भोपाल से दिल्ली तक कुएं में भांग घुली...
ना काहू से बैर
राघवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
सियासी तौर पर देश में अजीबोगरीब माहौल हो रहा है भोपाल से लेकर दिल्ली तक ऐसा लगता है चौतरफा कुएं में भांग घुली हुई है। हिमाचल के बाद गुजरात विधानसभा चुनाव को देखें तो प्रमुख दल कांग्रेस दोनों राज्यों में किनारे पर है लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने वहां सब कुछ दाव पर लगा रखा है। विपक्ष इसे घबराहट समझ रहा है तो भाजपा पिछला रिकार्ड तोड़ने की कोशिश। आज की कहानी गुजरात को केंद्र में रखकर शुरू होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह ने इस बार गुजरात में अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। जाहिर है भाजपा ने अपने दो नायक मोटा भाई और छोटा भाई के गृह राज्य में ऐसा कोई प्रयास नहीं छोड़ा है जो पार्टी को बहुमत दिलाने में काम ना आता हो। लेकिन इसके पीछे भाजपा के तुर्रम नेताओं का (संगठन शास्त्र के जानकारोंसे माफी के साथ का) बचपना, अनाड़ी पन और जीतने के लिए बदहवासीपन, कुरूप चेहरे के साथ उजागर हो रहा है। इसके चलते अघोषित रूप से प्रदेश में कैबिनेट की बैठक स्थगित करनी पड़ी। क्योंकि मंत्रियों को गुजरात जाने के दिल्ली से सीधे निर्देश मिले। ऐसा सम्भवतः पहली बार हुआ।
असल में भाजपा के भीतर संगठन की कमजोरियों को ना तो कोई रोकने वाला बचा और ना टोकने वाला। लगभग हर तरह से कमजोर (थोड़े को ज्यादा समझें) नेताओं की प्रदेशों से दिल्ली तक भरमार है। पहले ऐसे अय्यार और आसमान से टपके अपवाद स्वरूप कुछेक ही नेता हुआ करते थे। उन्हें संघ परिवार और संगठन के समझदार नेताओं की टोली सम्भाल लिया करती थी। मगर अब ऐसे नेताओं का संगठन पर कब्जा सा हो गया है। ताजा मिसाल के तौर पर नतीजा सामने है। मप्र में सरकार और संगठन को बाईपास कर मंत्रियों को गुजरात चुनाव में जाने के लिए कहा गया। इतना अंधेरे में रख गया कि दाएं हाथ नही पता कि बायां हाथ क्या कर रहा है। परिणाम स्वरूप किसान आंदोलन और डॉक्टर्स की हड़ताल की आड़ लेकर के मंत्रिपरिषद की बैठक स्थगित करनी पड़ी। मंत्री तो चाहेंगे कि दिल्ली उनसे सीधे संवाद करे। लेकिन इस अनाड़ी पन से उपजने वाली अराजकता की कीमत आने वाले दिनों में सत्ता संगठन को ही भुगतनी पड़ सकती है।
एक कांग्रेसी नेता के चक्कर में भाजपा के दो नेता भिड़े...
कांग्रेस के नेता जब भाजपा में है तो उनके आने से पहले और बाद में भाजपा के दो बड़े नेताओं में कड़वाहट बढ़ी और अब मामला चुनौतीपूर्ण चेतावनी तक आ गया है। दरअसल पहले भाजपा के दिग्गज नेता एतराज के चलते कांग्रेस नेता का भाजपा में आना रुक गया था। लेकिन फिर से जमावट के बाद मालावा के कांग्रेस नेता का भाजपा में आने का रास्त साफ हुआ। लेकिन उनके आगमन कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की अनुपस्थिति ने पूरे मामले में विष घोल दिया। अब सूत्रधार अध्यक्ष शर्मा के निशाने पर है। गुजरात चुनाव के बाद इस विवाद का पटकथा का समापन होगा। इसमें किसे कितना नफा नुकसान होगा यह दिलचस्प होगा। दोनो नेताओं में पहले भी ठन चुकी है।
राहुल के रंग से चौकस भाजपा
राहुल बाबा की भारत जोड़ो यात्रा के प्रदेश में आने के बाद भाजपा सतर्क है। भाजपा संगठन और सरकार इन दिनों गुजरात चुनाव में व्यस्त हैं। जाहिर है गुजरात चुनाव के बाद भाजपा राहुल यात्रा के असर की समीक्षा करेगी और उसके बाद कोई रणनीति बनाएगी कांग्रेसी भी अपने जासूसों को भाजपा में सक्रिय किए हुए हैं इस मामले में भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हर चाल पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा समझती है भारत जोड़ो यात्रा के कर्ता-धर्ता श्री सिंह पर्दे के पीछे किसी बड़ी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
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