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कुबेरेश्वर धाम में रूद्राक्ष महोत्सव : धर्मान्धता की पराकाष्ठा


 डॉ. चन्दर सोनाने
                      धर्म के नए ठेकेदार पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर के पास अपने लिए एक नया कुबेरेश्वर धाम बना लिया। इस धाम में 16 से 22 फरवरी तक उन्होंने अभिमंत्रित रूद्राक्ष वितरण का महोत्सव रखा। उन्होंने मीडिया के समस्त माध्यमों का उपयोग करते हुए यह बहुप्रचारित कर दिया था कि गरीब, बीमार, दुखी, पीड़ित व्यक्तियों को अभिमंत्रित रूद्राक्ष देकर उन्हें अपने कष्टों से दूर किया जाएगा। 
                     भारत की धर्म में अंधी हो चुकी जनता ने एक दिन पहले 15 फरवरी से ही कुबेरेश्वर धाम में डेरा डाल दिया। देशभर से करीब 10 लाख धर्मभीरू जनता ने करीब 27 किलोमीटर लंबा जाम लगा दिया। ये जाम घंटो चला। घोर अव्यवस्था में शुरू हुए इस रूद्राक्ष महोत्सव में एक बच्चा और दो महिलाओं की मौत हो गई। अनेक लोग लापता हो गए। तीन हजार से ज्यादा लोगों की तबीयत खराब हो गई। इन धर्मान्ध लोगों की न सोने की, खाने की व्यवस्था हो पाई और न ही पीने को पानी तक नसीब हुआ। लोगों ने ठंड में खेतों में खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन नदारद थे। 
             पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कुबेरेश्वर धाम में आयोजित रूद्राक्ष महोत्सव ने अनेक सवाल खड़े कर दिए। पहला तो यह कि अनुमान से कई गुना ज्यादा लोगों की भीड़ आने पर भी जिला और पुलिस प्रशासन ने रूद्राक्ष वितरण महोत्सव की अनुमति कैसे दी ? यदि अनुमति दी तो उसकी शर्ते क्या थी ? शर्तां का पालन बिल्कुल नहीं करने पर अनुमति निरस्त क्यां नहीं कर दी गई ? पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था कहाँ थी ? उनको क्या यह भान ही नहीं था कि रूद्राक्ष महोत्सव में अनुमान से अधिक लोग आ जायेंगे ? जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण, यातायात की व्यवस्था, लोगों के खाने-पीने का इंतजाम नहीं होने पर अपनी ओर से क्या व्यवस्थाएँ की ? जिला और पुलिस प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी का पालन क्यों नहीं किया ? ऐसे ही अनेक प्रश्न निरूत्तर है। तारीफ करनी होगी मानव अधिकार आयोग की जिसने स्वतः कुबेरेश्वर धाम में हुई अव्यवस्था का संज्ञान लिया और कलेक्टर और एसपी से पाँच बिन्दुओं पर जवाब माँगा है। 
                  जब एक साल पहले ही पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित इसी तरह के आयोजन की सीहोर के तत्कालीन कलेक्टर और एसपी ने अनुमति देने से इंकार कर दिया था तो प्रदेश की गृहमंत्री पंडित प्रदीप मिश्रा उनके चरणों में घुटने के बल पहुँच गए और जिला प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं देने के लिए माफी माँगी! ऐसा क्यों हुआ ? जब प्रदेश के गृहमंत्री ही धर्म के नए ठेकेदार पंडित प्रदीप मिश्रा के चरणों में अपने घुटने टेक देते हैं तो जिला और पुलिस प्रशासन में बैठे अधिकारियों के हाथ बँध जाते हैं। यह अपने आप में बेहद दुःखद है और शर्मनाक भी है ! 
                    भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री अरूण दीक्षित ने पंडित मिश्रा द्वारा अभिमंत्रित रूद्राक्ष वितरण के बारे में एक वाजिब प्रश्न उठाया है। उन्होंने अभिमंत्रित करने की जटिल प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए बताया कि विद्वानों के मुताबिक किसी भी रूद्राक्ष को अभिमंत्रित करने के लिए रूद्राक्ष के ऊपर सपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद आवश्यक है। एक रूद्राक्ष के ऊपर जब तक सवा लाख मंत्र नहीं पढ़े जाते है, तब तक वह रूद्राक्ष अभिमंत्रित नहीं होता है। सम्पूर्ण महामृत्युजंय मंत्र की एक माला 18 से 21 मिनट के बीच होती है। चार माला करने में लगभग 1 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है। इस प्रकार एक व्यक्ति एक दिन में अधिकतम 32 माला का ही जाप कर सकता है। अर्थात् एक दिन में एक रूद्राक्ष पर 3,456 मंत्र ही पढ़े जा सकते हैं। इस प्रकार एक रूद्राक्ष को अभिमंत्रित करने में लगभग एक से सवा महीने का समय लगता है। वरिष्ठ पत्रकार श्री दीक्षित ने यहाँ एक ज्वलंत प्रश्न उठाया है कि करीब 10 लाख रूद्राक्ष को अभिमंत्रित करने में कितने पंडित और कितना समय लगा ? यह कैसे, कब और कहाँ हुआ? उनका साफ कहना है कि पंडित प्रदीप मिश्रा लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें धोखा दे रहे हैं। यह गंभीर अपराध है। 
                      पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपना मायालोक इतना फैला रखा है कि प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कुबेरेश्वर धाम में कथा सुनने आने वाले थे, किन्तु उन्होंने लाखों की भीड़ के पहुँचने के कारण और घोर अव्यवस्था की जानकारी मिलने के बाद अपना कुबेरेश्वर धाम जाने का कार्यक्रम समय रहते निरस्त कर दिया। किसी राज्य के संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति ही जब पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा रचे गए माया लोक में फँस जाता है, तो आम लोगों की बिसाद क्या ?
     कुबेरेश्वर धाम में रूद्राक्ष वितरण महोत्सव में हो रही घोर अव्यवस्था के कारण प्रशासन के कहने पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने रूद्राक्ष वितरण बंद कर दिया। किन्तु, उन्होंने इसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया। तीन दिन बाद भी महाशिवरात्रि तक वहाँ हजारों लोग रूद्राक्ष पाने की आस में डँटे हुए हैं। पंडित मिश्रा ने रूद्राक्ष वितरण रोकने का कारण मीडिया को यह बताया है कि अनुमान से ज्यादा लोग आने के कारण बेरीगेटिंग टूट गए थे। उसे ठीक कर रहे हैं। ठीक होने पर फिर महोत्सव शुरू हो जायेगा। पंडित मिश्रा ने मीडिया में यह भी कह दिया है, कि अब कुबेरेश्वर धाम में सालभर रूद्राक्ष मिलेंगे। कोई भी कभी भी आकर रूद्राक्ष ले सकता है। इसने भी लोगों में भ्रम फैलाया ! दो महिला और एक बच्चे की मौत हा जाने के बावजूद पंडित मिश्रा ने आयोजन निरस्त नहीं करते हुए स्पष्ट कहा कि 22 फरवरी तक महोत्सव और कथा चलती रहेगी। इसके क्या मायने हुए?
                      यहाँ ये भी प्रश्न उठते हैं कि कुबेरेश्वर धाम में हुई घोर अव्यवस्था के कारण एक बच्चा और दो महिला की मौत का जिम्मेदार कौन है ? संभावना से बहुत अधिक लोगों के आने और कुव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है ? जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले में गैर जिम्मेदार कैसे बना रहा ? क्या कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के विरूद्ध कार्रवाई होगी ? मुख्यमंत्री जो स्वयं कुबेरेश्वर धाम जाने वाले थे, इस सम्पूर्ण घोर अव्यवस्था के लिए एकमात्र जिम्मेदार पंडित प्रदीप मिश्रा के विरूद्ध कोई कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पायेंगे ? हम सब मुख्यमंत्री की पहल का करते हैं इंतजार !
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