बाल विवाह का अभिशाप जनजागृति से ही होगा दूर
संदीप कुलश्रेष्ठ
असम राज्य में बाल विवाह के विरूद्ध जारी अभियान में पुलिस द्वारा 4074 प्रकरण दर्ज कर 2528 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों को गैरजमानती धाराओं में आरोपी बनाया जा रहा है। इसी प्रकार 14 से 18 साल की लड़की से शादी करने वाले पुरूषों पर जमानती धाराएँ लागू की जा रही है।
असम में बाल विवाह -
परिवार एवं स्वास्थ्य की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार असम में मातृ-शिशु मृत्यु की ज्यादा दर की मूल वजह बाल विवाह ही है। सर्वे में यह भी पाया गया है कि 20 से 24 साल की उम्र की 31 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल से कम उम्र में ही हो गई। इसका राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत है। इस प्रकार राष्ट्रीय औसत से अधिक दर असम में पाई गई।
17 प्रतिशत गर्भवती नाबालिग -
असम राज्य में पिछले साल 6,20,867 महिलाएँ गर्भवती हुई थी। इनमें से 19 साल या उससे कम उम्र की 1,04,264 गर्भवती पाई गई। अर्थात् 17 फीसदी किशोरियाँ गर्भवती पाई गई।
लोग हो रहे परेशान -
असम में बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान बेतहाशा एफआईआर दर्ज कर लोगों को गिरफ्तार करने से लोग परेशान हो रहे हैं। डर के कारण बहुत लोगों ने बच्चों की प्रस्तावित शादी भी टाल दी है। इसके साथ ही लोग विवाह के समय बालिग साबित करने के लिए अपने दस्तावेजों को सुधारने के लिए भी भटक रहे है।
केवल सख्ती ही पर्याप्त नहीं -
असम में पुलिस द्वारा जो अभियान चलाया जा रहा है, उसने लोगों में डर बैठा दिया है। सामाजिक बुराईयाँ केवल सख्ती से दूर नहीं की जा सकती। कुरीतियों और अंधविश्वास में कभी-कभी सख्ती जरूरी भी हो जाती है। किन्तु अत्यधिक सख्ती लोगों में आतंक फैलाती है। यह कदापि उचित नहीं कहा जा सकता।
सामाजिक जागरूकता जरूरी -
बाल विवाह जैसे अभिशाप के खात्में के लिए सामाजिक जागरूकता बहुत जरूरी है। सामाजिक जागरूकता के अन्तर्गत लड़कियों की शिक्षा भी अत्यन्त आवश्यक है। एक अशिक्षित किशोरी की तुलना में शिक्षित किशोरी अपना भला-बुरा अच्छी तरह से समझ सकती है। इसलिए लड़कियों की शिक्षा पर असम ही नहीं पूरे देश में और जोर देने की जरूरत है। विशेषकर असम के साथ ही राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी बाल विवाह के प्रकरण आए दिन देखने को आते हैं। ऐसे राज्यों में जहाँ बाल विवाह की संख्या बहुत ज्यादा है, वहाँ सामाजिक जागरूकता अभियान चलाने की नितांत आवश्यकता है। शिक्षा और सामाजिक जागरूकता से ही बाल विवाह जैसे अभिशापों पर रोक लगाई जा सकती है।
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