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खान नदी के शुद्धिकरण के लिए 511 करोड़ मंजूर : अब क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट करें निरस्त


डॉ. चन्दर सोनाने
                        हाल ही में केन्द्र सरकार ने इंदौर और उज्जैन में बहने वाली खान नदी को राष्ट्रीय गंगा संरक्षण मिशन नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल करते हुए 511 करोड़ रूपए की मंजूरी दी है। इसके अर्न्तगत 195 एमएलडी के तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी ) बनाए जायेंगे। इनमें से 120 एमएलडी का एसटीपी कबीटखेड़ी, 35 एमएलडी का लक्ष्मीबाई प्रतिमा और 40 एमएलडी का एसटीपी कनाड़िया पर बनाया जायेगा। यह खान नदी गंगा बेसिन में शामिल की गई है। इसका पानी शिप्रा, चंबल और यमुना नदी के माध्यम से गंगा नदी में मिलता है। इस योजना की सराहना की जानी चाहिए, क्योंकि इससे शिप्रा नदी को हमेशा दूषित करने वाली खान नदी के पानी का शुद्धिकरण इंदौर नगर निगम क्षेत्र में हो सकेगा। 
                    केन्द्र सरकार द्वारा दी गई यह मंजूरी इंदौर शहरी सीमा से सटे गाँव और शिप्रा शुद्धिकरण के लिए दी गई है। इस मंजूरी के अर्न्तगत 244 करोड़ रूपये से एसटीपी का निर्माण किया जायेगा और 190 करोड़ रूपये मेंटेनेंस के लिए भी दिए जायेंगे। दो साल में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस परियोजना के अर्न्तगत 13 किलोमीटर की पाईप लाईन भी डाली जायेगी। इसके पानी का उपयोग बगीचे, खेल मैदान, सड़क धुलाई आदि में किया जा सकेगा। हाल फिलहाल इन्दौर नगर निगम 10 एसटीपी से 412 एमएलडी पानी प्रतिदिन उपचार कर रहा है। 90-90 एमएलडी के एसटीपी पुरानी टेक्नोलॉजी के है। अब नई परियोजना के अर्न्तगत नई टेक्नोलॉजी से एसटीपी बनाए जायेंगे।                              
               केन्द्र सरकार की इस परियोजना की मंजूरी से निःसंदेह खान नदी के शुद्धिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण काम होगा। किन्तु यह परियोजना इन्दौर नगर निगम और उसकी सीमा के क्षेत्रों के गाँवों तक ही सीमित है। यहाँ हमें यह ध्यान रखने की बात है कि खान नदी को प्रदूषित करने वाले प्रमुख कारणों में एक प्रमुख कारण इंदौर नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख बड़े नाले और नालियों का गंदा पानी का मिलना है। इसके निराकरण के लिए ही यह प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है। दूसरा प्रमुख कारण है इंदौर, देवास और उज्जैन जिले के ओैद्योगिक क्षेत्रों का प्रदूषित पानी खान नदी में मिलना है। तीसरा महत्वपूर्ण कारण इंदौर से उज्जैन तक की सीमा में बहने वाले खान नदी के किनारे बसे गाँवों और शहरों के नालों का गंदा पानी भी शिप्रा नदी को प्रदूषित करता है। इन दोनों कारणों का निराकरण होना अभी बाकी है। 
                         इंदौर शहर और आसपास के गाँवों से बहने वाले गंदे नालों के मिलने से खान नदी प्रदूषित हो रही है। उसके लिए नमामि गंगे मिशन ने 511 करोड़ की मंजूरी देकर महत्वपूर्ण कार्य कर दिया है। अब दूसरे और तीसरे महत्वपूर्ण कारणों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए भी जरूरी यह है कि नमामि गंगे मिशन के अर्न्तगत एक और प्रोजेक्ट बनाया जाए और उसके लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी के प्रयास किए जाए। या फिर पिछले कुछ समय पूर्व ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा खान शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के नाम पर 600 करोड़ के क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। इसे निरस्त किया जाए और इस 600 करोड़ रूपए की राशि से वैसी ही योजना बनाई जाए जैसे इंदौर नगर निगम ने बनाई है। इस नई योजना के बनने से ही पूरी खान नदी के शुद्धिकरण का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा और शिप्रा नदी भी खान नदी के दूषित जल से प्रदूषित होने से बच सकेगी। यह जरूरी भी है। इससे शिप्रा नदी के साफ पानी में श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। यह होगा सही मायने में शिप्रा शुद्धिकरण।
                          इंदौर नगर निगम द्वारा करीब तीन महीने पहले ही 511 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट बनाकर केन्द्र सरकार से नमामि गंगे मिशन के तहत मंजूरी मांगी थी और इंदौर की सांसद श्री शंकर लालवानी ने जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर नगर निगम द्वारा भेजे प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए अनुरोध किया था। इंदौर में यह सब संभव है। वहाँ इंदौर के विकास के नाम पर सभी राजनैतिक दल एकमत होकर उस लक्ष्य को पाने के लिए जुट जाते है। अफसोस यह है कि उज्जैन में ऐसा नहीं है। यहाँ टाँग खिंचाई ज्यादा है। भाजपा में भी अनेक गुट है। यदि खान और शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर यह सब एक हो जाए तो नया प्रोजेक्ट बनाकर उसकी मंजूरी के लिए प्रयास किया जा सकता है। उज्जैन में यह काम केवल नगर निगम के कार्यक्षेत्र का नहीं है। इसलिए उज्जैन के मंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मंत्री श्री पारस जैन, सांसद श्री अनिल फिरोजिया और उज्जैन जिले के सभी विधायक एकजुट हो जाए तो यह काम जरूर हो सकता है। जरूरत है इनकी एकजुट पहल की !
                          यहाँ यह सहज प्रश्न उठेगा कि कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री द्वारा क्लोज डक्ट प्राजेक्ट को मंजूरी दी गई है उसे निरस्त क्यों किया जाए ? इसका उत्तर बड़ा आसान है। शिप्रा शुद्धिकरण के नाम से सिंहस्थ 2016 में श्रद्धालुओं को साफ पानी मिले इसके लिए 100 करोड़ रूपए की खान डायवर्सन योजना बनाई गई थी। यह योजना पूरी तरह से असफल सिद्ध हो चुकी है। इसी असफल प्राजेक्ट की तर्ज पर 600 करोड़ रूपए की लागत से क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट बनाया गया है। यह दोनों योजनाएँ शिप्रा नदी को अशुद्ध करने वाली खान नदी के गंदे पानी को उज्जैन से शिप्रा नदी में मिलने से रोककर 19 किलोमीटर दूर कालियादेह महल के पास शिप्रा नदी में ही जैसी की वैसी मिलाने की योजनाएँ है। सिंहस्थ 2016 में बनी करीब 100 करोड़ रूपए की खान डायवर्सन योजना में ग्राम राघौपिपलिया से खान नदी के गंदे और प्रदूषित पानी को पाईपलाईन के जरिए जैसा था वैसा ही 19 किलोमीटर दूर कालियादेह महल के पास शिप्रा नदी में मिला दिया गया था। आज यह परियोजना स्वयं असफल सिद्ध हो चुकी है।
                        अब बात करें, 600 करोड़ रूपए की क्लोज डक्ट परियोजना के बारे में। इस परियोजना में खान नदी के गंदे पानी को क्लोज डक्ट के माध्यम से ग्राम गोठड़ा के स्टाप डेम से डायवर्ट करते हुए कालियादेह महल के पास वापस प्रदूषित पानी को बिना शुद्ध किये शिप्रा नदी में ही मिला दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के नाम से यह दोनों योजनाएँ बनाई जा रही है। किन्तु इसमें खान नदी के पानी को शुद्ध कहाँ किया जा रहा है ? इससे पतित पावन शिप्रा नदी कहाँ शुद्ध हो रही है। कालियादेह महल के बाद क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट से खान नदी का प्रदूषित पानी सीधा शिप्रा में मिलाया जायेगा। अर्थात् कालियादेह महल के बाद पड़ने वाले गाँव और शहरों का भगवान ही मालिक है ! यह भी पता चला है कि क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट की मंजूरी के बाद कालियादेह महल के बाद के घटिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री रामलाल मालवीय और महिदपुर क्षेत्र के विधायक श्री बहादुर सिंह ने आपत्ति दर्ज करने का मन बना लिया है। इन दोनों जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र की शिप्रा नदी को खान नदी से प्रदूषित करने की मुहिम का विरोध करने का ठान लिया है। अब देखना यह है कि उनकी पहल क्या रंग लाती है ?
                             नमामि गंगे मिशन के अर्न्तगत 511 करोड़ रूपये की राशि से खान नदी के शुद्धिकरण की मंजूरी मिलने के बाद खान नदी के शुद्धिकरण की आस बंधी है। अब मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उज्जैन के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे इंदौर की सीमा के बाद उज्जैन तक बहने वाली खान नदी के शुद्धिकरण के लिए ठोस पहल करें। जैसे इंदौर नगर निगम ने खान नदी के शुद्धिकरण का प्रोजेक्ट बनाया है, उसी तर्ज पर दूसरे चरण का प्राजेक्ट बनाया जाना चाहिए और उसकी मंजूरी के लिए केन्द्र सराकर से अनुरोध किया जाना चाहिए। यदि ऐसा किया जायेगा तो ही खान नदी का शुद्धिकरण हो सकेगा। अन्यथा उज्जैन में खान नदी जैसे प्रदूषित रही है, वैसी ही प्रदूषित रहेगी और शिप्रा को प्रदूषित करती रहेगी। आशा है कि श्रद्धालुओं के हित में मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधि इस दिशा में चिंतन, मनन और सही निर्णय करेंगे।
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