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दोपहिया पर घूम कर शहर की नब्ज जान चुके हैं कलेक्टर ••••


किसी के दबाव-प्रभाव में आकर शहर हित के मामलों में समझौता करने वालों में से नहीं हैं इलैया राजा

कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार

               चौदह दिन पहले (9नवंबर को) इंदौर के प्रशासनिक मुखिया के रूप में कमान संभालने वाले इलैया राजा टी सीधे पब्लिक से कनेक्ट रहने वाले कलेक्टर साबित होंगे। यह उनसे करीब एक घंटे की चर्चा में साबित हुआ।वो हर वक्त अपने शासकीय वाहन का इस्तेमाल करने वाले अधिकारियों में से भी नहीं हैं।शहर की नब्ज पहचानने के लिए वे सुबह सुबह मोटर साइकिल के साथ ही पैदल भ्रमण भी कर चुके हैं। 
अनौपचारिक चर्चा के दौरान उनकी बातचीत से यह संकेत भी मिले कि वे आमजन से सीधे बात कर उनकी परेशानी हल करने में विश्वास रखने वाले तो हैं ही, जबलपुर, रीवां में कलेक्टरी के अनुभव से शहर को बेहतर बनाना उनके लिए मुश्किल नहीं है। साथ ही आईएएस वाले रुतबे का उनकी बॉडी लैंग्वेज पर असर नजर नहीं आता, जो यह भी दर्शाता है कि वे किसी के दबाव-प्रभाव में आकर शहर हित के मामलों में समझौता करने वालों में से नहीं है।याददाश्त और कार्य निष्ठा इससे भी समझी जा सकती है कि इस एक पखवाड़े में वे शहर के मिजाज को समझ चुके हैं। चौराहों, बाजार के नाम के साथ ही वे यह बताना भी नहीं भूलते कि किस इलाके में कौनसी समस्या अधिक है।  
                अपनी इस कार्यशैली का रहस्योद्घाटन भी उन्होंने इस सुझाव पर किया कि शहर के बेतरतीब ट्रैफिक से होने वाली परेशानी को समझने के लिए आप को अपनी कार छोड़ कर दो पहिया वाहन पर मुख्य मार्गों का चक्कर लगाना चाहिए। उन्होंने प्रति प्रश्न किया मेरी वर्किंग आप को पता है या नहीं। फिर खुद ने ही बताया ज्वाइन करने के बाद से अब तक मैं एकाधिक बार टू वीलर से घूम चुका हूं।स्वच्छतम शहर को यदि ट्रैफिक में नंबर वन बनाना है तो शहरवासियों की भागीदारी क्या हो, ऑटो रिक्षा, ई रिक्षा, चार पहिया वाहनों की मनमानी गति, यातायात नियमों की अनदेखी के साथ यह भी समझा है कि शहर में मल्टी लेबल पार्किंग तो है लेकिन वहां लोग अपने वाहन पार्क नहीं करते। सड़कों पर दुकानदारों के वाहनों की पार्किंग से जगह बचती ही नहीं कि उस मार्ग पर खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहक अपने वाहन पार्क कर सकें। 
                    उन्होंने माना कि 15 जनवरी तक इंदौर की प्रतिष्ठा वाले दो इवेंट में प्रशासनिक मशीनरी व्यस्त रहेगी। प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इंवेस्टर समिट इन दो आयोजनों में शहर के प्रबुद्धजनों-व्यापारिक संगठनों की भागीदारी से इंदौर की पहचान-प्रतिष्ठा में वृद्धि ही होना है। ये दो आयोजन इंदौर की मेहमांनवाजी को भी स्थापित करेंगे।
                    इन आयोजनों के बाद हमारा लक्ष्य होगा आमजन की भागीदारी से इंदौर को ट्रैफिक में भी  नंबर वन बनाने पर वर्किंग शुरु करेंगे। स्वच्छता में इंदौर ने जो उपलब्धि हांसिल कि है वह माइक्रो प्लानिंग से ही संभव हुई है।ट्रैफिक में नंबर वन आने के लिए भी माइक्रो प्लानिंग के साथ ही एक दूसरे का भरोसा जीत कर काम करना होगा।प्रेस क्लब के निमंत्रण पर पहुंचे कलेक्टर इलैया राजा टी को अध्यक्ष अरविंद तिवारी सहित अन्य पत्रकारों ने शहर हित से जुड़े विभिन्न मुदों की जानकारी दी तो मुख्य समस्या ट्रैफिक कको बेहतर बनाने को लेकर उनका कहना था यदि आप लोग मानते हैं कि ऑटो रिक्षा, ई रिक्षा आदि पर नियंत्रण जरूरी है तो यह काम इतना चुनौतीपूर्ण भी नहीं है।रीवां में भी ऑटो रिक्षा संबंधी परेशानियों का हल निकालने के लिए हमने पहले चालकों के साथ बात की, उनकी समस्या जानी, सहयोग मांगा।उनके रूट तय करने के साथ ही कलर कोडिंग सिस्टम शुरु किया यानी हर क्षेत्र के लिए इन वाहनों के अलग अलग रंग निर्धारित किए ताकि वे सवारी के चक्कर में दूसरे क्षेत्र में ना भीड़ बढ़ाएं मैंने यहां के रेलवे स्टेशन पर देखा है सवारी के लिए झपट पड़ते हैं, रीवां-जबलपुर में भी ऐसा ही होता था जिसे एक दूसरे के भरोसे से सुधारा।
मेरा वाहन भी फंस गया था बीच सड़क पर झगड़ते ऑटो चालकों के कारण                                                                                                                        कलेक्टर ने बताया आम वाहन चालकों की तरह मैं भी परेशान हुआ हूं। मैं जिस रोड से एयरपोर्ट जा रहा था, वहां दो ऑटो वाले आपस में लड़ रहे थे।उनके इस झगड़े से रोड पर जाम लगा हुआ था, मेरी गाड़ी भी फंस गई। आखिरकार मेरा गनमेन उतरा, दोनों को समझाइश देकर अलग किया, तब कहाीं जाम से लोगों को राहत मिली। ट्रैफिक की बेहतरी के लिए उन्होंने नगर सुरक्षा समिति सदस्यों के साथ ही ट्रैफिक वार्डन के सहयोग वाली व्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर सहमति व्यक्त की। 
शहर को भिखारियों मुक्त करेंगे, उनके बच्चों की शिक्षा व्यवस्था भी करेंगे
                   शहर के चौराहों पर देखा है वाहन रुकते ही भिखारी गाड़ियों के कांच ठोंकने लगते हैं, पेन आदि सामान बेचने की आड़ में हाथ फैलाते, परेशानी खड़ी करने लगते हैं।उनकी हालत देख कर मन में दया उमड़ती है जबकि गिल्टी फील कराना ही उनका इंवेस्टमेंट है। जबलपुर में नंगे बच्चे को कंधे पर डाल कर रिक्शा खींचने वाला एक वीडियो वॉयरल हुआ था।मैंने जब सच्चाई पता की तो सामने आया कि लोगों की दया का फायदा उठा कर नशे के लिए पैसे जुटाने का उसका यह तरीका है। 
                    जनवरी में होने वाले दो प्रतिष्ठापूर्ण आयोजनों में आने वाले अतिथियों के मन में शहर की छवि बेहतर बनी रहे इसके लिए शहर के चौराहों को भिखारियों मुक्त करेंगे।यह ऐसी समस्या बन गई है जिससे आम वाहन चालक भी परेशान रहते हैं।भिखारियों को हटाने में मानवीय पक्ष के तहत उनके खाने की स्थायी व्यवस्था, रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही, बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था भी करेंगे।   
नाइट कल्चर का पक्षधर हूं, इसकी खामियां दूर करेंगे
सोसायटी करप्ट तो ऑफिससर कैसे ईमानदार होंगे

                      सराफा, राजवाड़ा क्षेत्र में लगभग पूरी रात खानेपीने की दुकानें खुली रहने का जिक्र करते हुए जब उनसे शहर के पूर्वी क्षेत्र में नाइट कल्चर की शुरुआत के बाद नशा, अपराध की घटनाओं कई मामलों में पुलिस की उदासीनता पर चर्चा की तो उनका कहना था इंदौर एक तेजी से विकसित होता देश का प्रमुख शहर है।ऑफिसों में तीन शिफ्ट में काम होने लगा है, ऐसे में नाइट कल्चर तो जरूरी है। मैं नाइट कल्चर का पक्षधर हूं, इसकी खामियां दूर करेंगे जरूरी यह है कि नाइट लाइफ अच्छे से हो। इसकी खामियां को दूर करने पर विचार होना चाहिए।सारा दोष पुलिस-प्रशासन को देना भी ठीक नहीं।बच्चों पर पेरेंट्स का नियंत्रण जरूरी है, इस दिशा में पहल उन्हें ही करना होगी।हमारी सोसायटी यदि करप्ट है तो ऑफिसर्स कैसे ईमानदार होंगे।
नाइट लाइफ वाले खतरों ड्रग्स कारोबार, एंटी सोशल एलीमेंट पर अंकुश लगाना प्रशासन का काम है। 
शहर का कलेक्टर तो मैं ही हूं, मनीष सिंह से शहर को समझने में मदद मिलेगी
कलेक्टर इलैया राजा ने शहर में दो पॉवर सेंटर होने जैसी बातों को खारिज किया है। उनका कहना है शहर का कलेक्टर तो मैं ही हूं। मनीष सिंह मेरे पहले शहर में विभिन्न पदों पर रहे हैं तो उनसे शहर को समझने में मुझे मदद ही मिलेगी। जबलपुर, रीवां आदि शहरों में रहते हुए भी मुझ से पहले रहे कलेक्टरों से सहयोग लेता रहा हूं। वैसे भी मेट्रो, इंडस्ट्री आदि के कार्य भी सरकार की प्राथमिकता के ही हैं।एक दूसरे की मदद से सरकार के कामों की गति तेज ही होगी।

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