शिवराज की बुलडोजर मामा छवि पर संकट..!
श्रीश्रीप्रकाश दीक्षित ,वरिष्ठ पत्रकार
मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान के पहले 14-15 राजनेता मुख्यमंत्री रह चुके हैं जिनमे मोतीलाल वोरा,बाबूलाल गौर और कैलाश जोशी जैसे लो प्रोफाइल नेता भी थे जिन्हें बिन मांगे कुर्सी मिल गई थी.इसके बावजूद किसी ने भी ना तो शिवराज की तरह गैरजिम्मेदाराना और फरेबी जुमलेबाजी की और ना ही तालिबानी इंसाफ जैसी धमकियाँ दी थीं.शिवराज का दो तीन दिन पहले ही फिर धमकी भरा बयान आया है की आदिवासियों की जमीन में लफड़ा करने वाले को मामा यानि वो उलटा लटका देंगे.इसके पहले वो कलेक्टरों को भी उलटा लटकाने और माफिया को जमींन में दस फीट नीचे जिन्दा गाड़ने की धमकियाँ देते रहे हैं.प्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर घोषित कर वे अपनी खिल्ली देश-प्रदेश में उड़वा ही चुके हैं.
शिवराज भले मध्यप्रदेश में सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड बना चुके हों पर इस प्रकार की फरेबी जुमलेबाजी उनकी शान में इजाफा नहीं करती,बल्कि पद की गरिमा को कम कर रही हैं.पर अब उन्हें सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि चुनाव से पहले केंद्र और राज्यों की सरकारों के कार्यकलापों पर बड़ी अदालतों ने लगाम कसना शुरू कर दिया है.मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव अगले साल होना हैं.गुजरात चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रातोंरात चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है और फैसला सुरक्षित रखा है.लग यही रहा है की केंद्र की किरकिरी होने वाली है.
इसी प्रकार असम सरकार द्वारा बिना अदालत की इजाजत के बुलडोजर चलाने और तलाशी लेने पर हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है.जजों ने यहाँ तक कह दिया की ऐसा तो हिंदी फिल्मों में भी नहीं होता है.ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज की बुलडोजर मामा की प्रचारित छबि और बलात्कार आरोपियों के घरों को ध्वस्त करने की उनकी मुहिम पर भी शिंकजा कस सकता है. उन्होंने अपराधियों के घरों पर तो बुलडोजर चलवाया पर उन अफसरों और नेताओं को बक्श दिया जिनकी शह पर अतिक्रमण कर अपराधी फल फूल रहे थे.