अपना एमपी गज्जब है..53 जंगल का अमिताभ बच्चन..
अरुण दीक्षित, ,वरिष्ठ पत्रकार
ये सुनील हैं ! साथ में दूसरी फोटो इनके छोटे भाई अनिल की है। सुनील का एक बड़ा भाई भी है।ये तीनों आदिवासी हैं।सीहोर जिले की इछावर तहसील के वन ग्राम सेवनियां परिहार के पहले सड़क पर इनकी यह गुमटी लगी हुई है।
तीनों भाई मिलकर बीड़ी तंबाखू और जर्दा मसाला बेचते हैं।इनके पिता खेती करते हैं। अब जरा गौर करिए सुनील की तस्वीर पर!गले में दो दो लाकेट,काम में मोटी मोटी बालियां,अंगूठे में छल्ला और सिर पर टोपी ! खुद को अमिताभ बच्चन से कम नहीं समझता है सुनील ! रविवार को जब हम इनकी इस टपरी के सामने से निकल रहे थे तो सुनील के इस पहरावे ने ही हमारा ध्यान खींचा।
सुनील से बात करने के लिए जीप रोकी।हमें रुकता देख उसके साथ खड़ा बड़ा भाई अपने फोन पर बात करते हुए आगे बढ़ गया। शायद उसे हम पर शक हुआ। थोड़ा सहम तो सुनील भी गया था।लेकिन हमारे दोस्ताना व्यवहार ने उसका डर कम किया और वह बुलाने पर हमारे पास आ गया ! बातचीत में उसने बताया कि उसके पिता खेती करते हैं। तीनों भाई भी खेती में मदद करते हैं।साथ में यह दुकान भी चलाते हैं।
पढ़ाई के बारे में उसने बताया कि स्कूल तो गया था।लेकिन अब नही जाता ! लाकेट बाली और कड़े के बारे में पूछने पर शर्मा गया।कुछ बोला नहीं ! लेकिन उसने अपनी टपरी के बारे में जरूर बताया!सुनील के मुताबिक पास का ही सागौन का पेड़ कर उसने टपरी का शेड और बैठने का पटिया बनाया है। गर्मी में धूप से बचने के लिए अभी और लकड़ी लायेगा।
उसी ने बताया कि टपरी में बैठा उसका छोटा भाई अनिल है।अनिल स्कूल भी जाता है। सुनील ने काटे गए सागौन के पेड़ का ठूंठ भी दिखाया।आप भी उसे देख सकते हैं ! सुनील में आप भारत का एक अद्भुत संगम देख सकते हैं। फिल्मी दुनियां का उस पर कितना असर है,यह उसका पहनावा बता रहा है !आदिवासी को देश का राष्ट्रपति बनाकर उनकी हालत बदल देने के सरकार के दावे पर उसका असली चेहरा उसकी टपरी दिखा रही है। राज्य सरकार के "पेसा" असली चेहरा सुनील और अनिल के चेहरों में देखा जा सकता है।
इनके चेहरे आज की असलियत हैं।लेकिन सरकार की फाइल में ये गुलाबी नजर आते हैं ! और हां ये अपने मुख्यमंत्री के गृह जिले के रहने वाले हैं!!!
कुछ भी हो अपना एमपी गज्जब है ! है कि नहीं ?
...000...