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ना काहू से बैर, भाजपा में गला काट प्रतिस्पर्धा और उमा का मास्टर स्ट्रोक...


राघवेंद्र सिंह ,वरिष्ठ पत्रकार
भोपाल - जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में चुनाव की बेला निकट आ रही है भाजपा और कांग्रेस दोनों में गुटबाजी और गला काट प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। सियासत में अक्सर सबको चकित करने वाली फायर ब्रांड लीडर साध्वी उमा भारती बहुत सकारत्मक हो गई हैं। उन्होंने भाजपा से निष्कासित प्रीतम लोधी से जो संवाद किया वह भाजपा के लिहाज से बहुत सुखद जान पड़ता है। यह काम भाजपा के धुरंधर शीर्ष नेताओं का था जो भाजपा के कट्टर समर्थक लोधी समुदाय से सम्बंध खराब करने की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं। 

                     सूबे में पारा दस डिग्री से नीचे चल रहा है। मौसम तो हाड़ कंपाने वाले जाड़े का है। ऐसे में शिवराज सरकार प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के साथ इन्वेस्टर मीट को सफल बनाने में जुटी है। इसमे पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति के आने से आयोजन आसमान की ऊंचाई को छूने वाला है। इस बीच भाजपा में गुटीय राजनीति, सीडी कांड और व्यापम घोटाले के जिन्न ने इसमे शामिल दिग्गजों की नींद उड़ा दी है। कई सज्जनो की दाढ़ी में तिनका जैसा रिएक्शन भी आया है। इससे अलाव की आग इंदौर आयोजन के बाद भड़क उठे तो हाथ तापने वालों के हाथ जलने के साथ मुंह धुएं में काले पड़ने की भी आशंका है। 
                      मगर अभी तो सियासत में गुटबाजी की गर्माहट लू - लपट का अहसास करा रही है। चुनाव इस साल के आखिर याने नवंबर में होने हैं और सरकार दिसंबर में बनना है। सर्द मौसम में राजनीतिज्ञ गुटबाजी की गुनगुनी सी धूप का मजा ले रहे हैं लेकिन इससे बचने के लिए अलाव भी जलेंगे। हाथ भी सेंके जाएंगे। लेकिन मजे और बचाव में कब किसका चेहरा झुलसे और कितने हाथ जल जाएं किसी को पता नहीं। इस बार सियासत का खेल पहले से ज्यादा जोखिम भरा है। 
                     हनी ट्रैप सीडी कांड में जिन विषकन्याओं से लिपट चिपट कर राजनेता- अधिकारी गणों ने नागिन नृत्य किया है वे चिंता में डूबे हुए हैं। उनके दंश अब फिर से नीले पड़ गए हैं। कांग्रेस सीडी कांड और व्यापम घोटाले के मुद्दे पर जबरदस्त राजनीतिक दांव लगाने के मूड में है। चुनाव के पहले वह इन दोनों मुद्दों को गरम कर चर्चा में बनाए रखना चाहती है। हो सकता है दीपावली के आसपास वह कुछ रंगीन मिजाजों की अश्लील सीडी सार्वजनिक भी हो जाएं। सबको याद होगा भाजपा के राष्ट्रीय नेताजी की सीडी भी आई थी और उसके बाद संबंधित नेता का राजनीतिक जीवन गुमनामी में चला गया। प्रदेश के जिन नेताओं की सीडी है उनके सामने भी राजनीतिक जीवन का खतरा बना हुआ है।

नाराज उमा जी ने सबको चकित किया...
                     पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लंबे समय से पार्टी में हाशिए पर चल रही है। मध्यप्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर उनका शिवराज सरकार से संवाद हमेशा अधूरा रहा। कई बार उन्होंने इसे अपमानजनक भी महसूस किया। इस मुद्दे पर उनके तीखे तेवर सबको पता है। हाल ही में उन्होंने शराब नीति को लेकर सीएम शिवराज सिंह को पत्र भी लिखा है। इसी बीच उन्होंने बेहद चतुराई भरा और पार्टी के लिए मुसीबत कम करने वाला कदम उठाया। भाजपा से निकाले गए प्रीतम सिंह लोधी से वे अचानक उनके घर मिलने जाती हैं और सार्वजनिक रूप से उनकी प्रशंसा करते हुए कहती हैं। प्रीतम अकेले पिछड़ों के नेता नहीं है सभी वर्गों के और गरीबों के नेता है। उन्होंने यह भी कहा कि कई वर्षों तरह मैंने प्रीतम की जिंदगी को बदलने का काम किया था जिसमें उससे शराब पीना भी उन्होंने छुड़वाया था बाद में भी उन्हें भाजपा में लेकर आई और चुनाव भी लड़वाया। उन्होंने  संकेतों में यह भी कहा पार्टी दमोह में वरिष्ठ नेता जयंत मलैया से माफी मांग सकती है तो भी भाजपा से निकाले गए प्रीतम लोधी से क्यों नही। वैसे प्रीतम को साधने का काम पार्टी के उन दिग्गजों का था जो संगठन में शीर्ष पदों पर विराजमान हैं। लेकिन यह काम बहुत सफाई से उमा भारती ने किया। इसके परिणाम क्या होंगे यह सब समय तय करेगा। लेकिन अगर भाजपा ने लापरवाही की तो फिर उमा जी ने यह भी संकेत दिया प्रीतम केवल लोधी और पिछड़ों के नहीं बल्कि सभी गरीब ब्राह्मण राजपूत और दलित वर्ग के भी नेता है । उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए बात भी कही। उन्होंने कहा देश में राम राज की स्थापना करने में पिछले गरीब और दलितों का भी विशेष योगदान रहेगा। यह राजनीतिक लाइन उमा भारती के स्वभाव से नितांत अलग मालूम होती है। उनकी सीधी और आक्रमक शैली के बजाय  वे चतुराई और थोड़ी कूटनीति से भरी नजर आती है। चुनावी साल है सो महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा नेतृत्व आने वाले दिनों में उमा भारती को लेकर क्या रुख अख्तियार करता है।

कमलनाथ के रुख पर नजर...
                     कांग्रेस में दिग्विजयसिंह की गैर मौजूदगी में अपनी रणनीति पर कमलनाथ भी खुल कर खेल रहे हैं। मसला चाहे विधानसभा में शिव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का हो या फिर विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की बैठक का हो यहां कांग्रेस के स्थापित नेताओं की अनुपस्थिति और अनदेखी कांग्रेस के भीतर बेचैनी पैदा कर रही है। ऐसा ही कुछ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के चलते कमलनाथ की अनुपस्थिति को लेकर कांग्रेस में महसूस किया गया था । लेकिन दिग्विजयसिंह के आते ही सीन बदलेगा जरूर। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर भी कांग्रेस में चिंता देखी जा रही है। हारी हुई सीटों पर कांग्रेस अभी से अपने प्रत्याशी घोषित करना चाहती है। ताकि चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस को गुटबाजी का शिकार ना होना पड़े । लेकिन यह सब दिग्विजय सिंह की सहमति के बिना संभव नहीं लगता। इसलिए जानकार भारत यात्रा के समापन के बाद दिग्विजय सिंह की वापसी और उनके रुख का इंतजार करेंगे। लेकिन उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस में भी बहुत मारामारी मचेगी इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। कुल मिलाकर प्रतिस्पर्धा सब जगह है। भितरघात भी होगी और बगावत भी। सेबोटेज को रोकने, बागियों को सम्भालने में वही पार्टी सफल होगी जिसका नेतृत्व भरोसेमंद और नेता दमदार होंगे... नगर निगम चुनाव के नतीजे स्वयम्भू नेताओं की गलतफहमी दूर करने वाले थे बशर्ते बिना बहानेबाजी के इसे मान लिया जाए और इसके लिए बड़ा दिल भी चाहिए...

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