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सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब क्षेत्रीय भाषा में भी उपलब्ध होंगे


संदीप कुलश्रेष्ठ
            हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक और आमजन से संबधित निर्णय लिया है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश श्री डी.व्हाय चन्द्रचूड़ ने घोषणा की है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को क्षेत्रीय भाषा में भी जारी किया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अत्यन्त ही सराहनीय है। 
1091 फैसले क्षेत्रीय भाषा में जारी -
            इसी गणतंत्र दिवस पर सुप्रीम कोर्ट ने 1091 फैसले क्षेत्रीय भाषा में जारी कर अपने निर्णय का क्रियान्वयन कर दिखाया है। इसके अतिरिक्त ई-एससीआर और 34,000 फैसलों के अलावा अब स्थानीय भाषा में भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले उपलब्ध कर दिए गए है। इस फैसले से आमजन को लाभ प्राप्त होगा। 
प्रथम चरण में चार भाषाओं में अनुवाद -
             सुप्रीम कोर्ट के फैसले प्रथम चरण में हिन्दी, तमिल, गुजराती और उड़ीया में अनुवाद किए जायेंगें। इसके बाद इसे अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में बढ़ाया जायेगा। इससे इन क्षेत्रीय भाषाओं के जानकारों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले सहज ही अपनी भाषा में मिल सकेंगे। 
अगले चरण में अन्य भाषाओं में मिल सकेंगे फैसले -
              प्रथम चरण के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले अन्य भाषाओं में भी मिल सकेंगे। उल्लेखनीय है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में असमिया, बंगाली, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, उर्दू, कोंकणी, मलयालम, मनीपुरी, मराठी, नेपाली, उडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, बोडो, संधाली, मैथिली और डोंगरी भाषायें शामिल हैं। इन भाषाओं में भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले मिलने से क्षेत्रीय भाषाओं के जानकारों को लाभ मिल सकेगा। 
हाईकोर्ट के फैसले भी इसी प्रकार मिलें -
                सुप्रीम कोर्ट ने सराहनीय पहल करके देश के राज्यों के हाईकोर्ट के लिए मार्ग प्रशस्त कर अब देश के राज्यों के सभी हाईकोर्ट को भी चाहिए कि अपने-अपने राज्यों में पहल कर उस राज्य की भाषा में फैसले की उपलब्धता सुनिश्चित करें। ताकि उस राज्य के क्षेत्रीय भाषा के जानकारों को इसका लाभ मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय -
                 सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं में अपने फैसले उपलब्ध कराकर एक ऐतिहासिक कार्य कर दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की जितनी भी सराहना की जाए कम है। हम सबको सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का स्वागत करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को सलाम। 
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