36 मौतों का जिम्मेदार कौन ? परिजनों को है न्याय का इंतजार
डॉ. चन्दर सोनाने
लगातार कई साल तक स्वच्छ शहर में देशभर में प्रथम स्थान पर रहे इन्दौर के नाम पर गत गुरूवार को रामनवमी के दिन कालिख लग गई। इन्दौर के पटेल नगर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर में कुएँ धंसने से हुए दर्दनाक हादसे में मौतों की संख्या 36 हो गई। जिला प्रशासन के अधिकारी पीड़ितों को समय पर राहत दिलाने में नाकाम रहे। इसी कारण एक के बाद एक 36 मौतें हो गई। इस घटना के जिम्मेदार कौन है ? जिनके घर के चिराग बुझ गए, उनके परिजन अब न्याय का इंतजार कर रहे हैं ! जिला प्रशासन के प्रमुख कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और नगर निगम आयुक्त को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए और इसकी उच्च स्तरीय जाँच की जानी चाहिए। जाँच में दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई करने से ही पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा ! इंदौर में कोरोना के बाद पहली बार एक साथ सामूहिक चिताएँ जली। पूरा शहर गमगीन रहा।
इन्दौर के इतिहास में ऐसी दर्दनाक घटना संभवतः पूर्व में नहीं हुई। जिला प्रशासन द्वारा दुर्घटना के काफी देर बाद आर्मी और एनडीआरएफ को बुलाया गया। इस दर्दनाक घटना के लिए जिला प्रशासन के पास प्राथमिक रूप से जो संसाधन चाहिए थे वो संसाधन भी जिला प्रशासन समय पर उपलब्ध कराने में पूर्ण रूप से असमर्थ रहा। इसलिए प्राथमिक रूप से जिला प्रशासन के प्रमुख अधिकारी कलेक्टर, एसपी और नगर निगम के आयुक्त ही जिम्मेदार दिखते हैं ! इनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई होना ही चाहिए।
दुःखद यह भी रहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर आए भी और केवल अफसोस जताकर चले गए। उनकी वह छवि कहीं दिखाई नहीं दी, जिसमें वे कहते आए हैं कि दोषियों का गाड़ दूंगा, मिटा दूंगा, नेस्तनाबूत कर दूंगा। वे इन्दौर आए और चले गए। उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा कि दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी। यह अपने आप में अत्यन्त दःुखद और आश्चर्यजनक रहा। मुख्यमंत्री को 36 मौतों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को ऐसे ही नहीं बख्शना चाहिए ! इस हादसे में पीड़ितों ने जिन परिजनों को खोया है, उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता है और न ही उनकी पूर्ति की जा सकती है, किन्तु दोषियों के विरूद्ध जब तक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मृतकों के परिजनों को न्याय नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री का इंदौर दौरा इस मामले में भी आश्चर्यजनक रहा कि उन्होंने एक बार भी इस दुःखद दुर्घटना के लिए जाँच करने की घोषणा भी नहीं की !
पुलिस ने श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सोमनानी के खिलाफ भादवि की धारा 304 ए के तहत मात्र केस दर्ज किया, उनको गिरफ्तार तक नहीं किया। नगर निगम ने भी मात्र औपचारिकता ही निभाई है। नगर निगम आयुक्त ने जोन 18 के भवन अधिकारी आर पी अरोलिया और भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को निलंबित कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली। महापौर ने शहर के कुएँ, बावड़ी और नदियों पर हुए अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश देकर अपना औपचारिक कर्तव्य निभा दिया। कलेक्टर ने तो कुछ भी करना जरूरी नहीं समझा।
जिला प्रशासन की नाकामियों के अनेक उदाहरण लोग ही गिना रहे हैं। इस हादसे ने रेस्क्यू ऑपरेशन की कलई खोलकर रख दी। इस टीम के पास मजबूत रस्सी तक नहीं थी। रस्सी के टूटने से महिला सहित दो लोग जो कुएँ से जिंदा बचाकर ऊपर लाए जा रहे थे, वे फिर कुएँ में गिर गए और उनकी जान चली गई। एनडीआरएफ और सेना को बुलाने में बहुत देरी की। बिजली की व्यवस्था तक समय पर नहीं हो सकी। सर्च लाइट तक का बंदोबस्त समय पर नहीं हो सका। टॉर्च से ही पीड़ितों की खोज खबर ली जाती रहीं। कुएँ का पानी निकालने की कार्रवाई समय पर नहीं की गई। मजबूत सीढ़ी ही नहीं थी। रस्सी की सीढ़ी से ऊपर लाया जा रहा था। जिला प्रशासन के लोग बावड़ी की गहराई और उसमें उपस्थित पानी का अनुमान लगाने में भी असफल सिद्ध हुए। शुरूआत में 4 -5 फीट पानी होने की बात कही गई। बाद में पता चला कि कुएँ में 30 फीट तक पानी था। कुएँ धंसने से कितने लोग कुएँ में गिरे ? इसका अनुमान लगाने में भी वे असफल रहे और केवल 5-7 लोगों का ही अनुमान लगाते रहे। और इतने लोगों को ही निकालने के लिए संसाधन जुटाए गए। किसी को यह भी पता नहीं था कि कुएँ में बहुत गाद है और नालियों का गंदा पानी भी उसमें आ रहा था।
अब सवाल यह है कि कुएँ को अस्थायी रूप से बंद किसने किया? कुएँ पर अतिक्रमण कर मंदिर का निर्माण किसने किया ? नगर निगम ने जब यह माना था कि कुएँ पर अवैध निर्माण हुआ है और अतिक्रमण हुआ है तो उसने मात्र नोटिस देकर अपने कर्तव्य की पूर्ति कैसे मान ली ? इसकी भी जाँच की जानी चाहिए। इसमें किसी भी स्थिति में राजनीति आड़े नहीं आना चाहिए और न ही किसी को राजनीति करना चाहिए।
इन्दौर की इस दुःखद दुर्घटना में 36 मौतों के परिजन चिख-चिखकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। किन्तु अभी तक की घटना से ऐसी नहीं लगता कि उनकी गुहार को शासन-प्रशासन गंभीरता से ले रहा है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे तुरन्त विशेष जाँच दल गठित कर उसकी निष्पक्ष जाँच कराए और दोषी पाए गए तमाम लोगों को सजा दें, तभी पीड़ितों के परिजनों को न्याय मिल सकेगा !
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