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बात यहां से शुरू करते हैं... मुख्यमंत्री की नजरें इनायत नहीं हैं 'सबके मित्र पर'


राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी


अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार

पता नहीं क्यों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नजरें इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर इनायत नहीं हो पा रही हैं। संघ के दिग्गज दत्तात्रय होसबोले के वीटो के चलते भले ही पुष्यमित्र भार्गव महापौर का टिकट लाने और महापौर बनने में सफल रहे हों, लेकिन मुख्यमंत्री उनसे खफा से दिखते हैं। रुख भांपकर काम करने वाली नौकरशाही भी इसी कारण महापौर को तवज्जो नहीं दे रही है। इसका असर नगर निगम के कामकाज में भी देखने को मिल रहा है। महापौर की स्थिति दो पाटों के बीच फंसे जैसी है। पार्षदों का दर्द न सुनें तो भी मुश्किल और सुनकर प्रतिक्रिया दे दें तो भी मुश्किल। इस बार तो निगम के अफसरों पर वे जिस अंदाज में बरसे उसे भोपाल तक इस अंदाज में पहुंचा दिया गया मानो वे मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट विकास यात्रा को फेल करना चाहते हैं। 

99 से 9 पर आ टिके हैं विक्रम वर्मा

एक समय था जब भाजपा के दमदार नेता माने जाने वाले विक्रम वर्मा कहते थे कि मैं तो 99 पर खेल रहा हूं, कभी भी सेंचुरी मार सकता हूं। आशय यह था कि प्रदेश और केंद्र में सारे पदों पर रह चुका हूं, अब तो बस मुख्यमंत्री बनना बाकी है। यह तो संभव हो नहीं पाया और वर्मा दिन-ब-दिन राजनीति की निचली पायदान पर आते गए। जिन विक्रम वर्मा की पूरे प्रदेश में तूती बोलती थी, वह पत्नी के धार से विधायक बनने के बाद अब सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र में सीमित हो गए हैं और अपने गृह जिले धार की राजनीति में भी विरोधियों से जूझ कर ही समर्थकों को उपकृत करवा पाते हैं। इसे कहते हैं समय का फेर। 

यहां तो सब मिलकर निपटाने में लगे हैं कमलनाथ को 

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जो हालात हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि एक बार फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे कमलनाथ के अलावा पार्टी का कोई बड़ा नेता चाहता ही नहीं है कि कांग्रेस की सरकार बने। जिस तरह की बयानबाजी इन दिनों मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेता कर रहे हैं, उससे अब यह लगने लगा है कि जिस तरह से कांग्रेसियों ने ही 2008 में सुरेश पचौरी और 2013 में कांतिलाल भूरिया को निपटाया था, कुछ इसी तरह की तैयारी इस बार कमलनाथ को लेकर चल रही है। देखते हैं एक सुनियोजित रणनीति के तहत हो रहे इस प्रयास में कांग्रेस के कुछ बड़े नेता कितने सफल होते हैं। 

बड़ा सवाल - आखिर कांग्रेस है कहां मध्यप्रदेश में 

मध्यप्रदेश में कांग्रेस है कहां यह सवाल इन दिनों अलग-अलग स्तर पर होने वाली चर्चाओं में उठ रहा है। लेकिन सवाल उठाने वाले हाथों हाथ यह कहने में भी पीछे नहीं रहते हैं कि भाजपा को लेकर जो नकारात्मकता है, वह कांग्रेस को ही ताकत दे रही है। उदाहरण भी यही लोग दे देते हैं। उनका कहना है कि जब बिना कुछ किए कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव में दो दर्जन निकायों में से आठ जगह नगर सरकार बना सकती है, तो फिर उसके लिए कुछ संभावनाएं तो दिख ही रही हैं। वैसे दो मुद्दे और कांग्रेस को मजबूती दे रहे हैं, पहला भारी भ्रष्टाचार और दूसरा नौकरशाही का जनप्रतिनिधियों पर हावी होना। 

कार्यवाही बीसीएम समूह पर, होश नेताओं और अफसरों के उड़े

इंदौर के बीसीएम यानि बादलचंद मेहता समूह पर आयकर की कार्यवाही के बाद कई अफसरों, नेताओं और इन दोनों के बीच कड़ी का काम करने वाले लोगों के होश उड़े हुए हैं। इस समूह के कर्ताधर्ताओं से कई नेताओं, नौकरशाहों और उद्योग व्यवसाय से जुड़े दिग्गजों के बहुत ही मधुर संबंध हैं। पिछले 20 साल में इस समूह की तरक्की में इन तीनों कैटेगरी के लोगों का जबरदस्त सहयोग रहा है। लेकिन इसने बीसीएम ग्रुप को रियल इस्टेट, हॉस्पिलिटी और एफएमजीसी कारोबार के मामले में देश के नक्शे पर एक अलग पहचान तो दिलवा ही दी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि कार्यवाही के पहले लगी भनक इस ग्रुप का बड़ा फायदा कर गई। 

कुमार पुरुषोत्तम - आखिर काम तो बोलता ही है न

इस दौर में किसी आईएएस अफसर को एक जिले की कलेक्टरी भी नसीब हो जाए तो बड़ी बात है। कई ऐसे अफसर भी हैं जो आईएएस तो हो गए, लेकिन रिटायरमेंट तक कलेक्टर नहीं बन पाए, लेकिन कुछ अफसर इस मामले में भाग्यशाली रहे हैं, कुमार पुरुषोत्तम भी इनमें से एक हैं। उज्जैन कलेक्टर के रूप में यह उनका चौथा जिला है। गुना, रतलाम और खरगोन होते हुए वे उज्जैन पहुंचे हैं। खासियत यह है कि जिस भी जिले में वे पदस्थ रहे अपनी एक अलग पहचान बनाई और इसी पहचान के कारण वे हर बार ऊंची पायदान पर पहुंचते गए। कहा जाता है कि वे जितने प्रियपात्र 'बड़े साहब' के हैं, उतने ही 'सरकार' के भी, आखिर काम तो बोलता है न।

आमने-सामने तो नहीं रहेंगे दोनों जीतू

2008 में जब राऊ विधानसभा क्षेत्र में जीतू पटवारी और जीतू जिराती आमने-सामने हुए थे, तब जीत जिराती को मिली थी। 2013 में पटवारी ने हिसाब बराबर कर लिया। अब 2023 की बात शुरू हो गई है। इस विधानसभा क्षेत्र में किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत तय करने में खाती समाज के मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है। दोनों जीतू इसी समाज से हैं। समाज की जाजम पर तय हो गया है कि कुछ भी हो जाए इस बार दोनों को आमने-सामने नहीं रहना है। इस फैसले के बाद कौन राऊ में ही रुकता है और कौन आसपास की किसी सीट पर मोर्चा संभालता है, यह देखना बाकी है। वैसे राऊ से बाहर जाने की संभावना जिराती में ज्यादा देखी जा रही है और महू में इसकी हलचल इसी का संकेत माना जा रहा है। 

बुरे फंसे रोहन सक्सेना

कम समय में औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी निदेशक जैसी महत्वपूर्ण पदस्थापना पा गए राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर रोहन सक्सेना इन दिनों बड़े असहज हैं। इसका कारण यह है कि अब इस निगम के एमडी यहां के कामकाज को बहुत बारीकी से समझने वाले मनीष सिंह हो गए हैं। सिंह पहले इंदौर में भी इस निगम का कामकाज देख चुके हैं। सक्सेना तेज गति से चलने वाले और कई मोर्चों पर एक साथ चलने वाले अफसर माने जाते हैं और ऐसे अफसर मनीष सिंह के सामने टिक नहीं पाते हैं। कहा यह जा रहा है कि इंदौर में जो रायता सक्सेना ने फैला रखा है उसे समेटने का काम मनीष सिंह को करना पड़ रहा है। 

चलते-चलते
आईएएस रोहित सिंह और हर्षिका सिंह सेवानिवृत्ति के बाद कहां सेटल होंगे यह तो सालों बाद तय हो पाएगा, लेकिन नौकरी शुरू करने के कुछ साल बाद ही इस दंपत्ति ने फिलहाल जिस जगह को अपने निवास के लिए चुना है, उससे कइयों को चौकना स्वाभाविक है। भोपाल में इस दंपत्ति का नया आशियाना इन दिनों नौकरशाहों के साथ ही नेताओं के बीच भी चर्चा का विषय है। 

पुछल्ला 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों इंदौर में गोलू शुक्ला को बहुत तवज्जो दे रहे हैं। शुक्ला के साथ मुख्यमंत्री का यह साफ्ट कार्नर उनके चचेरे भाई इंदौर 1 विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। यहां इसी साल के अंत में होने वाले चुनाव में शुक्ला बनाम शुक्ला जैसी स्थिति भी बन सकती है। 

बात मीडिया की
अपने डिजिटल प्लेटफार्म को तेजी से आगे बढ़ा रहे भास्कर समूह ने फिर से प्रिंट मीडिया पर निगाहें टिकाई हैं। आने वाले दिनों में दैनिक भास्कर में कन्टेंट और क्वालिटी में काफी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। 

भास्कर समूह के एमडी सुधीर अग्रवाल की बेटी की शादी में दैनिक भास्कर ने एक बार फिर अपने पावर का अहसास करा दिया। कई केंद्रीय मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित कई बड़े ब्यूरोक्रेट्स अलग-अलग दिन विवाह समारोह में शिरकत करने पहुंचे। 

इन्फ्रास्ट्रक्चर, रेलवे और डेवलपमेंट ओरिएंटेड खबरों के मामले में महारत रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अमित जलधारी अब टीम अग्निबाण का हिस्सा हो गए हैं। 

टीम दैनिक भास्कर में कुछ महीने पहले ही शामिल हुई रिपोर्टर आरती मंडलोई अब अब इसी संस्थान में नई भूमिका में दिख सकती हैं। आरती को मार्केटिंग से जुड़ी खबरों में महारत हासिल है।

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