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अपना एमपी गज्जब है..27 यहां आज भी रावण पूजा जाता है! वह दामाद भी है!


अरुण दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार
                   भाजपा के बड़े नेता भले ही प्रदेश में "विभीषण" को सम्मान दे रहे हों,उन्हें पूज्य बता रहे हों.. लेकिन अपने एमपी में आज भी पूजा रावण की ही होती है।  राम का साथ  देने वाले रावण के भाई विभीषण को न कोई सम्मान देता है और न ही कोई पूज्य बताता है। मजे की बात यह है रावण की पूजा उन्हीं शिवराज सिंह के अपने विदिशा जिले में होती है,जो आधुनिक विभीषणों के साथ मिलकर प्रदेश की सरकार चला रहे हैं! यह तो आपको पता ही होगा कि पिछले दिनों भाजपा के मध्यप्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं को विभीषण बताया था।उस मंच पर शिवराज सरकार के वे दो मंत्री भी मौजूद थे जो कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रहे थे।खुद को विभीषण बताए जाने पर इन दोनों मंत्रियों के मुख पर जो मुस्कान आई थी वह देखने लायक थी।
                कांग्रेस शुरू से ही आरोप लगाती रही है कि भाजपा ने उसके विधायकों को मोटी रकम देकर  खरीदा था।भाजपा के प्रभारी द्वारा उन्हें विभीषण कहे जाने पर उसने खूब चुटकी ली।इस पर भाजपा के एक उत्साही नेता ने तो यहां तक कह दिया कि विभीषण पूज्य और सम्मानित हैं।उन्होंने भगवान राम की मदद की थी।
 इस बीच कुछ बड़े भाजपा नेताओं के बयान भी आए।उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 20 से ज्यादा और विधायक  भी भाजपा में आने को तैयार बैठे हैं।इस बीच एक पूर्व विधायक और कमलनाथ के निजी प्रवक्ता को भाजपा में शामिल भी कराया गया।
                 फिलहाल यह चर्चा भी चल रही है कि मध्यप्रदेश में तो "विभीषणों की मंडी" लगी हुई है।बोली लगाओ और साथ ले जाओ!
 लेकिन राजनीति से अलग जमीनी हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश शायद देश का इकलौता राज्य है जहां बाकायदा रावण की पूजा होती है।गांव का नाम ही रावण के नाम पर है - रावण गांव!
 राजधानी भोपाल से सटा एक जिला है विदिशा!उसका अपना इतिहास है।लेकिन वर्तमान यह है कि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का अपना प्रिय जिला है।हालांकि वे 1992 में यहां  लोकसभा का टिकट लेकर आए थे।बाद में यहीं के हो गए।इसी विदिशा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।अब यहीं उनका घर है।यहीं वे खेती करते हैं।उनके बाग बगीचे भी यहीं हैं।दूध का कारोबार भी यहीं से चलता है।उनका मूल गांव जैत सीहोर जिले में आता है।आजकल वे विधायक भी सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से हैं।लेकिन विदिशा से उनका जोड़ फेविकोल के जोड़ की तरह पक्का है।
                    इसी विदिशा जिले की एक तहसील है - नटेरन! नटेरन से करीब 6 किलोमीटर दूर बसा है गांव - रावण !इस गांव में रावण की एक प्रतिमा है।करीब 10 फिट लंबी और तीन फिट चौड़ी यह प्रतिमा लेटी हुई है। रावण गांव के लोगों के देवता हैं।गांव के लोग उन्हें रावण बाबा कहते हैं।जब पूरा देश दशहरे का जश्न मना रहा होता है तो इस गांव के लोग शोक मनाते हैं।वे आज भी दशहरे पर रावण को जलाते नहीं हैं।बल्कि पूजते हैं।
                  रावण गांव कैसे बसा!रावण की प्रतिमा गांव में कैसे आई!इन सवालों का उत्तर गांव वाले अपने पुरखों से सुनी कहानी के आधार पर देते हैं।उनके मुताबिक गांव के उत्तर में करीब तीन किलोमीटर दूर एक पहाड़ है।उसे बूधे का पहाड़ कहा जाता है।बताते हैं कि उस पहाड़ पर बुद्धा नाम का एक राक्षस रहता था।वह महावली रावण से युद्ध की इच्छा रखता था।वह रावण के दरबार में जाता लेकिन वहां की रौनक देख कर वापस लौट आता।बार बार दरबार में आने और वापस लौटने वाले बुद्धा को एक दिन रावण ने रोक लिया।उससे पूछा कि वह बार बार दरबार में क्यों आता है।तो उस राक्षस ने उत्तर दिया कि वह उससे युद्ध करना चाहता है।लेकिन दरबार में आकर उसका मन बदल जाता है।तब रावण ने उससे कहा कि वह अपने गांव में उसकी प्रतिमा बनाए और उससे युद्ध करे।
 गांव वालों के मुताबिक वापस आकर बुद्धा ने रावण की प्रतिमा बनवाई।फिर क्या हुआ सही मालूम नहीं।लेकिन बाद में वहां रावण के नाम पर गांव बस गया।अब उस गांव में रावण की पूजा होती है। खुशी के हर मौके पर गांव के लोग रावण की प्रतिमा के पास ही जाते हैं।अपना दुख भी वे रावण को ही बताते हैं।वे न तो रावण को जलाते हैं और न ही दशहरा मनाते हैं।
 कहा यह भी जाता है कि रावण की ससुराल भी मध्यप्रदेश में ही थी।आज जो मंदसौर जिला है वह त्रेता युग में दसपुर नाम से जाना जाता था।रावण की पटरानी मंदोदरी यहीं की थी।आज भी मंदसौर के खानपुरा इलाके में रावण की प्रतिमा लगी हुई है।यह प्रतिमा करीब 20 फिट ऊंची बताई जाती है।यहां भी लोग रावण की पूजा ही करते हैं।वे अपने दर्द से छुटकारा पाने के लिए रावण के पांव में धागा बांधते हैं।ऐसा करने से उन्हें  दर्द से निजात मिल जाती है।
                         यह भी अजब संयोग ही कहा जायेगा कि भले ही आधुनिक विभीषणों ने शिवराज सिंह को उनकी खोई सत्ता वापस दिला दी हो!भाजपा नेता विभीषण को पूज्य और सम्मानित बता रहे हों!लेकिन मध्यप्रदेश में पूजा तो आज भी रावण की ही होती है।
                       भले ही भाजपा  विभीषणों की तलाश में अपना खजाना खोले बैठी हो।पर रावण की पूजा वह भी रोक नही पाई है। कुछ भी हो ! आखिर अपना एमपी गज्जब जो है ! है कि नहीं!!!?

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