आखिर क्यों लोग छोड़ रहे हैं भारत की नागरिकता ?
संदीप कुलश्रेष्ठ
केन्द्र सरकार ने हाल ही में संसद में बताया है कि वर्ष 2011 से 2022 तक 16 लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। इसमें से सर्वाधिक 2 लाख 25 हजार 620 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने गत वर्ष 2022 में ही भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। आखिर क्या कारण है कि वर्ष 2011 से वर्ष 2022 तक भारत के लोग अपने देश में नहीं रहना चाहते हैं और यहाँ की नागरिकता छोड़कर विदेश की नागरिकता में खुशी महसूस कर रहे हैं ?
135 देशों की ली नागरिकता -
भारत के विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने हाल ही में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वर्ष 2011 से 2022 तक कुल 12 सालों में 135 देशों की नागरिकता उन लोगों ने ली है, जिन्होंने भारत की नागरिकता छोड़ी है। जिन देशों की नागरिकता भारतीयों ने ली है, उनमें अमेरिका, ब्रिटेन,रूस, स्पेन जैसे देशों के साथ ही ऐसे देश भी हैं जहाँ कि नागरिकता लेना अपने आप में आश्चर्यजनक है। ऐसे देशों में पाकिस्तान, इराक, युगांडा, सूडान और यमन जैसे देश भी है।
12 साल का लेखा-जोखा -
संसद में दी गई जानकारी बताती है कि वर्ष 2011 से 2022 तक वर्षवार भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या इस प्रकार है, वर्ष 2011 में 1,22,819, वर्ष 2012 में 1,20,923, वर्ष 2013 में 1,31,405, वर्ष 2014 में 1,29,328, वर्ष 2015 में 1,31,489, वर्ष 2016 में 1,41,603, वर्ष 2017 में 1,33,049, वर्ष 2018 में 1,34,561, वर्ष 2019 में 1,44,017, वर्ष 2020 में 85,256 वर्ष 2021 में 1,63,370 और वर्ष 2022 में 2,25,620 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी।
आखिर क्यों छोड़ रहे हैं लोग भारत की नागरिकता ? -
वर्ष 2011 से लगभग हर साल भारत की नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह किस दिशा की ओर संकेत कर रही है ? दिनों दिन वर्षवार भारत की नागरिकता छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या पर भारत सरकार को चिंता और चिंतन करना चाहिए। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे भारत छोड़ने वाले लोगों के उन कारणों का पता लगाए, जिनके कारण उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता स्वीकार की।
कारणों की पड़ताल है जरूरी -
यदि हमारे देश के सिस्टम में कोई कमी है तो उस सिस्टम को सुधारने की आवश्यकता है। भारत सरकार को इस पर गौर करना चाहिए, ताकि आगे भविष्य में और ज्यादा संख्या में लोग भारत की नागरिकता नहीं छोड़ते हुए अपने देश में ही रहने पर खुशी और गौरव महसूस करें।
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