‘रावण’ से भाजपा-कांग्रेस की पेशानी पर बल....
राज-काज
दिनेश निगम ‘त्यागी’,वरिष्ठ पत्रकार
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने रावण से टेलीफोन पर बात होने की जानकारी दी थी। उनकी बात में कितनी सच्चाई है पंडित जी ही जाने, लेकिन एक दूसरा रावण उन्हें चुनौती देने शुक्रवार को छतरपुर जा धमका। रावण यानि भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद। शास्त्री का पिछड़े वर्ग के नेताओं प्रीतम लोधी एवं आरडी प्रजापति के साथ पंगा चल रहा है। लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के रिश्तेदार हैं और प्रजापति खुद भाजपा विधायक रहे हैं। अब उनका बेटा भाजपा से विधायक है। लोधी और प्रजापति ने शास्त्री पर कुछ आरोप लगाए थे, जवाब में पंडित जी ने कहा था कि वे इन्हें मसल देंगे। शास्त्री के भाई शालिगराम ने दलित परिवार की शादी में हंगामा किया था, तब भी रावण पहुंचे थे और दलित परिवार के साथ खड़े होने का एलान किया था। इस बार उन्होंने कहा कि वे प्रजापति के साथ हैं, जो उन्हें आंख दिखाएगा, उसका इलाज कर दिया जाएगा। रावण ने सीधे कथावाचकों को चेतावनी दी। रावण ने छतरपुर में शक्ति प्रदर्शन कर ताकत भी दिखाई। रावण बसपा का वोट बैंक अपनी ओर खींचने की कोशिश में हैं। लोधी के बाद प्रजापति और अब रावण, ऐसा लगा रहा है कि कथावाचक बनाम दलित-पिछड़ा वर्ग का माहौल बन रहा है। रावण की ऐसी एंट्री से भाजपा और कांग्रेस की पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं।
जनाब! इसे लाशों पर राजनीति करना नहीं कहते....
प्रदेश का महू कांड इस समय गरमाया हुआ है। इसमें पहले एक आदिवासी महिला की मौत हुई। इसके बाद उग्र भीड़ पर पुलिस फायरिंग से एक आदिवासी युवक की मौत हो गई। इसे लेकर कांग्रेस राज्य सरकार पर हमलावर है। शुक्रवार को उसने इतना हंगामा किया कि विधानसभा की कार्रवाई नहीं चल सकी। कांग्रेस गुस्सा इस बात पर है कि मृत महिला के परिजनों और मृतक आदिवासी युवक के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज हो गया। जबकि सरकार ने मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी की है। कांग्रेस ने हंगामा किया ही, कांग्रेस की महिला विधायक विजयलक्ष्मी साधौ सदन के अंदर रोने लगी। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा आदिवासी वर्ग की दुश्मन बनी हुई है। पीड़ितों को न्याय देने की बजाय उन पर ही प्रकरण लादे जा रहे हैं। भाजपा कह रही है कि कांग्रेस लाशों पर राजनीति कर रही है। एक आदिवासी महिला की मौत के बाद पुलिस फायरिंग में एक आदिवासी युवक की भी मौत हो गई। ऐसे में भी यदि विपक्ष राजनीति नहीं करेगा, तब तो उसे किसी मंदिर में बैठकर झांझ,मंजीरे बजाना चाहिए। जनाब! इसे लाशों पर राजनीति नहीं कहते, यह तात्कालिक गंभीर घटना पर किसी भी दल की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। भाजपा विपक्ष में होती तो इससे ज्यादा हंगामा करती।
राहुल के खास फिर भी पार्टी ने मझदार में छोड़ा....
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के साथ जो हुआ, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। उन्हें विधानसभा में पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, बावजूद इसके सदन चल रहा है और जीतू पटवारी घर बठे हैं। बजट सत्र के पहले चरण में विवाद पर ऐसा लगा था कि यदि पटवारी का निलंबन वापस न हुआ तो कांग्रेस सदन नहीं चलने देगी। आनन-फानन विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी गई थी। सत्तापक्ष ने भी सज्जन सिंह वर्मा और विजयलक्ष्मी साधौ के खिलाफ नोटिस दे दिया था। लेकिन बजट सत्र के दूसरे चरण में नजारा ही अलग था। स्पीकर, वर्मा, साधौ के मामले ठंडे बस्ते में, लेकिन जीतू का निलंबन यथावत। सदन भी शांति से चल रहा है। अर्थात जीतू मझदार में। उनके समर्थक कह रहे हैं कि लगता है उन्हें राहुल गांधी के कैम्प का होने की सजा मिल रही है। उनका राहुल गांधी से बार-बार मिलना कुछ नेताओं को खटकता है। वजह कुछ भी हो लेकिन यह ताज्जुब वाली बात तो है कि कांग्रेस का तेजतर्रार विधायक सदन से निलंबित है और कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। एक पदाधिकारी का कहना था कि कांग्रेस में जो भी कमलनाथ से पंगा लेता है, उसका यही हश्र होता है। अजय सिंह, अरुण यादव, मानक अग्रवाल के बाद जीतू इसके अगले उदाहरण हैं।
हैसियत से कुछ ज्यादा नहीं बोल रहीं रामबाई....!
बसपा से पहली बार बनी विधायक राम बाई फिर चर्चा में हैं। प्रारंभ में कमलनाथ सरकार बनी तो समर्थन की मजबूरी से इन्हें हैसियत से ज्यादा तवज्जो मिली और जब भाजपा सरकार आई तब भी भाजपा ने उन्हें सिर आंखों बैठाए रखा। कांग्रेस के समय वे हेलीकाप्टर से पथरिया जाती थीं और भाजपा के समय भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा जैसे कद्दावर मंत्री इन्हें तवज्जो देते थे। रामबाई ने कांग्रेस सरकार में भी मंत्री बनने दबाव बनाए रखा और भाजपा सरकार बनने के बाद थी। उप चुनावों के बाद जैसे ही भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला, रामबाई जमीन पर आ गईं। उन्हें भाव देना बंद कर दिया गया। एक समय ऐसा भी आया, जब मायावती ने उन्हें पार्टी से ही निलंबित कर दिया था। बहरहाल, वे फिर बसपा में हैं और लगता है अब वे हैसियत से ज्यादा बोल रही हैं। ग्वालियर में जाकर उन्होंने घोषणा कर दी है कि बसपा प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 100 में जीत दर्ज करेगी। इतना ही नहीं उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के दलबदल पर सवाल उठाए तो लोग उन पर ही हंसने लगे क्योंकि सभी ने देखा कि वे किस तरह कांग्रेस और भाजपा से सौदेबाजी कर रही थीं। वैसे भी सिंधिया के साथ तो 6 केबिनेट मंत्री और डेढ़ दर्जन से ज्यादा विधायक पार्टी छोड़ गए थे, रामबाई के साथ कौन जाएगा?
केके के घर चोरी या वारदात साजिश का हिस्सा....!
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा के घर चोरी सुर्खियों में है। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलों का दौर जारी है। चोरी दिनदहाड़े हुई है, इसलिए भी इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। केके मिश्रा खुद इसे चोरी कम, साजिश ज्यादा मानते हैं। उनका कहना है कि चोरी में जो फाइल गई है, वह स्वास्थ्य विभाग के बड़े घोटाले से जुड़ी है। इसे लेकर वे खुलासा करने वाले थे। उनके अनुसार इससे सीएस के एक दावेदार आला अफसर की राह में रोड़ा आ सकता था। मिश्रा का यह भी कहना है कि पिछले दिनों उनकी सुरक्षा हटा ली गई थी और अब उनका लायसेंसी रिवाल्वर भी चला गया। अब वे निहत्थे हैं। यह भी एक साजिश हो सकती है। उनका कहना है कि रुपए और रिवाल्वर का ले जाना तो समझ आता है लेकिन कागजों वाली फाइल चोर क्यों ले जाएगा? चोर को फाइल से क्या लेना-देना? इसके विपरीत घर में रखे कई कीमती सामान को चोर ने हाथ तक नहीं लगाया। घर में क्या-क्या था, मिश्रा के पास उसकी पूरी सूची है। इसीलिए घटना को वे साजिश की नजर से देखते हैं। मिश्रा की गिनती कांग्रेस के तेजतर्रार प्रवक्ताओं में होती है। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तो घेरते ही हैं, सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में जाकर उन्हें चुनौती देने का माद्दा भी रखते हैं। फिर भी चोरी को सिरे से नकार देना भी जल्दबाजी है।
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