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प्रजा बेहाल बनाम चमकीली विज्ञापनबाजी..?


श्रीश्रीप्रकाश दीक्षित ,वरिष्ठ पत्रकार
                   नईदुनिया की दो चार दिन पहले की खबर के मुताबिक प्रदेश के अस्पतालों में पिछले सात महीनों में नौ हजार नवजात शिशुओ ने दम तोड़ दिया.यह भी खबर है की प्रदेश में रोजाना पचास नवजातों की मौत हो जाती है.इन मौतों का मुख्य कारण कुपोषण है जो गरीबी की देंन है.नवजातों में कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश ख़ासा बदनाम है और दीगर राज्यों से ऊपर है.एक बड़े अस्पताल की बदहाली पर भी खबर है.इसी अख़बार की खबर बताती है की प्रदेश की ख़राब सडकें पिछले दस महीनों में 135 लोंगो की जान चुकी हैं.उधर शिवराज सरकार योजनाएँ और कार्यक्रम बनाने और उनके महंगे विज्ञापन रूपी प्रचार पर बेजा जनधन लुटाने में मशगूल है.दो दो पेज के विशाल विज्ञापनों की भरमार है जिन पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज का दमकता चेहरा ऊपर बिराजमान रहता है.
                  राष्ट्रपति मुर्मू के दौरे और जनजातीय के पेसा कानून पर दो दो  पेज के विज्ञापन  दिए गए जिन्हें एक या आधे पेज में समेटा जा सकता था.विज्ञापनों में  योजनाओं और कार्यक्रमों की लुभावनी जानकारी परोसी जाती है.पर उन्हें अमलीजामा पहनाने से सरकार बेफिक्र रहती है.तभी तो मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की पोल पार्टी के विधायक खोल देते हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना की दुर्गति की भी खबरें आती रहती है.पेयजल के लिए जान पर खेलतीं महिलाएँ और बच्चे तथा अस्पतालों और स्कूलों के बेहाल हाल की खबरें तस्वीरों के साथ  छपती रहती है.जाहिर है सरकार यदि सचेत रहती तो हालत इतने खराब ना होते.
              वैसे भी शिवराज  सरकार की प्राथमिकताओं में मूर्तियाँ,स्मारक और धर्म कर्म पहले भी था,अब कुछ ज्यादा ही नजर आने लगा है.सरकार द्वारा श्रीलंका में सीता मंदिर का निर्माण और मंत्रालय आदि में पूर्व मुख्यमंत्रियों/नेताओं की मूर्तियों की स्थापना की बात पुरानी हो चुकी है.अब स्टेच्यु ऑफ़ वननेस,शंकराचार्य की मूर्ति तथा ओंकारेश्वर,सलकनपुर और मैहर आदि का कायाकल्प उसके एजेंडे में शामिल है.मीडिया के अनुसार विधानसभा चुनाव से पहले धर्म से सराबोर होगा पार्टी का प्रचार अभियान.

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