top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << सियासत में संदेह के सुख- कमल की सरकार या सरकार के कमल...

सियासत में संदेह के सुख- कमल की सरकार या सरकार के कमल...


ना काहू से बैर

राघवेंद्र सिंह,वरिष्ठ पत्रकार
                 वैसे तो समाज, सियासत और सरकारों में अनेक तरह के रस होते हैं लेकिन सियासत में संदेह रस या अलंकार के अलग ही सुख होते हैं। इसे देश से लेकर सूबे में लंबे अरसे से महसूस भी किया जा रहा है। यूं तो आज़ादी से लेकर उसके बाद तक कई घटनाक्रमों के किस्से कहानियां देखी सुनी गई हैं। भला मध्यप्रदेश भी इससे अछूता कैसे रह सकता है। सो एक ताजे से घटनाक्रम पर सियासत में सम्बन्धो और सन्देहों से बाबस्ता होते हैं। भाषा के लिहाज से - सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है सारी की है नारी है किनारी की ही सारी है...यह सन्देह अलंकार का सबसे सटीक उदाहरण हैं जो हिंदी में खूब पढ़ा सुना और समझा जाता है। मध्यप्रदेश में 2003 से अब तक यदि कांग्रेस की 'कमल'नाथ सरकार के 15 महीनों को छोड़ दें तो कमल की सरकार है। हालांकि चुनाव के बाद सूबे के भले के लिए सत्ता और प्रतिपक्ष साथ कदमताल करें तो इसके लाभ ही लाभ हैं। जब कमलनाथ जी का भोपाल के जम्बूरी मैदान में शपथ समारोह चल रहा था तब कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की उपस्थिति ने यह साफ सन्देश दिया था कि विरोध चुनाव तक। नतीजे आने के बाद जनता का निर्णय सिर माथे । किसी से कोई बैर नही । प्रदेश के भले के लिए सब मिलकर काम करेंगे। जो चुनाव के बाद भी दुश्मनी पालते हैं वे बड़े नेताओं की सौजन्यता, सहयोग, समन्वय को ध्यान में रखें। राज्यसभा से रिटायर मेन्ट के समय गुलामनबी आज़ाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकदूसरे की प्रशंसा व भावुकता से भरे भाषण अपने आप में मिसाल हैं। ऐसा ही कुछ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और कमलनाथ से लेकर दिग्विजयसिंह, स्व बाबूलाल गौर, विक्रम वर्मा, अर्जुन सिंह- सुंदरलाल पटवा के बीच रहा है।
इसे आसानी से समझने के लिए 
                कमलनाथ के चिकित्सको के बीच दिया भाषण खासा महत्वपूर्ण है। जिसमे नाथ ने कोरोना काल में शिवराज सरकार की मदद का जिक्र किया है। इसका आरम्भ मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले चिरायु मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. अजय गोयनका के बयान से हुआ। अवसर था रविवार को पीसीसी में कांग्रेस स्वास्थ्य एवं चिकित्सा प्रकोष्ठ के कार्यक्रम का।  डॉ.गोयनका ने कहा- कोरोना मरीजों के इलाज का विजन तत्कालीन सीएम कमलनाथ का था। अलग-अलग जिलों के 28 हजार कोरोना मरीजों का इलाज किया। कमलनाथ ने तब कहा था हम सरकार के माध्यम से कोविड के हर पेशेंट का ट्रीटमेंट करेंगे। बाद में पैकेज हुए और बदले हुए चीफ मिनिस्टर की लीडरशिप में मेरा पैकेज हुआ था।इस दौरान कमलनाथ का दर्द छलका , बोले-कोरोना के संकट में उड़ाया था मेरा मजाक। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के आयोजन में  कमलनाथ ने कहा चिकित्सको का कार्य समाजसेवा जुडा है। उन्होंने स्मरण कराया कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमारे सामाजिक मूल्य क्या हैं।

             इस मौके नाथ कहते हैं मुझे याद है-  मैंने कहा था- ये कोरोना का संकट सामने है, तब मेरा मजाक उड़ाया गया था।  जब मैंने कहा हमें कोविड की तैयारी करनी है तो मुझे कहा गया, "ये कोरोना नहीं कमलनाथ का डरोना है"। कमलनाथ ने कहा- जब ऑक्सीजन टैंकर्स की कमी आई तब मुझे मुख्यमंत्री शिवराज जी ने फोन किया कि ऑक्सीजन की बहुत कमी हो रही है। टैंकर नहीं मिल रहे। मैंने पूछा टैंकर बनाता कौन है? उन्होंने कहा- मैं अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी से कहता हूं, वो आपसे बात करेंगे। उनके पीएस का फोन आया। बताया कि फलां कंपनी टैंकर बनाती है। मैंने स्टाफ से चेक कराकर उस कंपनी के चेयरमैन को फोन किया। उन्होंने ऐसे बात करनी शुरू की, जैसे कि मेरे दोस्त हों।

                   उन्होंने बताया कि मुझे याद है - जब आपने हमें फॉरेन कॉलेबोरेशन की परमिशन सात दिन दिलाई थी। मैंने कहा- वो सब पुरानी बातें हैं, अभी हमें टैंकर चाहिए। उन्होंने कहा टैंकर तो सारे अलॉट हो गए हैं। मैंने कहा- अभी आज ही डायवर्ट करिए। तब टैंकर मप्र पहुंचे, इससे हमें राहत मिली। इतने सारे रेमडेसिवर और फेबी फ्लू हो गए, आज भी मेरे पास एक-दो हजार रेमडेसिवर इंजेक्शन पड़े होंगे। उन्होंने कहा- मुझे याद है- मैं 5 अप्रैल 2020 को छिंदवाड़ा में था। वहां अधिकारियों, डॉक्टरों से  बैठक में पूछा कि आपको किस चीज की जरूरत है?  बताया गया कि ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। एक इंजेक्शन का नाम लिया, जिसका नाम मैंने कभी सुना नहीं था रेमडेसिविर। मैंने पूछा- इस इंजेक्शन को कौन बनाता है? जवाब मिला- सन फार्मा।

                  मैंने उसी समय सन फार्मा के चेयरमैन को कॉल किया। उन्होंने पूछा- कौन सा इंजेक्शन। मैंने रेमडेसिवर का नाम बताया, तो बोले- मैं चेक करके बताता हूं। 15 मिनट बाद उनका फोन आया कि हमारा कन्साइनमेंट एक्सपोर्ट के लिए पोर्ट में पड़ा है। उसे रिवर्स करने में सात दिन लग जाएंगे। दूसरी कंपनी थी जूबिलेंट। मैंने तब ऑक्सीजन की जो कंपनी थी, उनको फोन किया कि सारे टैंकर छिंदवाड़ा डायवर्ट कर दीजिए। टैंकर की जीपीएस लोकेशन भेजते जाइए।छिंदवाड़ा में ऑक्सीजन और रेमडेसिवर की कमी नहीं हुई। आपके साथी वहां होंगे, उनसे चेक कराएं। फिर लोगों ने कहा- फेबिफ्लू मंगा दो। वे भी उपलब्ध करा दिए। आज भी नाथ और शिवराज सिंह की निकटता से लगता है प्रदेश के हित में अच्छा तालमेल है और समन्वय के साथ सत्ता और विपक्ष मिलकर काम कर रहे हैं। राजनीति में कोई यह समझे की आपस में दुश्मन है तो यह संदेह ही है। जैसे कि  "नारी बीच सारी है कि सारी बीच नारी है कि नारी की ही सारी है कि सारी की ही नारी है"....कुछ पता चला क्या..?  सन्देह ही सन्देह हैं।  ऐसे सन्देह रस और अलंकार सियासत में भी खूब रचे बसे हैं...मान लो तो ठीक न मानो तो मर्जी है आपकी...

Leave a reply