राहुल को अपनी पिच पर खिला पाएगी भाजपा....!
राज-काज
दिनेश निगम ‘त्यागी’,वरिष्ठ पत्रकार
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के हिंदी भाषी राज्य मप्र में प्रवेश के साथ भाजपा की चिंता बढ़ गई है। राहुल महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में थे तब तक कोई बवेला नहीं हुआ, लेकिन यात्रा के मप्र में प्रवेश लेते ही विवाद शुरू हो गए। राहुल ने महाराष्ट्र में सावरकर को लेकर एक बयान दिया था, इसे लेकर शुरू विवाद एक दिन से ज्यादा नहीं चला। वजह विरोधियों के आरोपों पर राहुल का कोई प्रतिक्रिया न देना भी है। अब भाजपा की कोशिश राहुल की यात्रा को अपने एजेंडे पर लाकर अपनी पिच पर खिलाने की है। भाजपा की पिच है हिंदुत्व, पाकिस्तान और हिंदू-मुस्लिम। यात्रा में शामिल एक युवक ने कह दिया कि यात्रा उग्र और कुरूप हिंदुत्व के खिलाफ बंधुत्व के लिए है, भाजपा न इसे तत्काल लपका। कहा गया कि हिंदुत्व को कुरूप और उग्र कहा जा रहा है। कांग्रेस को हिंदू विरोधी ठहराने की कोशिश शुरू हो गई। अगले दिन एक वीडियो वायरल हुआ, इसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे सुनाई पड़ रहे थे। भाजपा ने इस पर भी यात्रा को घेरा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक ने कहा कि यात्रा भारत जोड़ने के लिए निकली है और नारे भारत को तोड़ने वाले लग रहे हैं। यह मामला पुलिस की चौखट तक पहुंच गया। सच जो भी हो लेकिन भाजपा राहुल की यात्रा को अपने एजेंडे पर लाने की कोशिश में है। इसमें वह सफल होती हैं या नहीं, फिलहाल पता नहीं।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कन्फ्यूजन में कांग्रेस....
विधानसभा में कांग्रेस द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कन्फ्यूजन है। पार्टी के अधिकांश विधायक ही इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह चाहते हैं कि दिसंबर में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव ले आया जाए। आरोप पत्र तैयार करने में मदद के लिए उन्होंने विधायकों को पत्र भी लिखा है, लेकिन विधायक रुचि नहीं ले रहे। कुछ विधायक चाहते हैं कि यह बजट सत्र में लाया जाए, जबकि बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की परंपरा नहीं है। यदि अविश्वास प्रस्ताव को बजट सत्र के नाम पर टाला गया तो काफी देर हो चुकी होगी। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की जानकारी में यह मामला है लेकिन वे हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। लिहाजा, नेता प्रतिपक्ष डॉ सिंह ने खुद ही अपने कुछ खास विधायकों की मदद से आरोप पत्र तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। भाजपा के अब तक के शासनकाल में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा लाए गए दो अविश्वास प्रस्ताव अलग-अलग कारणों से चर्चित रहे हैं। पहली बार अजय सिंह ने तैयारी के साथ सरकार को अच्छा घेरा था और दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत करने खड़े हुए उप नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा के पाले में चले गए थे। डॉ सिंह का अविश्वास प्रस्ताव आ पाता है या नहीं, इसे लेकर पशोपेश की स्थिति है।
हे नाथ! कुनबे को बचाने का कौशल भी दिखाइए....
मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के तीसरे दिन कांग्रेस का एक विकेट गिर गया। इस बार किसी सांसद, विधायक या मंत्री ने पार्टी नहीं छोड़ी, कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा उन्हें अलविदा कह गए। पार्टी विधायकों, नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण कमलनाथ अपनी सरकार गंवा चुके हैं। इससे उन्होंने कोई सबक नहीं लिया। तभी नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने का न थमने वाला सिलसिला जारी है। सलूजा ऐसे नेता थे जो कमलनाथ के लिए मीडिया का काम तब से देख रहे थे जब वे न प्रदेश अध्यक्ष बने थे, न ही मुख्यमंत्री। इंदौर में रहकर वे कमलनाथ का काम देखते थे। किनारे किए गए मानक अग्रवाल और सैयद जाफर भी कमलनाथ के ऐसे ही समर्थक थे। कमलनाथ को ऐसे समर्थकों का खास ख्याल रखना चाहिए। ऐसा करने की बजाय वे कहते हैं, जिसे कांग्रेस छोड़ना हो छोड़ दे, वे किसी को मनाएंगे नहीं। कोई भी दल या संगठन ऐसे नहीं चलता। कमलनाथ को मैनेजमेंट का महारथी माना जाता है लेकिन उनका यह कौशल नदारद है। मप्र में उनके नेतृत्व में चुनाव की तैयारी चल रही है। यदि मुखिया ही रूठे कार्यकतार्ओं, नेताओं को नहीं मनाएगा तो पार्टी चलेगी कैसे? ऐसे रुख के कारण ही कांग्रेस का कुनबा विखर रहा है। कमलनाथ को इसे बचाने का कौशल दिखाना चाहिए। वर्ना सत्ता में वापसी उनके लिए दिवास्वप्न बनकर ही रह जाएगी।
उमंग के खिलाफ रेप का मामला, साजिश या सच....!
कांग्रेस की दबंग आदिवासी नेता स्वर्गीय जमुना देवी के भतीजे विधायक उमंग सिंघार मुसीबत में हैं। उनकी पत्नी ने ही उनके खिलाफ रेप का प्रकरण दर्ज कराया है। पुलिस उमंग की तलाश कर रही है। वे फरार बताए जा रहे हैं। उमंग अपनी बुआ जमुना देवी जैसे दबंग हैं। वे राहुल गांधी कैम्प के हैं, इसलिए भी किसी की परवाह नहीं करते। जमुना देवी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को पसंद नहीं करती थीं, उमंग का भी उनके साथ छत्तीस का आंकड़ा है। उनके खिलाफ ऐसे समय प्रकरण दर्ज किया गया, जब राहुल की भारत जोड़ो यात्रा मप्र में प्रवेश करने वाली थी। यात्रा यहां पहुंच चुकी हैं। राहुल आदिवासी क्षेत्रों में पहुंच भी रहे हैं। इसलिए मामला भले सच हो लेकिन इसमें साजिश की बू आती है। कानून के जानकारों की इस प्रकरण को लेकर अलग-अलग राय है। कोई कहता है कि पत्नी के साथ रेप का केस बनता ही नहीं है। दूसरे का मत है कि कोर्ट रेप की धारा को रद्द कर देगा। तीसरे की राय है कि लगता है राजनीतिक दबाव में पुलिस ने जल्दवाजी में प्रकरण कायम किया है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उमंग पाक साफ हैं। उन पर पत्नी की प्रताड़ना का मामला तो बनता ही है। एक से ज्यादा शादियां कर भी उन्होंने खुद को संदेह के दायरे में डाल रखा है। इसे मामले में राहुल-प्रियंका गांधी से सवाल पूछे जा रहे हैं। कांग्रेस को इसका नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस के एक दलित नेता का असमय अंत....
कांग्रेस में कभी प्रेमचंद गुड्डू का जलजला था। वे पार्टी के तेजतर्रार दलित चेहरा थे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खेमे के दमदार नेता। युकां का अध्यक्ष बनने के बाद गुड्डू ने सोहरत हासिल की और सांसद बनने के बाद वे बुलंदियों पर थे। इसके बाद वे लोकसभा चुनाव हारे और अब सीन से पूरी तरह गायब हैं। प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। मालवा-निमाड़ के साथ प्रदेश भर के प्रमुख कांग्रेस नेता इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं जबकि गुड्डू नदारद हैं। खबर यहां तक है कि दिग्विजय सिंह ने नाराज होकर उन्हें एक बैठक से ही बाहर कर दिया था। इस हालात में पहुंचने के लिए गुड्डू खुद जवाबदार हैं। वे एक बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन भी थाम चुके हैं लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। भाजपा के टिकट पर भी उनका बेटा विधानसभा चुनाव हार गया था। कई दूसरे बड़े नेताओं की तरह उन्हें खुद को लेकर कुछ ज्यादा ही गलतफहमी हो गई थी। उन्हें इतना अति आत्मविश्वास था कि बेटे के लिए विधानसभा का एक टिकट हासिल करने के लिए उन्होंने कांग्रेस के साथ धोखा किया। यह खबर राहुल गांधी के पास पहुंची तो वे बहुत नाराज हुए। फिर भी कांग्रेस में उनकी वापसी हुई और वे तुलसी सिलावट के मुकाबले खुद विधानसभा का उप चुनाव हार गए। अब ऐसा लगा रहा है कि कांग्रेस के एक दलित चेहरे का असमय अंत हो गया।
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