विश्व के माथे पर हिंदी की बिंदी सजाने का कर रहे प्रयास
हिंदी को बेशक भारत में अभी तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला, लेकिन उसकी पहचान वैश्विक पटल पर है। हिंदी के सेवा करने वाले केवल हिंदी भाषी क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि गैर हिंदी भाषी क्षेत्र और यहां तक की विदेश में भी हैं। इनके प्रयास विश्व के माथे पर हिंदी की बिंदी सजाकर उसे और भी खास दर्जा दिलाने की है। पाश्चात्य में जहां हिंदी को लेकर उदासीनता है, वहां उसे ही हथियार बनाकर उसकी अहमियत और लोकप्रियता बढ़ाने का प्रयास हिंदी सेवक कर रहे हैं।इन दिनों शहर में भी हिंदी के सेवक आए हैं और विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। एक अमेरिका में हिंदी की अलख जगा रहा है तो दूसरा मारिशस में हिंदी को आधार बनाकर ज्ञान फैला रहा है।