कैरम क्वीन रश्मि : पहली भारतीय जो तीन बार वर्ल्ड चैंपियन बनी
संदीप कुलश्रेष्ठ
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि देश के छोटे बड़े शहरों और गाँवों के सभी लोग क्रिकेट और क्रिकेट खिलाड़ी के बारे में बहुत कुछ जानते है, किन्तु छोटे- छोटे खेल जो शहरों और गाँवों में कई दशकों से खेले जा रहे हैं उनके बारे में कम जानते हैं। कैरम भी उन्हीं में से एक है, जिसके बारे में लोग कम जानते है। किन्तु कैरम के खेल में एक ऐसी खिलाड़ी आई, जिसने कैरम को देश में लोकप्रिय बना दिया । आइये, आज आपकी मुलाकात देश की कैरम क्वीन रश्मि से करवाते हैं। रश्मि तीन बार वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली देश की पहली भारतीय महिला है।
बिहार की रश्मि ने जब कैरम को अपना लक्ष्य बनाया -
राजा महाराजाओं के द्वारा शौकिया तौर पर खेले जाने वाला एक कैरम बोर्ड गेम अचानक ही भारत में क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन फुटबॉल जैसे गेमों के बीच में भी में प्रसिद्ध हो गया। इसे भारत के खेल पटल पर लाने का श्रेय जाता है, बिहार की लाडली रश्मि कुमारी को। रश्मि देश की सबसे कुशल महिला कैरम खिलाड़ी हैं। वह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। रश्मि ने अपनी पहचान इंडोर गेम कहे जाने वाले कैरम से 1992 से की। सबसे पहले जिला स्तर पर खेलकर पटना जैसे शहर में नाम कमाया, उसके बाद रश्मि कुमारी ने इस खेल में अपना करियर बनाने का ठान लिया।
रश्मि ने अनेक नेशनल खिताब जीते -
रश्मि ने 1997 में सब जूनियर का खिताब जीता। उन्होंने जूनियर स्तर पर भी फरीदाबाद में आयोजित हुए टूर्नामेंट में खिताब जीता। उसके बाद नेशनल स्तर पर हुए टूर्नामेंट में रश्मि कुमारी ने 2004, 2005 ,2007 के बाद 2010 से 2014 तक लगातार खिताब जीते।
अनेक खिताब अपने नाम किए -
वो कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं थी जो सिर्फ नेशनल स्तर पर खिताब जीतकर संतुष्ट हो जातीं। उनके इरादे कुछ और थे। उन्होंने पहले सन् 1999 में मलेशिया ओपन का खिताब जीता। उसके बाद दिल्ली में आयोजित हुए तीसरे विश्व महिला कैरम चैंपियनशिप का खिताब जीता। उसके बाद ठीक अगले साल यानी 2001 ई० में इंग्लैंड में हुए पहले वर्ल्ड कप का भी खिताब जीता। बिहार जैसे कम सुविधा वाले राज्य से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा दिखा रही रश्मि कुमारी यही नहीं रुकने वाली थी। उन्होंने 10वें, 15वें और 17वें सार्क देशों के बीच खेले जाने वाले कैरम चैंपियनशिप का भी खिताब जीता। वहीं, पांचवें और छठे आईसीएफ कप कैरम चैंपियनशिप का भी खिताब 2008 और 2012 में जीता। उन्होंने 2007 ई० में दूसरे एशियाई कैरम चैंपियनशिप का खिताब जीता, तो ठीक अगले साल ही तीसरे एशियन कैरम चैंपियनशिप का खिताब भी जीता। उसके बाद 2013 में आयोजित हुए एशियन कैरम चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
विश्व कैरम चैंम्पियनशीप जीती -
बिहार की लाडली इतने सारे खिताब जीतने के बावजूद भी कहाँ संतुष्ट होने वाली थी। रश्मि ने सन् 2012 में श्रीलंका में आयोजित हुए छठे विश्व कैरम चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। लेकिन एक कहावत है कि कभी हार ना मानने की आदत एक दिन जीतने की आदत बन जाती है । ये कहावत को रश्मि कुमारी ने फिर से साबित किया 2014 में, जब मालदीप में आयोजित हुए चौथे वर्ल्ड कप कैरम चैंपियनशिप का खिताब एक बार फिर से अपने नाम किया। कैरम में शानदार खेल का प्रदर्शन करने वाली रश्मि कुमारी को 1995, 1996, 1997 में अंबेडकर स्पोर्ट्स अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। सन् 1999 ई० में स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड से नवाजा गया। वहीं, बिहार सरकार स्पोर्ट्स अथॉरिटी की ओर से उन्हें न जाने कितनी बार फैसिलिटेट किया जा चुका है।
बिहार की रश्मि देश की लाडली बनी -
वर्तमान में कैरम में अपना नाम कमाने वाली रश्मि कुमारी दिल्ली में ओएनजीसी कंपनी में एचआर एग्जीक्यूटिव के पद पर तैनात है। साथ ही 1992 में कैरम में अपना करियर बनाने वाली रश्मि कुमारी दुनिया के 6 बेहतरीन कैरम प्लेयरों में नाम आता है। लेकिन ये बिहार की बेटी रश्मि कुमारी का प्रतिभा का ही कमाल था कि आज बिहार में कैरम जैसे खेल जिसे लोग मनोरंजन के तौर पर खेल खेलते हैं, लोग अब सीरियस होकर उस में करियर बनाने की भी सोचने लगे हैं। साथ ही साथ सरकार ने इसके लिए खिलाड़ियों को सुविधा भी मुहैया कराने लगी है। वहीं, कैरम की बढ़ती लोकप्रियता का ही नतीजा है कि आज कैरम दुनिया के कई देशों में खेला जाता है और दुनिया के कई खिलाड़ी इसको गंभीरता से लेकर अपना करियर बनाने में लगे हुए हैं। बिहार की रश्मि को देश की लाडली बनने पर हम सभी भारतवासियों को गर्व है। रश्मि को सलाम।
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