मध्यप्रदेश में अब 5 वीं और 8 वीं की होगी बोर्ड परीक्षा
संदीप कुलश्रेष्ठ
हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार अब प्रदेश में 5 वीं और 8 वीं की बोर्ड की परीक्षाएँ फिर से होगी। 13 साल बाद फिर से यह व्यवस्था प्रदेश में लागू कर दी गई है। राज्य स्तर पर ही इसके पेपर तैयार किए जायेंगे और मूल्यांकन करने के लिए उत्तर पुस्तिकाएँ एक स्कूल से दूसरे स्कूल तक भेजी जायेगी। यदि कोई बच्चा फेल हो जायेगा तो उसे फिर से उसी कक्षा में पढ़ना होगा।
2008 में बदल दिया था नियम -
प्रदेश में 2008 के पूर्व 5 वीं और 8 वीं बोर्ड की परीक्षाएँ बोर्ड पैटर्न पर ही होती थी। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 2008 से दोनों ही क्लास से बोर्ड पैटर्न हटा दिया था । अब बोर्ड की व्यवस्था फिर से शुरू कर दी गई है। इसी शैक्षणिक सत्र के अंत में 5 वीं और 8 वीं की वार्षिक परीक्षा होगी।
फेल होने पर छात्रों को मिलेगा एक मौका -
कक्षा 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा में यदि कोई फेल हो जाता है तो उसे दोबारा पेपर देने का एक मौका दिया जायेगा। इस परीक्षा में भी यदि छात्र असफल हो जाता है तो उसको उसी कक्षा में पढ़ना होगा। उसे अगली कक्षा में नहीं भेजा जायेगा। इसी साल से सरकारी स्कूलों के साथ-साथ प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त निजी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में भी 5 वीं और 8 वीं की वार्षिक परीक्षाएँ होगी।
प्रश्नपत्र के अंकों का निर्धारण -
कुल 100 नम्बरों में से अर्द्धवार्षिक परीक्षा के 20 प्रतिशत अंक रहेंगे। वार्षिक परीक्षा के अर्न्तगत लिखित परीक्षा के 60 प्रतिशत और वार्षिक परीक्षा के प्रोजेक्ट के काम के लिए 20 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए हैं।
फीस भी कर दी गई है निर्धारित -
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 5 वीं की परीक्षा के लिए मात्र 50 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार 8 वीं की परीक्षा के लिए 100 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसके अलावा किसी भी निजी अथवा सरकारी स्कूलों द्वारा परीक्षा के नाम पर बच्चों से कोई शुल्क वसूला नहीं जायेगा।
पहले रायशुमारी की गई थी -
राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 5 वीं और 8 वीं की बोर्ड परीक्षा निर्धारित करने के पूर्व प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के छात्र-छात्राओं,माता-पिता और अभिभावकों, शिक्षकों और निजी स्कूलों के संचालकों से बोर्ड परीक्षा आयोजित करने अथवा नहीं करने के संबंध में उनका अभिमत मांगा गया था। अधिकांश छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और संस्था संचालकों द्वारा बच्चों के शैक्षणिक स्तर में आ रही गिरावट को रोकने के लिए बोर्ड परीक्षाएँ आयोजित करने के बारे में ही अभिमत दिया गया था।
प्रदेश का सराहनीय निर्णय -
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विलंब से ही सही, किन्तु सही निर्णय लिया है। सन 2008 के बाद निर्णय यह लिया गया था कि छात्र अगर फेल हो जाता है तो उसे अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जायेगा। इस निर्णय से छात्रों के शैक्षणिक स्तर में अत्यन्त गिरावट देखी गई थी। कई 8 वीं के कक्षा के छात्र - छात्राओं का शैक्षणिक स्तर 5 वीं तक का भी नहीं पाया गया था। इस कारण से बच्चों के भविष्य की नींव भी कमजोर बन रही थी। जिस भवन की नींव ही कमजोर होगी, वह भवन निश्चित रूप से लंबे समय तक टिक नहीं पायेगा। उसी प्रकार फेल बच्चों को भी प्रोन्नत कर देने से उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर बहुत गिर रहा था और उनकी नींव कमजोर हो रही थी। मध्यप्रदेश सरकार का इसी शैक्षणिक सत्र से लागू किया गया निर्णय अत्यन्त सराहनीय है।
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