफ्ट का भी दौर दौरा शुरू हो गया है। 

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 10 मई को होना है और 13 मई को नतीजे घोषित हो जाएंगे। कह सकते हैं वोटर और वर्कर्स की पांचों अंगुलियां भी में और सर कढ़ाई में। 2024 में लोकसभा चुनाव तक कार्यकर्ताओं की पूछ परख बढ़ेगी और शायद उनके अच्छे दिन आने वाले हैं । इसलिए हम फिर कहेंगे दसों अंगुलियां घी में और सिर...

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