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अपना एमपी गज्जब है..56 "सरकारों" के आगे औंधे मुंह पड़ी सरकार...


अरुण दीक्षित,वरिष्ठ पत्रकार
                   अपने एमपी की सरकार इन दिनों प्रदेश में समानांतर चल रही "सरकारों" के सामने औंधे मुंह पड़ी हुई है! अंध श्रद्धा के मारे लाखों लोग इन सरकारों का कारोबार चला रहे हैं।इनकी वजह से प्रदेश के आम नागरिक हलकान हो रहे हैं!इन सरकारों के भक्तों में अपने "वोट" ढूंढ़ रही राज्य सरकार के मुखिया और उनके मंत्री इन सरकारों के "ब्रांड एंबेसडर" बने हुए हैं!हिंदू राष्ट्र बनाने और सनातन को बचाने में लगी इन "सरकारों" को बीजेपी का तो समर्थन और संरक्षण है ही,सेकुलर डीएनए वाली कांग्रेस भी इनके आगे दंडवत पड़ी हुई है। वैसे अपने एमपी में धार्मिक नेताओं की पूछ परख का इतिहास बहुत पुराना है।इनमें शंकराचार्य से लेकर स्वयंभू बाबा तक शामिल हैं।आशाराम और रामरहीम के भी ठिकाने एमपी में हैं और उनके भक्त भी।कंप्यूटर बाबा भी हैं और मिर्ची बाबा भी!एक बाबा ने तो अपना अलग पंथ भी बनाया था।
                 लेकिन इन दिनों दो तीन बाबा,जो जगह के साथ जुड़ी सरकार के नाम से जाने जाते हैं, खासे चर्चा में हैं।सबसे पहले बात करते हैं मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में पिछले दो तीन साल से उभर रहे कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की।लोगों को सुखी जीवन के टोटके बताने वाले प्रदीप मिश्रा कुछ साल पहले आम इंसान थे।अचानक उन पर भगवान की कृपा हो गई!सीहोर जिले में ही जन्में प्रदीप विवाहित हैं।43 साल की उम्र है। दो बेटे हैं और दो भाई भी हैं।आजकल उनकी एक कथा की फीस 25 लाख बताई जाती है।
                  बाबा रामदेव की तरह सोशल मीडिया उनकी प्रगति का मुख्य साधन रहा है।उनका अपना यूट्यूब चैनल है।हजारों "भक्त" उनका प्रचार करते हैं।
 शिव के भक्त प्रदीप ने सीहोर में अपना कुबेरेश्वर धाम बनाया है। हर साल महाशिवरात्रि पर वे वहां बड़ा आयोजन करते हैं।इस साल भी 16 फरबरी से उनका आयोजन चल रहा है।हालत यह है उनकी कृपा वाला रुद्राक्ष पाने के लिए लाखों लोग उनके धाम में पहुंचे हैं।कल से भोपाल इंदौर रोड पर जाम है।एक बच्चे और दो महिलाओं की मौत हुई है।भगदड़ में बहुत से घायल हैं।प्रशासन असहाय हो गया है।कह रहा है कि उम्मीद थी 6 लाख की आ गए 20 लाख! अब क्या करें?प्रदीप और उनके भक्तों की वजह से स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों ही परेशान हैं।
 ऐसा नहीं है कि यह सब कुछ पहली बार हुआ है।पिछले साल भी प्रदीप मिश्रा की कथा में ऐसा ही हुआ था।तब प्रशासन ने उनकी कथा बीच में बंद करा दी थी।उस समय प्रदीप मिश्रा ने व्यास गद्दी से ही अपना दुख जताया था।उनके दुख से सरकार इतना डर गई थी कि खुद प्रदेश के गृहमंत्री ने उनसे माफी मांगी थी।
                 पिछले एक साल में प्रदीप मिश्र का "कद" बहुत बढ़ गया है।बड़ी बड़ी जगहों पर उन्हें कथा के लिए बुलाया जा रहा है।हालांकि वे साफ तौर पर बीजेपी के साथ खड़े हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी उन्हें अपने छिड़वाड़ा में कथा कहने के लिए आमंत्रित कर चुके हैं।
                आज की हालत यह है कि प्रदीप मिश्रा की कथा और रुद्राक्ष वितरण की वजह से लाखों लोग परेशानी में हैं।लेकिन छोटी छोटी बातों पर धारा 144 लगाने वाला प्रशासन कुछ नही कर पा रहा है!करता भी कैसे..खुद मुख्यमंत्री भी प्रदीप कथा सुनने आने वाले थे। जाम और भगदड़ ने उनका रास्ता रोक दिया! प्रदीप मिश्रा की कथा से अब करोड़ों का कारोबार भी जुड़ गया है।इसलिए उनका "काफिला" और बढ़ गया है।बताते हैं कि वे घरेलू समस्याओं के समाधान के नुस्खे बताते हैं।कल्याण के लिए रुद्राक्ष बांटते हैं!यह कोई नही जानता कि उनको रुद्राक्ष की आपूर्ति कौन करता है।वह असली हैं या किसी फैक्ट्री में बनाए जाते हैं।चूंकि वे सनातन को बचाने और हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अग्रसर हैं इसलिए यह सवाल उठाने वाला भी देशद्रोही माना जायेगा।अगर किसी ने मिश्रा के इन रुद्राक्षों के बारे में पूछ भी लिया तो बताएगा कौन?वैसे भी सरकार तो उनके पांव में पड़ी है।
                  प्रदीप की प्रसिद्धि को देखते हुए एमपी की सरकार एक काम कर सकती हैं ! गांव गांव में जो विकास यात्रा निकल रही है उसमें प्रदीप मिश्रा के रुद्राक्ष बंटवा दे तो पूरे राज्य का कल्याण हो जायेगा!किसी को कोई समस्या नहीं होगी और शिव जी के भक्त शिवराज का राज निर्बाध हो जायेगा! प्रदीप मिश्रा की शिव कथा के साथ साथ प्रदेश के दूसरे कोने में हनुमान जी गद्दी भी चल रही है।छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में 26 साल के हनुमान भक्त धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी का दरबार लगाते हैं।वहां बागेश्वर हनुमान का मंदिर है।इसीलिए उस जगह को बागेश्वर सरकार कहा जाता है।अब खुद धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर सरकार  कहे जाने लगे हैं।
                युवा धीरेंद्र शास्त्री अल्पशिक्षित हैं लेकिन हनुमान जी की कृपा के चलते पर्चा लिख कर लोगों की समस्याएं बताते हैं।देश विदेश घूमते रहते हैं!पिछले दिनों नागपुर में उनके "चमत्कार" को लेकर उन्हें खुली चुनौती दी गई थी तो वे अपना दरबार समेट कर भाग आए थे। धीरेंद्र शास्त्री अचानक से हिंदू राष्ट्र के पैरोकार हो गए हैं।इस वजह से राज्य सरकार उनकी सेवा में है। युवा और सुदर्शन धीरेंद्र वैवाहिक जीवन में भी प्रवेश करेंगे,ऐसा उन्होंने खुद ऐलान किया है।
                  फिलहाल उनके दरबार में आम आदमी के साथ साथ बीजेपी नेताओं की भारी भीड़ लगती है।शिव सरकार के मंत्री आए दिन धीरेंद्र शास्त्री के "चरणों" में पड़े दिखाई देते हैं।
 उधर कांग्रेसी भी पीछे नहीं हैं। खुद कमलनाथ बागेश्वर धाम जाकर उनसे "आशीर्वाद" ले आए हैं।अक्सर अभद्र और अशालीन भाषा का इस्तेमाल करने वाले बागेश्वर सरकार की वजह से आजकल गढ़ा गांव एक नया तीर्थ बन गया है। मजे की बात यह है कि बड़े बड़े संत हिदू राष्ट्र के मुद्दे पर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन कर रहे हैं।
                राम रहीम और रामदेव की तरह धीरेंद्र का भी अपना एक अलग संसार है।अपना यूट्यूब चैनल है।सोशल मीडिया में प्रचार के लिए बड़ी टीम है।शानदार गाड़ियों का काफिला है। गढ़ा गांव में उनकी वजह से करोड़ों की आमदनी हो रही है।चूंकि सरकार सेवा में है इसलिए सब बम बम है।अगर कुछ अप्रिय जैसा हो तो धीरेंद्र  तत्काल "ठठरी" बांध देते हैं।
 धीरेंद्र से पहले भी हनुमान जी के नाम पर कई बाबा उभरे और सरकार के नाम से जाने गए।लेकिन धीरे धीरे उनका सितारा अस्त हो गया। जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब भिंड जिले में एक और "सरकार" सक्रिय थी!नाम था रावतपुरा सरकार!उनका नाम भी खूब चला।रावतपुरा में बड़ा धाम भी बन गया।बाबा जी और हनुमान जी अब भी हैं।लेकिन हनुमान जी का फोकस शायद उधर से शिफ्ट हो गया है।उन दिनों कांग्रेस के बड़े नेता  डाक्टर गोविंद सिंह ने रावतपुरा सरकार को खुली चुनौती दी थी।गोविंद सिंह की चुनौती आज भी कायम है।गोविंद सिंह आज भी कायम हैं पर बाबा नेपथ्य में चले गए हैं!
 एक और सरकार हैं!उन्हें पण्डोखर सरकार के नाम से जाना जाता है।दतिया जिले के पण्डोखर गांव के गुरुशरण शर्मा करीब दो दशक से दरबार लगा रहे हैं।वह भी पर्ची लिखकर समस्या बताते हैं।एक जमाने में उन पर हनुमान जी की ऐसी कृपा थी कि भोपाल के राजभवन में भी उनका दरबार लगा था।
                     पिछले दिनों उनकी और धीरेंद्र शास्त्री की लड़ाई खासी चर्चा में रही थी।तब प्रदेश के गृहमंत्री ने उन दोनों के बीच सुलह कराई थी। बालब्रह्मचारी हनुमान के कथित भक्त गुरशरण शर्मा दो विवाह कर चुके हैं।आजकल वे फिर से धीरेंद्र शास्त्री को कोस रहे हैं।उन्होंने भविष्यवाणी की है कि अगले 6 महीने में धीरेंद्र शास्त्री की "शक्ति" खत्म हो जाएगी। हालांकि भाव धीरेंद्र शास्त्री का ऊंचा है लेकिन राज्य सरकार गुरुशरण शर्मा को भी सम्मान देती रही है।आजकल वे घूम घूम कर दरबार लगा रहे हैं और हिंदू राष्ट्र की वकालत कर रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री के पहले उनके गांव के पास एक और "सरकार" चलती थी।लेकिन बलात्कार के आरोप में सरकार को जेल हो गई तो वह दुकान बंद हो गई। ऐसा नहीं है कि इससे पहले एमपी की सरकार पर संतों की "कृपा" नही रही।स्वर्गीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेसी बाबा माने जाते थे।हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह भी उनके भक्त थे लेकिन दिग्विजय सिंह उनके बड़े भक्त थे।दिग्विजय की सरकार में सरकारी जहाज शंकराचार्य की सेवा में रहता था।सोनिया गांधी भी झोतेश्वर स्थित उनके आश्रम में आई थीं।लेकिन स्वरूपानंद ने कभी इन "सरकारों" की तरह अपनी सरकार नही चलाई।वे एक पढ़े लिखे संत थे।स्वाधीनता संग्राम में भी हिस्सा लिया था।राम मंदिर आंदोलन के बाद हुए ध्रुवीकरण में वे बीजेपी के निशाने पर आए और आजीवन निशाने पर ही रहे। बीच बीच में कई और बाबा उभरे।एक कंप्यूटर बाबा हैं।पहले बीजेपी के साथ थे।फिर कांग्रेस में आए।मंत्री दर्जा पाया।सरकार गिरी।तो बीजेपी ने उनके आश्रम पर बुलडोजर चला दिया। बाबा जी जेल भी गए।फिलहाल उनके कंप्यूटर में "वायरस" आया हुआ है। एक मिर्ची बाबा भी हुए!कमलनाथ के करीबी!उनके लिए हठयोग भी किया।फिलहाल बलात्कार के आरोप में जेल में हैं।
                     फिलहाल प्रदीप मिश्रा और धीरेंद्र शास्त्री राज्य सरकार और बीजेपी के आंख के तारे बने हुए हैं।वे सरकार के एजेंडे को जनता के खर्च आगे बढ़ा रहे हैं। धर्मनिरपेक्ष संविधान की शपथ लेकर राज कर रही धर्मांध सरकार के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है! लोग सड़कों पर फंसे या फिर भगदड़ में मरें !सरकार को क्या फर्क पड़ना।उसके एजेंडे पर पुख्ता काम चल ही रहा है।धर्म की अफीम चाट मस्त हो  रहे लोग और उन्हें घुमा रही ये "सरकारें" उसके लिए "मुफीद" हैं। जिन्हें इसका विरोध करना था वे भी उसी लाइन में लगे हैं!फिर चिंता किस बात की!जनता मरती है तो मरे! एक दिन सबको ही मरना है!
अब कुछ भी हो अपना एमपी गज्जब है!ऐसा और कहीं देखने को नहीं मिलेगा!"दुश्मन" के कंधे पर हाथ रखने वाले के आगे नतमस्तक होते लोग यहीं पाए जाते हैं।बताइए गज्जब है कि नहीं!

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