बुध प्रदोष व्रत, ऐसें होगी नौकरी में तरक्की
भगवान शिव को त्रयोदशी तिथि बेहद प्रिय है इसीलिए उनकी पूजा प्रदोष के दिन की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। वैसे भी शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है।प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं, जो दिन के नामानुसार जाने जाते हैं। इस बार यह तिथि 14 अक्टूबर, बुधवार को है। जो प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ता है उसे बुध प्रदोष कहते हैं।
बुध प्रदोष व्रत से कर्ज से मुक्ति दिलाने के साथ ही नौकरी में तरक्की के रास्ते खोल सकता है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों के अन्दर सकारात्मक विचार आते हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
अधिक मास का आखरी प्रदोष व्रत
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत का शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व है। इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस माह प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा यह अधिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत है इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ गया है। जो लोग त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं भगवान शिव उनके जीवन से सभी दुखों को दूर कर देते हैं। इस दिन पूरे विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
अधिक मास का आखरी प्रदोष व्रत
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत का शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व है। इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस माह प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा यह अधिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत है इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ गया है। जो लोग त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं भगवान शिव उनके जीवन से सभी दुखों को दूर कर देते हैं। इस दिन पूरे विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
– इस दिन भोलेनाथ की पूजा करते हुए उन्हें खीर का भोग लगाएं और इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को बांटें।
-सुबह आप संकल्प लेकर पूजा कर लें पर प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का विशेष महत्व है तो उसे जरूर करें।
-पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
- इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं।
- उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।
- पूजन में भगवान शिव के मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।