top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << अपना एमपी गज्जब है..57 क्या नकली रुद्राक्ष बांट रहे हैं धर्मगुरु!

अपना एमपी गज्जब है..57 क्या नकली रुद्राक्ष बांट रहे हैं धर्मगुरु!


अरुण दीक्षित,वरिष्ठ पत्रकार
                       एमपी की राजधानी भोपाल से करीब 54  किलोमीटर दूर स्थित कुबेरेश्वर धाम में जुटे लाखों शिव भक्तों की भीड़ की वजह से पिछले तीन दिन से सीहोर जिले के एक बड़े इलाके में जनजीवन अस्तव्यस्त है।प्रशासन पंगु हो गया है।लोग मर रहे हैं। लुट रहे हैं!लेकिन वे किसी भी कीमत पर वह रुद्राक्ष हासिल करना चाहते हैं जिसे कथावाचक प्रदीप मिश्रा चमत्कारी बता रहे हैं।मिश्रा का दावा है कि उन्होंने रुद्राक्ष अभिमंत्रित किया है।जिसके चलते ये रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में भारी बदलाव ला सकते हैं।
                        प्रदीप मिश्रा के इस दावे की वजह से देश भर से लाखों लोग यह रुद्राक्ष लेने उनके धाम में पहुंचे।रुद्राक्ष चाहने वालों की भारी भीड़ और उसके चलते उपजी अव्यवस्था ने अनेक सवाल खड़े किए हैं !  लेकिन इन सबके बीच अहम सवाल  आया है कि  प्रदीप मिश्र आखिर इतने रुद्राक्ष लाते कहां से हैं!क्योंकि जितने रुद्राक्ष बांटने का दावा उनके धाम से किया जाता है उतने रुद्राक्ष तो देश में पैदा ही नहीं होते हैं। यह एक कटु सत्य है कि रुद्राक्ष का सबसे ज्यादा उपयोग भारत में होता है।इसका सबसे ज्यादा उत्पादन नेपाल,मलेशिया और इंडोनेशिया में होता है।भारत के पहाड़ी इलाकों में भी रुद्राक्ष पैदा होता है।
 रुद्राक्ष का अंग्रेजी नाम  इलियो कार्पस गेनिट्रस है।इसका पेड़ 25 से 50 फीट ऊंचा होता है।भारत इसका सबसे बड़ा आयातक देश है।बताते हैं नेपाल में पैदा होने वाला रुद्राक्ष सबसे अच्छा और बड़ा होता है।
 एक तथ्य यह भी है कि भारत में बिकने वाले रुद्राक्ष में 95 फीसदी रुद्राक्ष नकली होते हैं।बताते हैं कि मथुरा ,हरिद्वार और ऋषिकेश में नकली रुद्राक्ष बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है।सामान्य लकड़ी और प्लास्टिक  से बने रुद्राक्ष देखने में असली जैसे ही लगते हैं। इन्हें इतनी सफाई के साथ बनाया जाता है कि उन्हें नकली साबित कर पाना आसान नहीं होता है। वनस्पति विज्ञान के ज्ञानी बताते हैं कि रुद्राक्ष का प्राकृतिक उत्पादन आसान नहीं है।उसमें काफी समय लगता है।असली रुद्राक्ष की कीमत भी बहुत ज्यादा होती है।
                        जबकि भारत में फुटपाथ पर 108 रुद्राक्ष वाली माला  मात्र 100 रुपए में आसानी से मिल जाती है। इससे यह साफ हो जाता है कि "फैक्ट्री मेड" रुद्राक्ष ने भारत के बाजार पर कब्जा कर रखा है।  ऐसे में यह सवाल उठता है कि कथावाचक प्रदीप मिश्र लाखों रुद्राक्ष कहां से लाते हैं।क्योंकि अगर एक रुद्राक्ष की कीमत 10 रुपए भी मान ली जाए तो 5 लाख रुद्राक्ष 50 लाख के हो जाते हैं।प्रदीप मिश्रा तो दस लाख भक्तों को मुफ्त रुद्राक्ष देने वाले हैं।आखिर वे इतना पैसा कहां से ला रहे हैं।साथ ही सवाल यह भी है कि जब  रुद्राक्ष इतनी बड़ी मात्रा में पैदा ही नहीं होता है तो फिर उन्हें कहां से मिल रहा हैं।
 प्रदीप मिश्रा का दावा है कि वे रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके भक्तों को देते हैं ताकि उनका कल्याण हो सके!जबकि रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने की प्रकिया आसान नहीं है।
 विद्वानों के मुताबिक  किसी भी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष के ऊपर संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद आवश्यक है।  एक रुद्राक्ष के ऊपर लगभग सवा लाख मंत्र जब तक नहीं पढ़े जाते हैं तब तक वह रुद्राक्ष अभिमंत्रित नहीं होता है। संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र की एक माला 18 से 21 मिनट के बीच में होती है अर्थात यह माना जा सकता है कि 4 माला करने में लगभग 1घंटे से भी ज्यादा  समय लगेगा।
                        एक सामान्य व्यक्ति एक  दिन में ज्यादा से ज्यादा 8 घंटे तक लगातार जाप कर सकता है। यानी एक व्यक्ति   एक दिन में  32 माला का जाप कर सकता है। यानी एक दिन में एक रुद्राक्ष के ऊपर 3456 मंत्र ही पढ़े जा सकते हैं।  इस प्रकार से एक रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने में लगभग 1 से सवा महीने का समय लगेगा। ऐसे में यह सवाल भी अहम हो जाता है कि पांच से सात लाख रुद्राक्ष को  अभिमंत्रित करने में कितने  पंडित और कितना समय लगेगा। साथ ही सवाल यह भी है कि अपना ज्यादातर समय कथा सुनाने में व्यतीत करने वाले प्रदीप मिश्रा ने इतने रुद्राक्ष कब और किससे अभिमंत्रित कराए!क्या उन्होंने पंडितों की इतनी बड़ी टीम बना रखी है जो दिन रात इसी काम में लगी रहती है।अगर नहीं तो यह साफ है कि वे लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं!उन्हें धोखा दे रहे हैं!यह एक गंभीर अपराध है।
 कुछ साल पहले तक घोर गरीबी में रहे प्रदीप मिश्रा खुद यह बताते हैं कि उनके पिता एक दरिद्र ब्राह्मण थे।पहले वे चने बेचते थे।फिर चाय की दुकान खोली।प्रदीप चाय की दुकान पर पिता के साथ काम करते थे।कथा वाचन ने उन्हें कुछ सालों में ही इतना धनवान बना दिया है कि उन्होंने दो दो  ज्योतिर्लिंग वाले मध्यप्रदेश में  कुबेरेश्वर धाम जैसा बड़ा शिव धाम बना लिया है। कथा करने के लिए वे 25 लाख रुपए तक की दक्षिणा लेते हैं।उनकी कथा के यजमान ज्यादातर अमीर लोग ही होते हैं।जबकि लाखों गरीब लोग चमत्कारी रुद्राक्ष लेने उनके धाम में धक्के खाते हैं।
                    वैसे प्रदीप मिश्रा के अलावा देश में एक और धर्मगुरु भी अपने भक्तों को रुद्राक्ष देते हैं।अपने भक्तों में गुरुदेव के नाम से मशहूर जग्गी वासुदेव पूरे प्रचार के साथ रुद्राक्ष बांटते हैं।उनका ईसा फाउंडेशन ऑनलाइन सेवा भी उपलब्ध करा रहा है।जग्गी वासुदेव के भक्त दुनियां भर में फैले हुए हैं।उनका देश की सरकार में खासा रसूख है।ऐसे में सवाल यह है क्या जग्गी वासुदेव भी अपने भक्तों को नकली रुद्राक्ष बांट रहे हैं। जग्गी वासुदेव का मध्यप्रदेश कनेक्शन भी है।वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मेहमान रह चुके हैं।
प्रदीप मिश्रा भी शिवराज सिंह के गृह जिले सीहोर से ही आते हैं। जग्गी बाबा जब मध्यप्रदेश आए थे तब सरकार ने उनकी खूब आवभगत की थी। प्रदीप मिश्रा को भी ऐसा ही महत्व दिया जा रहा है।यही वजह है कि वे लाखों लोगों का जीवन संकट में डालने के बाद भी अपनी कथा पर कायम हैं। हां फिलहाल उन्होंने रुद्राक्ष बांटने का काम बंद कर दिया है।सरकार उनसे सवाल पूछने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई है।
 अब आप क्या कहेंगे?आखिर अपना एमपी गज्जब जो है ! है कि नहीं !

                                                                                 ...000...

Leave a reply