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वोटों का ध्रुवीकरण रोकने की हास्यास्पद कवायदें..!


श्रीप्रकाश दीक्षित ,वरिष्ठ पत्रकार
                          पता नहीं कांग्रेस पार्टी ने किस रणनीति के तहत अच्छे खासे राहुल गाँधी को भारत जोड़ों यात्रा में बाबाओं जैसी बेतरतीब काली सफ़ेद दाढ़ी में पेश किया है.यात्रा के मध्यप्रदेश से गुजरने के दौरान वो जिस अंदाज में महाकाल मंदिर में दंडवत हुए और मीडिया में चमके उसने जनता का खूब मनोरंजन किया.अब कम्प्यूटर बाबा के यात्रा से जुड़ने को भी दिलचस्पी से देखा जा रहा है.इन्होने कुछ  साधुओं के साथ शिवराज राज के पहले दौर में नर्मदा किनारे वृक्षरोपण में करोड़ों के घोटाले का आरोप जड़ते हुए आंदोलन की घोषणा की थे.तब रातोंरात उन सहित आधा दर्जन बाबाओं को मंत्री दर्जा से नवाजा गया था.बाद में कंप्यूटर बाबा ने पाला बदल कांग्रेस का दामन थाम लिया और कमलनाथ सरकार बनते ही उन्हे मंत्री दर्जा देकर उपकृत किया गया था.
लोकसभा चुनाव में कम्प्यूटर बाबा सेक्युलरिज्म के जबरदस्त पेरोकार दिग्विजयसिंह की जीत के लिए यज्ञ करते हुए देखे गए थे.तब मिर्ची बाबा अर्थात महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यनंद ने भी दिग्गी राजा की जीत के लिए पाँच टन मिर्चियों का यज्ञ कर ऐलान किया था की अगर दिग्गी राजा हारेंगे तो वो जल समाधि ले लेंगे..! दिग्गी राजा की हार के बावजूद बाबा सलामत रहे पर बलात्कार के मामले में जेल चले गए.नगर निगम चुनाव के दौरान काँग्रेस की ग्वालियर मे हुई कमलनाथ की चुनावी सभा मे मौजूद रहे मिर्ची बाबा मंच मे कुर्सी ना मिलने पर बेहद नाराज होकर जमीन पर ही बैठ गए थे.तब मान मनौवल कर उन्हे सादर मंच पर लाया गया था.
                      मिर्ची बाबा की इस नाराजगी की मीडिया मे तब खूब चर्चा हुई थी.ऐसे ही एक बार जब बाबा गोहत्या और गोवंश पर अत्याचार को लेकर भोपाल मे घर पर अनशन पर बैठे तब कमलनाथ ने वहां जाकर अनशन खत्म कराया था.कंप्यूटर बाबा और मिर्ची बाबा जैसों की इतनी आवभगत से तो यही लगता है की चुनाव में वोटों के धार्मिक आधार पर हो रहे ध्रुवीकरण से कांग्रेस घबराई हुई तो है पर उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है.तभी धर्मकर्म के प्रति श्रद्धाभाव मे ऐसी हास्यास्पद गलतियाँ हो रही हैं.

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