संकष्टी चतुर्थी : इस विधि और शुभ मुहूर्त में करे श्री गणेश की पूजा
संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. गणेश जी कष्टों को दूर करते हैं. 5 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
पंचांग के अनुसार 5 अक्टूबर 2020 को संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. विशेष बात ये है कि इस दिन सोमवार है.
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. चातुर्मास में शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास में जब भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं तो पृथ्वी के सभी कार्य भगवान शिव को सौंप जाते हैं. चातुर्मास में पृथ्वी की बागडोर शिवजी के हाथों में आ जाती है. कहा जाता है कि चातुर्मास में भगवान शिव माता पार्वती पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं. गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं.
गणेश जी की कृपा से दूर होते हैं संकट
भगवान गणेश जी को सभी देवों में प्रथम देव होने का सम्मान प्राप्त है. इसलिए शुभ कार्य आरंभ करने से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा और स्तुति की जाती है. गणेश जी को बुद्धि का दाता माना गया है. जिन लोगों के जीवन में कोई कष्ट हैं उनके लिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विशेष परिणाम देने वाली मानी गई है, क्योंकि संकष्टी का अर्थ ही संकट को हरने वाली चतुर्थी है.
गणेश पूजा की विधि
सोमवार को संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. इस दिन पूजा में भगवान गणेश जी की प्रिय चीजों का अर्पण और भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा करनी चाहिए. तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है.
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 5 अक्टूबर को प्रात: 10 बजकर 2 मिनट पर
चतुर्थी तिथि समाप्त: 6 अक्टूबर को प्रात: दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात्रि 8 बजकर 13 मिनट